अमरावती

जिले में 1986 गांव में से केवल 452 गांवों में कुआं खोदने की अनुमति

सावधान: अभी नहीं संभले तो भयंकर सूखे का डर

* जिले में डरावनी रफ्तार से घट रहा है भूजलस्तर
* संबंधित विभागों की भी चिंता बढी
अमरावती/ दि. 8- जिले में कम हो रही औसतन बारिश के अलावा बारिश का पानी जमीन में रिसने की मात्रा कम होने तथा बारिश का पानी व्यर्थ बह जाने के कारण भूजलस्तर में लगातार कमी आ रही है. हाल यह है कि जिले के 1986 गांवों में केवल 452 गांवों में ही कुआं खोदने की अनुमति भूजल सर्वेक्षण विभाग ने दी है. जिले में डरावनी रफ्तार से भूजलस्तर घट रहा है. जिससे संबंधित विभागों की चिंता बढ गई है. जिले में पानलोट क्षेत्र निहाय वॉटर शेड है. इनमें से 37 वॉटर शेड सुरक्षित है. भूजल पुनर्भरण के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है. जन आंदोलन स्तर पर यह प्रयास किए जाने जरूरी रहने की बात जीएसडीए की वरिष्ठ भूवैज्ञानिक हीमा जोशी ने बताई.
जिले में जिन तहसीलों में भूजलस्तर 0.89 मीटर तथा इससे अधिक बढा है. वहां के गांवो को ही कुआं खोदने की अनुमति दी गई है. घटते भूजलस्तर को बढाने के लिए किसानों के साथ ही नागरिको से भी मूल स्थान पर जल संधारण के काम करने का आग्रह किया गया है. जलस्तर को बढाने के लिए विभाग द्बारा जागरूकता का काम भी किया जा रहा है. इस कडी में उतार क्षेत्र पर अलग तरीके से बुआई करने, बारिश का पानी नहीं बहने देने के लिए नालिया बनाने, पेड लगाने के साथ ही नागरिको से घरों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करने, तालाब का मलवा निकालने सहित अन्य कई उपाय योजनाओं पर जोर दिया जा रहा है. इन कामों के लिए जन आंदोलन की व्यापक जरूरत है. वर्तमान में घर-घर में बोअर कर जमीन से बडी मात्रा में पानी निकाला जा रहा है. इस पर भी जिला प्रशासन द्बारा ध्यान देने की जरूरत है.

* नागरिको से सहयोग की अपील
भूजल स्तर बढाने के लिए प्रशासन के साथ ही नागरिको की सहभागिता भी जरूरी है. नागरिको से गढ्ढा कर बारिश का पानी जमा करने, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सहित पानी भूगर्भ में पहुंचाने के लिए सहयोग देने का आग्रह किया गया है. जिले में केवल 22 प्रतिशत गांव ही भूजलस्तर के मामले में सुरक्षित हे. इससे इन्हीं गांवों में कुआं खोदने की अनुमति है. आगामी दिनों में यह स्थिति और बिगडने का डर जल संधारण व भूजल सर्वेक्षण विभाग द्बारा जताया गया है.

* वर्ष भर में दो बार होता है आकलन
जिले में भूजलस्तर का निरीक्षण और मूल्यांकन वर्ष में दो बार किया जाता है. 150 निरीक्षण कुओं में पानी के स्तर के आधार पर भूजल स्तर का आकलन किया जाता है. इसी तरह मार्च के अंत में भूजल स्तर को दर्ज किया जाता है. साथ ही मई से जून महिने में दूसरी बार भूजल स्तर का परीक्षण होता है. इससे जिले के भूजल स्तर में वृध्दि हुई या कमी आयी. इसका पता चलता है. जिले में 8 अति शोषित क्षेत्र, 4 शोषित क्षेत्र, 11 अंशत: शोषित क्षेत्र व 37 सुरक्षित क्षेत्र दर्ज है.

* 14 तहसीलवार भूजल स्तर का ब्यौरा
तहसील             भूजलस्तर(मीटर)
अमरावती                 0.45
भातकुली                  0.05
नांदगांव खंडे             1.67
चांदुर रेल्वे                0.90
तिवसा                     1.06
मोर्शी                       0.90
वरूड                        1.36
अचलपुर                  0.81
दर्यापुर                     0.21
धारणी                      1.99
चिखलदरा                 0.98
धामणगांव रे.             0.69
चांदुर बाजार              2.18
अंजनगांवसुर्जी          1.44

 

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