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संसद परिसर के भीतर कैसे हुई फोटो व वीडियो शूटींग

सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में उठाया मसला

* सीपी आरती सिंह की संसद में पेशी के फोटो वीडियो हुए थे वायरल
* सांसद सुले ने इसे एक महिला अधिकारी की निजता व संसद की सुरक्षा के साथ बताया खिलवाड
अमरावती/दि.24- जिले की सांसद नवनीत राणा द्वारा की गई शिकायत के चलते विगत 9 मार्च को अमरावती की शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह राजधानी नई दिल्ली स्थित संसद भवन परिसर में लोकसभा सचिवालय के समक्ष पेशी हेतु उपस्थित हुई थी. जहां पर उनके साथ तत्कालीन पुलिस उपायुक्त एवं मौजूदा अतिरिक्त ग्रामीण पुलिस अधीक्षक शशिकांत सातव भी उपस्थित थे. इस समय पेशी के लिए जाती हुई सीपी डॉ. आरती सिंह के फोटो व वीडियो सोशल मीडिया के जरिये वायरल किये गये थे, जो स्थानीय अखबारों में भी प्रकाशित हुए है. इसे अपने आप में एक बेहद गंभीर मामला बताते हुए गत रोज सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में आवाज उठायी. जिसमें सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि, संसद परिसर को अति संरक्षित स्थान का दर्जा प्राप्त है और संसद भवन के भीतर किसी भी तरह की फोटो या वीडियो शूटिंग करने की मनाही है. इसके बावजूद संसद भवन के भीतर सचिवालय परिसर में एक महिला पुलिस अधिकारी की पेशी के समय चोरी-छिपे तरीके से फोटो व वीडियो शूटींग की गई. यह सीधे-सीधे उस महिला पुलिस अधिकारी की निजता के साथ-साथ संसद की सुरक्षा के साथ किया गया खिलवाड है. अत: संसद परिसर के भीतर नियमोें का उल्लंघन कर फोटो व वीडियो शूटींग करते हुए उसे सोशल मीडिया के जरिये वायरल करनेवालोें के खिलाफ सख्त व कडी कार्रवाई की जानी चाहिए.
बता दें कि, जिले की सांसद नवनीत राणा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला के समक्ष दर्ज करायी गई शिकायत के चलते अमरावती की पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह, तत्कालीन पुलिस उपायुक्त शशीकांत सातव तथा मुंबई पुलिस के आयुक्त को लोकसभा सचिवालय में बुधवार 9 मार्च को हाजीर रहने की नोटीस जारी की गई थी. जिसकी वजह से विगत 9 मार्च को अमरावती की पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह, तत्कालीन पुलिस उपायुक्त व वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक के रूप में कार्यरत शशीकांत सातव दिल्ली पहुंचे और उन्होंने लोकसभा सचिवालय में हाजरी लगायी. इससे पहले सांसद नवनीत राणा ने भी सचिवालय में उपस्थित रहकर अपना पक्ष रखा था. जिसके थोडी ही देर बाद सचिवालय के भीतर कक्ष में उपस्थित सांसद नवनीत राणा के फोटो व वीडियोज के साथ-साथ सचिवालय की ओर जाती और कक्ष के समक्ष पहुंचती शहर पुलिस आयुक्त आरती सिंह के फोटो व वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे और अमरावती में देखते ही देखते कई वाटस्ऍप ग्रुप और फेसबुक अकाउंट पर इन फोटोज और वीडियो को शेयर किया गया. साथ ही कई स्थानीय अखबारों व न्यूज चैनलों में भी ये फोटोज और वीडियो दिखाये गये.
ऐसे में इस पूरे मामले पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए गत रोज संसद सत्र में शून्य काल के दौरान सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में इसे लेकर अपने विचार रखे. जिसमें उन्होंने कहा कि, इससे पहले वर्ष 2016 तथा वर्ष 2018 में संसद भवन के सुरक्षा संचालक कार्यालय द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किये गये थे कि, संसद भवन एवं परिसर के लिए खतरे को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से संसद भवन के भीतर किसी भी तरह की कोई फोटो या वीडियो शूटींग किसी भी व्यक्ति द्वारा नहीं की जायेगी. लेकिन इसके बावजूद भी विगत 9 मार्च को संसद भवन के भीतर सचिवालय परिसर में कुछ लोगों ने खुलेआम नियमों का उल्लंघन करते हुए फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की. यह अपने आप में बेहद संगीन मामला है.
बता दें कि, सांसद नवनीत राणा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला के समक्ष दर्ज करायी गई अपनी शिकायत में कहा था कि, 15 नवंबर 2020 को उन्हें तथा उनके पति व विधायक रवि राणा को पुलिस द्वारा अपने कब्जे में लेकर जबरन पुलिस के वाहन में बिठाया गया था तथा मुंबई जाने से रोकते हुए उनके साथ पुलिस द्वारा अपशब्दों का प्रयोग किया गया था. जब वे किसानों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री के निजी आवास के समक्ष आंदोलन करने हेतु मुंबई जाना चाह रहे थे. इस शिकायत में सांसद नवनीत राणा ने साफ तौर पर आरोप लगाया था कि, मुंबई के तत्कालीन आयुक्त द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर अमरावती की पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह तथा तत्कालीन उपायुक्त शशीकांत सातव ने दुर्भावना से प्रेरित होकर उनके व उनके पति विधायक रवि राणा के खिलाफ दमनकारी कार्रवाई की थी. इस शिकायत के आधार पर लोकसभा सचिवालय द्वारा संबंधित अधिकारियों को बुधवार, 9 मार्च को अपने समक्ष उपस्थित रहने हेतु कहा गया था. साथ ही सांसद नवनीत राणा को भी उनकी बात रखने के लिए समिति के सामने उपस्थित होने को कहा गया था. ऐसे में जब विगत 9 मार्च को पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह व तत्कालीन उपायुक्त शशिकांत सातव संसद परिसर में पहुंचकर अपनी कार से नीचे उतरे, तबसे लेकर उनके समिति के दालान में पहुंचने तक वीडियो व फोटो निकाले गए थे. एक वीडियो में साफ तौर पर दिखाई दिया कि, पुलिस आयुक्त आरती सिंह समिति के दालन के सामने बैग से अपनी कैप निकाल रही थी, इस समय उनका मोबाइल नीचे गिरा. समिति के सामने उपस्थित होने से पहले कुछ अधिकारियों के साथ वह अनौपचारिक चर्चा करते हुए भी दिखाई दी. इसके साथ ही सांसद नवनीत राणा के न्यायीक समिति के समक्ष उपस्थित होने की फोटो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए. ऐसा सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा के समर्थकों द्वारा ही किये जाने का आरोप है.
इस सभी मामले पर सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में चर्चा के दौरान आक्षेप लिया. किसी महिला अधिकारी की ऐसे तरीके से फोटो कैेसे वायरल हो सकती है. वह उचित है क्या? ऐसा प्रश्न लोकसभाध्यक्ष रमादेवी के समक्ष उपस्थित किया. आप खुद एक महिला हो, इसके कारण यह वेदना लोकसभाध्यक्ष समझ ले, ऐसा भी सांसद सुप्रिया सुले ने सभागृह में कहा.
* क्या कहा गया है गाईडलाईन में
बता दें कि, कई वर्ष पहले संसद भवन एक आतंकी हमले को झेल चुका है. ऐसे में अब किसी भी संभावित खतरे को देखते हुए संसद भवन एवं परिसर की सुरक्षा के इंतजाम को लेकर बेहद कडे नियम बनाये गये है. जिसके तहत अब लोकसभा व राज्यसभा सहित संसदीय कार्य समिती एवं संसद से वास्ता रखनेवाली किसी भी एजेन्सी के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी एवं संसद भवन में अधिकृत रूप से प्रवेश करनेवाले किसी भी व्यक्ति द्वारा संसद भवन परिसर में और संसद की इमारत के भीतर अपने मोबाईल कैमरों अथवा फोटो या वीडियो कैमरों से फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करना पूरी तरह प्रतिबंधित है. इसे लेकर समय-समय पर संसद भवन सुरक्षा संचालक कार्यालय द्वारा गाईडलाईन जारी की जाती रही है. इसी के तहत 14 सितंबर 2016 एवं 7 फरवरी 2018 को संसद भवन सुरक्षा विभाग के जॉईंट सेक्रेटरी योगेश देशमुख तथा संचालक बी. सी. जोशी द्वारा परिपत्रक जारी कराते हुए संसद भवन परिसर एवं संसद की इमारत के भीतरी हिस्सों में फोटो या वीडियो शूटींग करना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया. लेकिन बावजूद इसके विगत 9 मार्च को संसद भवन की इमारत के भीतरी हिस्से में स्थित लोकसभा सचिवालय कक्ष के अंदर व बाहर फोटो व वीडियो शूटींग की गई, जो अपने आप में एक गंभीर अपराध है.

* क्या प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के खिलाफ भी होगी कार्रवाई?
चूंकि संसद भवन के भीतर फोटोग्राफी व वीडियो शूटिंग का मामला अब सांसद सुप्रिया सुले द्वारा उठाया गया है और इसे संसद भवन की सुरक्षा के साथ ही एक महिला पुलिस अधिकारी की निजता के साथ खिलवाड बताया गया है. ऐसे में यह तय है कि, संसद भवन के भीतर फोटो व वीडियो शूटींग करते हुए उसे सोशल मीडिया पर वायरल करनेवालों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जा सकती है. लेकिन यहां एक सवाल और भी उठता है कि, चूंकि सोशल मीडिया पर वायरल फोटो और वीडियो का प्रयोग स्थानीय अखबारों व न्यूज चैनलों द्वारा भी करते हुए उन्हें प्रसारित किया गया था. ऐसे में क्या संबंधित अखबारों व न्यूज चैनलों के नाम पर भी इसे लेकर नोटीस जारी हो सकती है. यद्यपि फिलहाल अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय द्वारा इस संदर्भ में अधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन उन फोटोज व वीडियोज को वायरल करनेवाले सभी लोगों के खिलाफ निकट भविष्य में कार्रवाई होना तय है.

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