74 साल से होली व रंग के बगैर रहे पिंपलोदवासी
संत परमहंस परशराम महाराज ने किया था देहत्याग

* ग्रामवासियों ने उत्साह की बजाय श्रद्धा को किया पसंद
दर्यापुर /दि.15– महाराष्ट्र सहित संपूर्ण देश में होली व रंगोत्सव की पांच दिन पूर्व से हर्षोल्लास के साथ शुरुआत हो जाती है. लेकिन महाराष्ट्र के अमरावती जिले के दर्यापुर तहसील की 8 हजार की आबादी वाले पिंपलोद गांव में पिछले 74 साल से कोई भी नागरिक होली का पर्व नहीं मनाता. क्योंकि संत परमहंस परशराम महाराज ने इस दिन देह त्यागा था. इस कारण इस गांव में होली व रंगपंचमी खेलने की परंपरा नहीं है और इसका पालन आज भी होता है.
पिंपलोद यह गांव श्री संत परमहंस परशराम महाराज के स्पर्श से पावन हुआ है. नागरिकों की उन पर अपार श्रद्धा है. महाराज ने फाल्गुन पूर्णिमा को देह त्यागा था. इस कारण इस गांव में होली नहीं चलाई जाती और रंगपंचमी भी खेली नहीं जाती. इस घटना को 74 वर्ष पूर्ण हो गये है. दर्यापुर तहसील खारे पानी पट्टे की है. लेकिन महाराज ने उस समय जलस्त्रोत दिखाकर मीठे पानी से ग्रामवासियों की प्यास बुझाई थी. आज भी पानी का यह झरना लगातार गांव से सटकर बहता है. उन्होंने पेड कटाई का विरोध करते हुए ग्रामवासियों को बार-बार मार्ग दिखाया था. उनके पश्चात जनसहभाग से गांव में महाराज की समाधी मंदिर का निर्माण हुआ. यहां महाराज के साथ श्री दत्त व भगवान गौतम बुद्ध की मूर्ति विराजमान है. सार्वजनिक मंदिरों में गौतम बुद्ध की मूर्ति दिखाई नहीं देती, लेकिन यह अपवाद है. पिंपलोद के परशराम महाराज का मंदिर में होली के दिन पूरा दिन बडे आस्था के साथ पूजा की जाती है. आकर्षक रोशनाई से यह मंदिर जगमगाता है. इस वर्ष भी पिंपलोद आईटीआई में श्री संत परमहंस परशराम महाराज पुण्यतिथि महोत्सव निमित्त शाम को हवन पुजा और शुक्रवार 14 मार्च को गांव से महाराज के प्रतिमा की दिंडी व शोभायात्रा बडे उत्साह के साथ निकाली गई. हर किसी के घर के सामने रंगोली निकाली गई थी. पश्चात हभप स्वामी दासगिरी महाराज कृष्णाई गौरक्षण आबोडा का काला का कीर्तन और पश्चात महाप्रसाद का कार्यक्रम हुआ. इस पुण्यतिथि निमित्त परिसर के सभी श्रद्धालु सक्रियता से शामिल हुए और श्री के दर्शन का व महाप्रसाद का लाभ लिया. सभी श्रद्धालुओं द्वारा बडी श्रद्धा के साथ सहयोग करने पर विश्वस्त मंडल व ग्रामवासियों ने सभी का आभार माना.