आदिवासी इलाकों में कुपोषण से होने वाली मौतें रोकने योजना बनाए
मुंबई हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा
मुंबई/ दि.21 – मेलघाट सहित आदिवासी इलाकों में कुपोषण से होने वाली मौतों को रोकने के लिए सरकार अल्पकालीक योजना बनाए ऐसा मुंबई हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है. इस मामले में आयपीएस अधिकारी छेरिंग दोरजे की ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई थी. यह रिपोर्ट कुछ दिनों के पश्चात धूल में ढकी न पायी जाए जिसमें तत्काल ठोस योजना बनाए जाने के निर्देश मुंबई हाईकोर्ट व्दारा राज्य सरकार को दिए गए. मेलघाट में कुपोषण से होने वाली मौतों को लेकर हाईकोर्ट ने साल 2007 में याचिका दाखिल की गई थी.
याचिका पर सुनवाई चल रही है. बता दें कि यह याचिका सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता तथा न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी. इस दौरान कोर्ट के आदेश के तहत नागपुर रेंज के विशषे पुलिस महानिरीक्षक छेरिंग दोरजे ने मेलघाट में कुपोषण से होने वाली मौते व स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी रिपोर्ट खंडपीठ के सामने पेश की.
रिपोर्ट में दोरजे ने कहा है कि मेलघाट में कुपोषण से निपटने के लिए व्यापक योजना बनाने की जरुरत है जिससे गर्भवती व बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं की परेशानियो का भी हल निकाला जा सके. मेलघाट में अभी भी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से आशा वर्करों पर ही निर्भर है. इस तरह की रिपोर्ट छेरिंग दोरजे व्दारा प्रस्तुत किए जाने के पश्चात मुंबई हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मेलघाट और अन्य आदिवासी इलाकों में कुपोषण से होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए ठोस योजनाएं बनाने की आदेश जारी किए.
तांत्रिकों से उपचार करवाने पर पर बिगडती है सेहत
मुंबई हाईकोर्ट में आदिवासी इलाकों में कुपोषण से होने वाली मौतों को लेकर याचिका दर्ज की गई थी. जिसमें हाईकोर्ट व्दारा रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी आयपीएस अधिकारी छेरिंग दोरजे को दी गई थी.आयपीएस छेरिंग दोरजे ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा कि आदिवासी इलाकों में अब भी लोगों में अंधविश्वास व कुरितियां कायम है. जिसके चलते यह लोग स्वास्थ्य केंद्रों पर उपचार के लिए जाने में हिचकिचाते है और तांत्रिको के पास जाकर उपचार करवाते है. जिसकी वजह से उनकी सेहत बिगडती है. उन्हें मुख्य धारा से जोडना चाहिए ऐसा रिपोर्ट में कहा.
आदिवासियों का पलायन भी बडा मसला
आयपीएस अधिकारी दोरजे ने कहा कि आदिवासी इलाकों से आदिवासियों का पलायन भी बडा मसला है. रिपोर्ट के मुताबिक मेलघाट में बडे पैमाने पर आदिवासी महिलाएं दूसरे इलाकों में पलायन करती है. कई बार यह महिलाएं गर्भवती भी होती है मेलघाट में रहते तो इन्हें पोषक आहर मिल सकता है किंतु दूसरी जगह पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती. जब तक यह महिलाएं वापस मेलघाट लौटती है तब तक काफी कमजोर हो जाती है उनकी घरों की बनावट ऐसी है कि वहां पर हवा की आवाजाही के लिए वेटिंलेशन न के बराबर है. इससे भी बीमारियां फैलती है और लोग चपेट में आते रहते है. इन इलाकों में शिक्षा का प्रसार भी काफी कम है. शिक्षा का प्रसार भी यहां होना आवश्यक है.
नंदूरबार,पालघर व डहाणू में 400 बच्चों की मौत
राज्य के महाअधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि वे इस रिपोर्ट के आधार पर अगली सुनवाई के दौरान पहले सरकार की अल्पकालीक योजनाओं के बारे में जानकारी देंगे. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता बंडू साने ने कहा कि अभी भी नंदूरबार, पालघर व डहाणू में बच्चों की मौते हो रही है. अब तक इन इलाकों में 400 बच्चों की मौते हो चुकी