अमरावती/ दि.26– एक ओर किसानों को कृषि पूरक व्यवसाय के नाम से पशु संवर्धन का पुरस्कार दिया जाता है. दूसरी ओर पशुओें पर उपचार करने वाले जिले के पशु संवर्धन अस्पतालों की दुर्दशा है. जिले के पशु संवर्धन अस्पताल ही बीमार पडे है. जिसमें अपने पशुओं के उपचार के लिए किसानों को भटकना पड रहा है. जिले के अनेक अस्पतालों में पिछले अनेक सालों से एक्स-रे मशीन बंद पडी है और अन्य सुविधाएं भी अस्पतालों में नहीं है.
जनप्रतिनिधियों व्दारा भी इस गंभीर समस्या की अनदेखी की जा रही है. जिले में पशु संवर्धन विभाग अंतर्गत 7 लघु चिकित्सालय है जिसमें दर्यापुर, अंजनगांव सुर्जी, अचलपुर, मोर्शी, वरुड, चांदूर बाजार, चांदूर रेल्वे तथा अमरावती का समावेश है. अनेको बार पशुओं को जबर्दस्त वेदना होने के पश्चात उनके अवयव का एक्स-रे निकालना जरुरी होता है. किंतु अनेको सालों से अस्पतालों में एक्स-रे मशीन बंद पडी है जिसके चलते उनका उपचार अंदाज से किया जा रहा है.
विशेषज्ञों का अभाव
अनेको पशु वैद्यकीय अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव होने के चलते गांव के पशुओं का निजी चिकित्सालयों में उपचार किया जा रहा है. अनेक शासकीय पशु चिकित्सालय में सुविधा उपलब्ध न होने से पशु पालकों व्दारा सुविधाओं की मांग की जा रही है.
एक्स-रे मशीन का मुद्दा प्रादेशिक पशुसंवर्धन विभाग से संबंधित
एक्स-रे मशीन का मुद्दा प्रादेशिक पशु संवर्धन विभाग से संबंधित है. अमरावती जिला परिषद अंतर्गत पशु चिकित्सालयों में पर्याप्त मात्रा में मानव संसाधन उपलब्ध करवाया गया है. राज्य सरकार की ओर से एक्स-रे मशीन के लिए भी निधि दी जाती है.
– डॉ. पुरुषोत्तम सोलंके, जिला पशु संवर्धन अधिकारी