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‘उन’ 11 सफाई ठेकेदारों की याचिका खारिज

झोन निहाय ठेके का रास्ता खुला, आज कल में जारी हो सकता है वर्कऑडर

* अदालत ने मनपा आयुक्त के सर्वाधिकार को माना ग्राह्य
* करारनामे की शर्त क्रमांक-29 को आधार मानकर सुनाया फैसला
अमरावती/दि.26 – स्थानीय महानगरपालिका द्बारा प्रभागनिहाय ठेका पद्धति की बजाय शहर में झोन निहाय ठेका पद्धति को अमल में लाने और प्रत्येक झोन में एक ठेकेदार के हिसाब से पूरे शहर के लिए कुल 5 ठेकेदार नियुक्त करने के संदर्भ में लिए गए फैसले के खिलाफ पुराने 11 सफाई ठेकेदारों द्बारा दायर की गई याचिका को आज स्थानीय अदालत ने सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए खारिज कर दिया. अपने फैसले में अदालत ने साफ तौर पर कहा कि, पुराने सफाई ठेकेदारों के साथ किए गए ठेका करार की शर्त क्रमांक 29 में स्पष्ट तौर पर उल्लेखित है कि, मनपा आयुक्त के पास किसी भी समय ठेका करार की शर्तों व नियमों को बदलने अथवा इस ठेका करार को रद्द करने का पूरा अधिकार होगा. ऐसे में ठेके के निर्धारित अवधि पूरी होने के उपरान्त यदि मनपा आयुक्त द्बारा नई निविदा प्रक्रिया चलाई जा रही है, तो उस पर आपत्ति लेने का पूराने ठेकेदारों को अधिकार नहीं बनता.
बता दें कि, प्रभाग निहाय ठेका पद्धति के तहत काम करने वाले 11 सफाई ठेकेदारों ने मनपा आयुक्त द्बारा लिए गए झोन निहाय ठेका पद्धति के फैसले के खिलाफ सबसे पहले मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. जहां से हाईकोर्ट ने उनकी अपील को निरस्त करते हुए उन्हें स्थानीय लवाद में जाने हेतु कहा था. ऐसे में सभी 11 ठेकेदारों ने अपने वकीलों के जरिए स्थानीय अदालत ने याचिका दायर की थी. जिस पर पिछली तारीख तक ही सुनवाई पूरी हो चुकी थी और अदालत ने इस मामले में अगली तारीख पर फैसला सुनाने की बात कही थी. जिसके मुताबिक अदालत द्बारा आज 26 जून को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए 11 सफाई ठेकेदारों की ओर से दायर याचिका को निरस्त कर दिया गया. जिसके साथ ही अमरावती महानगरपालिका के लिए झोन निहाय ठेका पद्धति की प्रक्रिया को आगे बढाने का रास्ता खुल गया. चूंकि इस मामले में टेक्निकल व फायनांशियल बीड की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 5 झोन के लिए कुल 3 एजेंसियां पात्र पायी गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि, अदालती फैसलें के बाद संभवत: एक-दो दिन में मनपा द्बारा तीनों निविदाधारकों के नाम पांचों झोन के लिए सफाई ठेके का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया जाएगा.
इस मामले में अमरावती मनपा प्रशासन की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ एड. अशोक जैन ने अदालत में युक्तिवाद किया. जिन्हें एड. ऋषि छाबडा ने पैरवी के दौरान सहयोग किया. साथ ही मनपा आयुक्त की ओर से मनपा के विधि अधिकारी श्रीकांतसिंह चौहान ने भी इस मामले में अपने दोनों वकीलों को तमाम आवश्यक तथ्य व दस्तावेज उपलब्ध करवाए.
* याचिकाकर्ताओं के नुकसान व मुआवजे का मूल्यांकन करेगा ऑर्बिटे्रटर
अपनी याचिका में 11 सफाई ठेकेदारों ने दलिल दी थी कि, यद्यपि उन्हें मूलत: 3 साल के लिए प्रभाग निहाय साफ-सफाई का ठेका दिया गया था. परंतु आगे चलकर एक-एक वर्ष के लिए ठेके की अवधि बढाने का आश्वासन भी दिया गया था. ऐसे में 5 वर्ष की ठेका अवधि ग्राह्य मानकर उन्होंने तमाम साजों सामान व मनुष्यबल में अपना पैसा खर्च किया. लेकिन 4 वर्ष की अवधि पूरी होने के साथ ही मनपा आयुक्त ने पांचवें व अंतिम वर्ष के लिए ठेका करार का नुतनीकरण करने की बजाय प्रभाग निहाय ठेका पद्धति को रद्द कर दिया और झोन निहाय ठेका पद्धति को अमल में लाने का निर्णय लिया. ऐसे में उन्हें 1 वर्ष के कामकाज व कमाई के नुकसान का सामना करना पडेगा. अत: उन्हें इसकी एवज में मुआवजा दिया जाए. इस बात को ध्यान में रखते हुए अदालत ने आर्बिट्रेटर की नियुक्ति करने का निर्देश जारी किया.

और मनपा को निर्देश दिया कि, वह ठेके के एक साल की रकम की 50 फीसद राशि की बैंक गारंटी ऑर्बिट्रेटर के पास जमा कराए. जिसके बाद ऑर्बिट्रेटर द्बारा इस बात को देखा जाएगा कि, क्या वाकई मनपा आयुक्त के फैसले की वजह से उन 11 सफाई ठेकेदारों के आर्थिक हितों को कोई नुकसान पहुंचा है और यदि ऐसा है, तो नुकसान की राशि कितनी बनती है. यदि याचिकाकर्ताओं के दावों में तथ्य पाया जाता है, तो मनपा द्बारा जमा कराई गई बैंक गारंटी से उतनी रकम की वसूली करते हुए याचिकाकर्ताओं को मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा. अन्यथा याचिकाकर्ताओं का दावा खारिज हो जाने पर मनपा को उसकी बैंक गारंटी वापिस लौटा दी जाएगी.

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