अमरावतीमहाराष्ट्र

हव्याप्रमं के ग्रीष्मकालीन शिविर में होता है व्यक्तित्व विकास

सैकडों छात्र-छात्राओं का रहता है सहभाग

अमरावती/दि.13– कवि पिल्लई एक प्रकृति कविता जो मानव व्यक्तित्व की अनुभूति को प्रेरित करती है. यही प्रेरणा और अनुभूति श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के ग्रीष्मकालीन शिविर में अनुभव हो रही है. 110 साल पूर्व स्थापित यह संस्था पिछले 100 वर्षो से ग्रीष्मकालीन शिविर की परंपरा को जारी रखे हुए है. वर्तमान में 20 अप्रैल से 10 मई और 15 मई से 5 जून तक चलनेवाले शिविर में सैकडों छात्र-छात्राएं निवास कर रहे है और सभी प्रकार के भारतीय एवं आधुनिक खेलों का प्रशिक्षण ले रहे है और अपने व्यक्तित्व का निर्माण कर रहे है.

अंबादासपंत वैद्य ने 1914 में श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल की स्थापना की. समर कैम्प की परंपरा 1924 में अप्रैल से जून तक डेन सत्र में इस एहसास के साथ शुरु की गई थी कि, बच्चो को नियमित व्यायाम और खेल प्रशिक्षण से लाभ मिलना चाहिए. आज इस समय कैम्प में 100 साल का गौरव हासिल कर लिया है और इस साल भी इस शिविर को भारी प्रतिसाद मिला है. छात्र तैराकी, बैडमिंटन, बास्केट बॉल, फूटबॉल, ताईक्वांडो, एरोबिक्स, योग, कुश्ती, शुटिंग, टेबल टेनिस, मल्लखांब जैसे भारतीय पारंपारिक और आधुनिक खेलो में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है.

]* खेल कौशल्य समय की मांग
हर दिन मोबाईल फोन और कम्प्युटर में लिपटे रहनेवाले बच्चों के भविष्य का सवाल खडा हो गया है. शिक्षा के अलावा खेल प्रशिक्षण बच्चों के भविष्य के लिए एक विकल्प बन गया है. मंडल के पिछले 100 वर्षो के अनुभव से स्पष्ट है कि, मंडल के ग्रीष्मकालीन शिविर, खेल प्रशिक्षण के माध्यम से बच्चों ने अपने पसंदीदा खेल में उज्वल भविष्य पाया है. मंडल की सचिव प्रा. डॉ. माधुरी चेंडके ने कहा कि, हव्याप्रमं का लक्ष्य खेल प्रशिक्षण के माध्यम से प्रत्येक युवक व युवती को प्रशिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना है.

* खेल शिविर से उज्वल भविष्य
हव्याप्रमं का ग्रीष्मकालीन शिविर सही मायने में बच्चों की खेल रुची और भविष्य को सुनिश्चित करने का एक सुनहरा अवसर है. वास्तव में मंडल का खेल शिविर 100 वर्षो से चल रहा है. अमरावती के लोगों के लिए एक गौरवशाली सांस्कृतिक परंपरा है और यहां की गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण और खेल सुविधाएं बच्चों, अभिभावको के खेल भविष्य के लिए एक व्यवहार्य मंच है.
– छात्र अंशुमन दांडगे के अभिभावक

 * तैराक बनने की चाहत
मुझे तैरना बहुत पसंद है. इसके लिए मेरे माता-पिता ने मुझे हव्याप्रमं के ग्रीष्मकालीन शिविर में भेजा. तैराकी में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मिल रहा है. भविष्य में अच्छी तैराक बनना चाहती हूं.
– छात्रा अनन्या कावरे

* गुणवत्तापूर्ण खेल प्रशिक्षण
मै जिम्नास्टिक में हव्याप्रमं के ग्रीष्मकालीन शिविर में शामिल हुई हूं. मुझे यहां हर दिन गुणवत्तापूर्ण खेल प्रशिक्षण मिल रहा है.
– आराध्या खंडारे

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