अमरावती प्रतिनिधि/दि.२८ –प्रति वर्ष अक्तूबर व नवंबर माह के दौरान किसानों द्वारा कपास की फसल पककर हाथ में आने और उसकी बिक्री से चार पैसे दिखाई देने की बेसब्री के साथ प्रतिक्षा की जाती है. लेकिन विगत कुछ वर्षों से प्रतिवर्ष कपास की फसल संक्रामक रोगों व गुलाबी इल्लियों के संक्रमण व प्रादूर्भाव की भेट चढ रही है. इस बार भी जिले के कई इलाकोें में कपास की फसल पर गुलाबी इल्लियों ने धावा बोला है. जिसके चलते पहले ही कई समस्याआें का सामना कर रहे किसानों की समस्या और दिक्कतें लगातार बढ रही है. बता दें कि, इस वर्ष अतिवृष्टि व बाढ ने किसानों की कमर तोड दी है. जिले में पहले मूंग, उडद व तुअर की फसल चौपट हो गयी. जिसके बाद सोयाबीन, नींबू व संतरे की फसल भी हाथ से जाती रही, वहीं अब कैश क्रॉप मानी जाती कपास की फसल गुलाबी इल्लियों की चपेट में है. जानकारी के मुताबिक जिले में अधिकांश क्षेत्रों में प्रति एकड पांच qक्वटल से भी कम सोयाबीन की उपज हुई है और कई ग्रामीण इलाकों में तो सोयाबीन की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है. वहीं दूसरी ओर जो फसल हाथ में आयी है, उसे भी कोई खास दाम बाजार में नहीं मिल रहे है. ऐसे में किसानों की पूरी उम्मीदें कपास पर टिकी हुई थी, लेकिन मौसम में आये बदलाव के साथ ही कपास पर गुलाबी इल्लियों का हमला शुरू हो गया. ऐसे में ऐन कपास बुनायी के समय किसानों पर अपनी फसल से हाथ धोने की नौबत आन पडी है. जिसकी वजह से किसानों में काफी हद तक निराशा का माहौल देखा जा रहा है. यहां यह कहना अतिशयोक्तीपूर्ण नहीं होगा कि, खरीफ सीझन में हुए जबर्दस्त नुकसान की वजह से इस बार किसानों के पास रबी सीझन में बुआई के लिए पैसों की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही इस बार बेचने के लिए कोई खास उपज नहीं रहने के चलते किसानों की दीवाली अंधेरे में गुजरने की पूरी संभावना है.