ओयो रुम्स को अनुमति और कैफे पर टेढी नजर?
युवा जोडों पर शहर पुलिस की कार्रवाई को लेकर उपजे सवाल
* पकडे जाने वाले कई युवाओं का भविष्य पकडा है खतरे में
* आखिर प्रेम करना गुनाह तो नहीं, प्रेमालाप करने कहां जाये युवा
* बाग बगीचे में संस्कृति के ठेकेदारों व कैफे में पुलिस की कार्रवाई का खतरा
अमरावती/दि.5 – विगत कुछ समय से शहर में कैफेनुमा रेस्टारेंट खुलने का प्रमाण काफी अधिक बढ गया है. जहां पर अक्सर ही युवाओं की आवाजाही देखी जाती है. इसमें से कई युवा प्रेमी जोडे होते है, जो अपने पार्टनर के साथ बातचीत करने और उसके साथ समय बीताने के लिए ऐसे कैफे में पहुंचते है. जहां पर ओपन स्पेस के साथ ही टेबल कुर्सी वाले कैबिन की व्यवस्था भी होती है. ताकि एकांत में बैठकर प्रेमालाप करने की चाहत रखने वाले प्रेमी जोडे उन कैबिनों में बैठकर बातचीत कर सके. लेकिन ऐसे कैफे पर आये दिन पुलिस का छापा पडने की खबरे सामने आयी है और अक्सर ही ऐसे छापे की कार्रवाई को लेकर पुलिस द्वारा मीडिया को खबर दी जाती है कि, उनकी कार्रवाई के दौरान इतने-इतने प्रेमी जोडे आपत्तिजनक स्थिति में पकडे गये. परंतु इसी आपत्तिजनक स्थिति वाले शब्द के चलते पुलिस द्वारा की जाती कार्रवाई पर सवालिया निशान खडे किये जा सकते है.
उल्लेखनीय है कि, सर्वोच्च अदालत द्वारा भी दो वयस्कों को अपनी पसंद के अनुरुप किसी व्यक्ति के साथ रहने की स्वतंत्रता दी गई है. इसमें भी यह विशेष है कि, इस स्वतंत्रता के साथ किसी भी तरह का कोई लिंगभेद नहीं जोडा गया है. यानि दो विषमलिंगी या दो समलिंगी लोग एक दूसरे के साथ रहते हुए आपसी रिश्ते में रह सकते है. वहीं दूसरी ओर विगत कुछ समय से ओयो होटल्स नामक एप के जरिए ऑनलाइन तरीके से शहर के किसी भी होटल में रुम बुक कराई जा सकती है और कोई भी दो लोग उस रुम में जाकर रह सकते है. बताने की जरुरत नहीं है कि, ओयो एप के जरिए होटलों में रुम बुक कराने के बाद वहां जाकर रहने वाले प्रेमी जोडों अथवा दो लोगों द्वारा क्या कुछ नहीं किया जाता होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि, जब ओयो रुम्स में जाकर ‘सबकुछ’ करने की खुली छूट है, तो कैफे के कैबिन में कुर्सी टेबल पर बैठकर ‘कुछ-कुछ’ करने में क्या बुराई है और इससे अमरावती शहर की पुलिस को क्या तकलीफ है?
बता दें कि, अव्वल तो इन दिनों अमरावती शहर में वडाली व छत्री तालाब जैसे बगीचे बर्बाद होकर पूरी तरह से बंद पडे है. ले देकर वडाली परिसर स्थित बांबू गार्डन और ऑक्सीजन पार्क बचते है. जहां पर प्रेमी जोडे इस वजह से जाने से कतराते है कि, कहीं उन पर संस्कृति के स्वयंभू ठेकेदारों की नजर न पड जाये और उन्हें किसी अप्रीय स्थिति का सामना न करना पडे. वहीं शहर के आसपास एकांत एवं सुनसान स्थानों पर भी प्रेमी जोडों के जाने में काफी खतरे है. क्योंकि इससे पहले एकांत व सुनसान जैसे स्थानों पर प्रेमी जोडों के साथ मारपीट और गलत हरकतें होने की घटनाएं भी घटित हो चुकी है. ऐसे में एक दूसरे को पसंद करने वाले प्रेमियों के पास एक-दूसरे के साथ समय व्यतित करने और एक-दूसरे से बातचीत करने हेतु शहर के अलग-अलग इलाकों में स्थित रहने वाले कैफे में जाने का पर्याय बचता है. चूंकि कैफे मालिकों द्वारा तमाम कागजी खानापूर्ति पूर्ण करते हुए एवं हर तरह की अनुमति हासिल करते हुए अपने प्रतिष्ठान हेतु परमिट व लाईसेंस हासिल किया गया होता है. अत: किसी भी कैफे को अवैध व्यवसाय भी नहीं कहा जा सकता. जहां पर पुलिस को छापा मारने की जरुरत पडे. परंतु इसके बावजूद भी पुलिस द्वारा यदा-कदा जांच पडताल के नाम पर अलग-अलग कैफे के खिलाफ छापे की कार्रवाई की जाती है और ऐसी कार्रवाईयों के समय कैफे के भीतर बैठकर बातचीत कर रहे युवाओं और प्रेमी जोडों को यह कहते हुए अपने हिरासत में लिया जाता है कि, वे लोग आपत्तिजनक स्थिति में थे. ऐसे में सवाल उठता है कि, महज एक टेबल व दो कुर्सी की व्यवस्था रहने वाले ढाई बाय तीन के कैबिन मेें कोई क्या ही आपत्तिजनक स्थिति में रह सकता है.
यहां यह ध्यान दिलाये जाने की सख्त जरुरत है कि, ऐसी कार्रवाईयों के जरिए पुलिस द्वारा पकडे जाने वाले युवाओं के खिलाफ धारा 107 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाती है. यानि उनका नाम एक तरह से पुलिस रिकॉर्ड में आ ही जाता है. यह बात आगे चलकर कई युवाओं को नौकरी अथवा पासपोर्ट हासिल करते समय काफी भारी भी पडती है और उनका भविष्य खतरे में भी पड सकता है. इससे पहले भी ऐसा कुछ युवाओं के साथ हो चुका है. वहीं ऐसे कार्रवाईयों के दौरान पुलिस द्वारा पकडी जाने वाली युवतियों के परिजनों को भी पुलिस थाने बुलाया जाता है और उनके समक्ष युवतियों को ‘समझाइश’ दी जाती है. जिससे कई बार युवतियों को अपने परिजनों के समक्ष शर्मनाक स्थिति का सामना करना पडता है और कुछ मामलों में तो युवतियों की बदनामी भी होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि, आखिर यह सब करने का हासिल क्या है. क्योंकि यही प्रेमी जोडे यदि ओयो रुम बुक करते हुए किसी होटल के कमरे में जाते है. तब शायद पुलिस को कोई तकलीफ नहीं होती, लेकिन वही प्रेमी जोडे अगर किसी कैफे के कैबिन में बैठकर हाथों में हाथ डाले बातचीत करते है, तो उसे पुलिस शायद आपत्तिजनक स्थिति मानती है.
कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं है कि, प्रेम बेहद व्यक्तिगत एवं प्राकृतिक भावना है और एक उम्र में यह भावना लगभग प्रत्येक व्यक्ति में जोर मारती ही है तथा कोई भी इससे अछूता नहीं है. लेकिन भले ही हम कितने ही आधुनिक दौर में क्या न पहुंच गये हो, परंतु प्रेमी जोडों की ओर अजीब नजरों और हेय दृष्टि से देखने की हमारी मानसिकता नहीं बदली है. संभवत: अमरावती शहर की पुलिस भी इसी मानसिकता का शिकार है. यहीं वजह है कि, बडे-बडे होटलों में चलने वाला ‘सबकुछ’ तो एक तरह से पुलिस को स्वीकार्य है. लेकिन कैफे के कैबिन में चलने वाला ‘कुछ कुछ’ शायद पुलिस के नजर में काफी बडा अपराध है. यहीं वजह है कि, शहर पुलिस द्वारा आये दिन शहर के अलग-अलग स्थानों पर स्थित कैफे में छापामार कार्रवाई की जाती है और वहां पर बैठकर बातचीत करने वाले युवाओं व प्रेमी जोडों को आपत्तिजनक स्थिति में नाम पर पकडा जाता है.
* अपना काम छोडकर दामिनी पथक मार रहा छापे
विशेष उल्लेखनीय है कि, शहर में सरेराह होने वाली छेडखानी की घटनाओं को रोकने तथा सडक पर घुमने वाले मनचलों का बंदोबस्त करने के लिए शहर पुलिस द्वारा दामिनी पथक का गठन किया गया था. जिसमें केवल महिला पुलिस अधिकारियों व महिला पुलिस कर्मचारियों का ही समावेश किया जाता है. इन महिला पुलिस कर्मियों द्वारा साधा वेश धारण कर शहर के भीडभाड भरे चौक-चौराहों पर गश्त लगाई जाती है और किसी युवती या महिला के साथ छेडछाड करने वाले व्यक्ति को पकडा जाता है. परंतु इन दिनों अपनी इस जिम्मेदारी को पूरा करने की बजाय दामिनी पथक द्वारा अपने रिकॉर्ड को बडा करने के लिए शहर के अलग-अलग इलाकों में कैफे पर छापा मारने की कार्रवाई की जा रही है. जबकि ऐसे कैफे से किसी युवती के साथ छेडछाड होने की कोई शिकायत भी नहीं मिली होती है. लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस का दामिनी पथक अपनी ‘ड्यूटी’ को ‘बडी ही मुस्तैदी’ से निभाने हेतु तत्पर रहता है. परंतु ऐसी कार्रवाईयों का सीधा परिणाम युवाओं की पढाई लिखाई और उनके भविष्य पर पडता है. जिसकी ओर शायद पुलिस का ध्यान नहीं जाता.