पलाश के फूलों के रंग से होली खेलना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
पलाश के फूलों की बहार देती है रंगोत्सव की आहट
* पलाश के फूलों का उपयोग आयुर्वेद औषधी में किया जाता है
अमरावती/ दि. 18– होली तथा धुलिवंदन को केवल 2 दिन ही शेष रह गये है. उस निमित्त से पहाडी रास्ते में तथा जंगल के रास्ते की ओर कडी धूप में सदाबहार लाल केसरी पलाश के फूलों से प्रकृति ने भी रंगोत्सव की शुरूआत की है. पलाश के फूलों से शहर सहित जिले का परिसर आकर्षक हो गया है. वह रंगोत्सव की आहट दे रही है.
जिले के विविध क्षेत्र में सदाबहार पलाश के पेड रंग बिखरते हुए दिखाई देते है. यह फूल अनेकों का मन मोह लेते है. प्राकृतिक की यह रंग पंचमी उनके मन को आकर्षित करती है. कृत्रिम व रासायनिक रंगोें के उपयोग से पूर्व पलाश के फूलों से प्राकृतिक रूप से बनाए हुए रंग से ही होली खेलकर आनंद मनाया जाता था. किंतु समय के अनुसार उसका उपयोग कम हो गया है.
रंग पंचमी के उत्साह में रंग खेलते हुए उत्सव मनाने का त्यौहार रंगपंचमी के पर्व पर प्राकृतिकी में भी रंगोत्सव उत्साह से मनाने का खिले हुए पलाश के फूल आकर्षित हुए दिखाई दे रहे है. इससे पूर्व धुलिवंदन को एक दूसरे के उपर रंग डालने के लिए पलाश के फूलों से रंग तैयार कर खेला जाता था. आयुवेर्दिक औषधी वनस्पति के रूप में इसका आज भी उपयोग होता है. पलाश के फूल पानी में डालकर नहाने से त्वचा रोग नष्ट होते है.ऐसा आयुर्वेद में बताया गया है.
* पलाश के फूलों के गुण इस प्रकार है
शरीर की गर्मी कम होने में सहायता मिलती है. शरीर को ठंडक मिलती है.पानी की कमी पूरी होती है. गर्मी के दिनों में नाक से आनेवाले रक्त के लिए उपयोगी है. पेट व जॉइंट पर उपयोगी है.