इस कालोनी में 15 वर्षों से कडाई से है प्लास्टिक पाबंदी
महिलाओं, बच्चों का भी उत्स्फूर्त सहभाग
* साईनगर की नित्यानंद कालोनी में और भी खूबियां
* भास्कर पेरे पाटिल के हस्ते हुआ सम्मान
अमरावती /दि.6– प्लास्टिक का भस्मासुर सभी का जीवन प्रभावित कर रहा है. इसने मानव जीवन में बुरी तरह घुसपैठ कर रखी है. हर कोई प्लास्टिक पन्नी से लेकर उसके विविध उपयोग धडल्ले से कर रहा है. आज का दैनंदिन जीवन प्लास्टिक से पटा पडा है. ऐसे में प्लास्टिक रहित कालोनी की कल्पना थोडी अलबेली लग सकती है. किंतु अमरावती के साईनगर क्षेत्र की नित्यानंद कालोनी ने गत 15 वर्षों से प्लास्टिक पर कडाई से प्रतिबंध लगा रखा है. मजे की बात यह है कि, अब महिलाएं और बच्चे इस पाबंदी का उत्स्फूर्त क्रियान्वयन कर रहे हैं. प्लास्टिक पाबंदी के कारण गत रात साई लॉन्स में हुए कार्यक्रम में नित्यानंद कालोनी के नागरिकों की पीठ स्वयं पाटोदा आदर्श ग्राम के रचयिता भास्करराव पेरे पाटिल ने थपथपाई. उनका सम्मान किया.
* इन महिलाओं का सहभाग
प्लास्टिक पाबंदी की वजह से नित्यानंद कालोनी के लोगों को स्वच्छ भारत अभियान से लेकर महापालिका और पुलिस आयुक्तालय से भी गौरवान्वित किया गया है. महिलाओं ने ही प्लास्टिक पन्नी और अन्य वस्तुओं के उपयोग से परहेज किया. उनमें सुनीता धोपटे, अनीता निशाने, अक्षता महाजन, ज्योति आलसेट, सुनीता गुर्जर, प्राजक्ता देशमुख, विनिता ठाकरे, करुणा बंदे, प्राजक्ता चव्हाण, साधना शेंदरे, वंदना शेलके, शिल्पा निमकर्डे, वीणा महाजन, चित्र पिंपलगांवकर, प्रणिता कडू, रुपाली वानखडे, वीणा खेडकर, वैशाली सातंगे, शीतल शहाडे, अर्चना मुंदे, शुभांगी रंगे, अर्चना गुल्हाने, वैशाली कदम और अन्य का समावेश है.
* बर्तन लेकर जाते दूध लेने
कालोनी के लोग द्रव्य पदार्थ दूध आदि के लिए निसंकोच बर्तन का उपयोग करते हैं. जबकि इन दिनों डेयरी संचालक प्लास्टिक पन्नीयों में पैक कर दूध सहजता से दे रहे हैं. उसी प्रकार राज्यस्तर की सहकारी डेयरी भी प्लास्टिक पैकेट में दूध उपलब्ध करवाती है. ऐसे में कालोनी के प्रा. धोपटे बताते हैं कि, कालोनी में सार्वजनिक और व्यक्तिगत दोनों ही प्रकार के आयोजन में प्लास्टिक अथवा पेपर से बने ग्लास, कप और प्लेट का उपयोग करने की बजाए स्टील के बर्तनों का उपयोग हो रहा है. इसके लिए सभी ने मिलकर व्यवस्था कर ली है. उसी प्रकार सभी 40-50 घरों में कपडे की थैलियों का वितरण कर प्लास्टिक पन्नीयों का उपयोग रोका गया. अब तो बच्चे और महिलाएं अधिक सक्रिय हो गए हैं.
* बगीचा चकाचक, जलसंकट से निपटा
प्रा. धोपटे और बडनेरा स्टेशन पूर्व प्रबंधक राजेंद्र निशाने ने बताया कि, उनके बस्ती का गार्डन बारह माह हराभरा रहता है. पेड-पौधों को देने के लिए पानी की व्यवस्था तरकीब लगाकर की गई है. उसी प्रकार रेनवॉटर हार्वेस्टिंग को अपनाया गया है. बेशक सभी नागरिकों के योगदान से ही यह संभव हुआ है. बच्चों को खेलने हेतु 15 हजार वर्गफीट का मैदान उपलब्ध कराया गया है.