पति-पत्नी में स्नेह व विश्वास से बनता है ग्रहस्थ आश्रम मधुर
कथावाचक नरेशभाई राज्यगुरु का प्रतिपादन
गुरुवार को भक्तिधाम मंदिर में शिवपुराण कथा का छटवा दिन
अमरावती -/दि.25 बडनेरा रोड स्थित भक्तिधाम मंदिर में पिछले 5 दिनों से कथा वाचक नरेशभाई राज्यगुरु के मुखारबिंद से शिवपुराण कथा चल रही है. जिसमें गुरुवार को छटवे दिन श्री नरेशभाई राज्यगुरु ने कार्तिकेय जन्म की कथा सुनाई. उन्होंने मनुष्य को अपने नित्य, कर्म कर्तव्य को पूरी निष्ठा से करने के लिए प्रेरित किया. कबीर महाराज की कहानी सुनाते हुए उन्होंने बताया कि, यदि पत्नी हो तो ही शादी करनी चाहिए. उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि, एक बार कबीर महाराज को किसी ने पूछा की महाराज विवाह करना चाहिए की नहीं? इसका उत्तर देते हुए कबीर महाराज उस व्यक्ति से बोले कि, कल दोपहर 12 बजे मेरे आश्रम में आ जाना बता दूंगा. दूसरे दिन वह इंसान उनके कहे अनुसार 12 बजे आश्रम में पहुंच गया और वहीं सवाल दोहराया कि महाराज शादी करनी चाहिए या नहीं. कबीर महाराज ने उसे अपने पास बुलाया और अपनी पत्नी को आवाज देकर कहा कि, देवीजी आप दीपक लेकर आओ. जलाया हुआ दीपक आप लेकर आओ, तो पत्नी कुछ ना बोली और भीतर गई. जल्दी-जल्दी में दीपक प्रज्वलित कर उनके समक्ष लाकर रख दिया.
तब भक्त ने दूसरी बार पूछा की शादी करनी चाहिए की नहीं. महाराज मूझे बताओ कितना प्रकाश है, दोपहर के 12 बजे का समय है. फिर भी आपने अपने पत्नी को दीपक लाने को कहा, उन्होंने तो कुछ कहे बीना दीपक लाकर रख दिया और फिर उतावले होते हुए पूछा कि, शादी करनी चाहिए कि, नहीं तब मुस्कुराते हुए कबीर महाराज ने कहा की यदी पत्नी ऐसी होे, तो शादी करनी चाहिए. जब पति-पत्नी में जब स्नेह और विश्वास बढता है तो तब जाकर ग्रहस्थ आश्रम मधुर बनता है. शिवकथा में शिव-पार्वती विवाह की महिमा और रामकथा में राम-सीता विवाह की महिमा है. सुबह हवा का पहला झोका तेरा नाम प्रभु, सुबह होते ही हवा की जो पहली लहर आती है. प्रभु हमें पता है कि, वह हवा साधारण नहीं है. प्रभु बल्कि आपके अदृश्य हाथ है और वे अदृश्य हाथ हमें जगाते है. हमें हेलो, हाय, गुडमॉर्निंग करते है. सुबह उठकर जब दरवाजा खोलकर आप बालकनी में जाते हो, तो जो हवा की पहली लहर आती है, तो पता है वह साधारण हवा है. लेकिन उसे प्रभु भोलेनाथ के अदृश्य हाथ समझे. हे जीव तू जाग, मोहनिशा में सोये हुए जीव तू जाग, जो सोये हुए हो, जगा दें, वह कथा होती है, नहीं तो सत्संग का काम क्या है. वह सोयी हुई जीव आत्मा को जगाती है. हम सब सोये हुए है. इसी मोह निद्रा से जगाने के लिए समय-समय पर इसी प्रकार की कथाए हमारे बीच में आती है.
गीता में एक वाक्य है वैसे गीता कई प्रकार की होती है. अष्टावक्र गीता में यह कहा गया है कि, न भोगना है, न भागना है, हमे जागना है. संसार के भोग भोगते-भोगते हम पंचतत्व में विलीन हो गये, तो बात नहीं बनेगी, न भोगना है. हम संसार में आये है, तो हमारे कुछ धर्म-कर्म है और धर्म-कर्म के मुताबिक हमे हमारी जीवन की यात्रा बीतानी है. गुरुवार को भक्तिधाम मंदिर परिसर में कथा सुनने भारी भाविकों की भीड उमड पडी. इस दिन की कथा कार्तिकेय जन्म पर आधारित थी. जिसके यजमान श्री गुजराती युवक मंडल के अध्यक्ष जय जोटंगिया, केतन सेठिया, शैलेश चावडा, हिरल अढिया, कौशिक टांक, प्रणय सेठ, रौनक मेहता, पियुष सेठिया, तेजस पोपट, जयेश पटेल आदि रहे. गुरुवार को शिव व्यापारी सेना, अमरावती की ओर से पूर्व पार्षद सुरेंद्र पोपली, अशोक थावरानी, सुरेश मोहनानी, मोतीराम मनोजा, चंद्रकुमार मनोजा, विष्णु गोफलानी, हरिश टेकवानी, लालचंद्र वालेचा, अनिल थावरानी, सुरेश मोहनानी, जगदिश गंगवानी, साधुराम चेनानी आदि ने कथावाचक राज्यगुरु का सम्मान किया. सुबह की दैनिक पूजा के यजमान प्रमिलाबेन पटेल और उनका परिवार था.