* 300 से अधिक ग्राहकों के साथ की थी धोखाधडी
* मामले की पुन: जांच शुरु
अमरावती/दि.23-कार्मिक बैंक मामले की पुनः जांच शुरू हो गई है, जिसमें अमरावती में 300 से अधिक छोटे व्यापारियों के साथ धोखाधडी की थी. इस मामले की जांच पिछले डेढ साल से बंद थी, इसलिए सांसद बलवंत वानखडे ने सीधे पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा. तद्अनुसार, आयुक्त ने गाडगेनगर पुलिस को तत्काल जांच कर आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है.
उल्लेखनीय है कि, संभाजीनगर स्थित कार्मिक निधि बैंक के निदेशक संतोष सरदार और दो अन्य लोगों ने यहां एक शाखा शुरू की थी. इस बैंक में निवेश करने के लिए छोटे व्यापारियों को जानबूझ कर विभिन्न प्रोत्साहन दिए गए, बैंक ने उनसे कहा था कि, आपके आज के छोटे निवेश को भविष्य में बडा निवेश बनाने में आपकी मदद करेगा. संतोष सरदार और उनके साथियों ने आश्वासन दिया था कि, छह महीने में जो रकम आप जमा करेंगे, उसके आधार पर आपको बडा लोन दिया जाएगा. लेकिन हकीकत में ऋण तो नहीं दिया गया, बल्कि बैंक ने सब्जी, बिस्कुट और फल बेचने वाले छोटे व्यापारियों द्वारा निवेश की गई राशि भी छह महीने बाद लौटाने से इनकार कर दिया जब दबाव बढा तो संतोष सरदार और उसके साथियों ने बैंक को बंद कर दिया अमरावती से भाग गए. इस में जगदीश कन्हैयालाल श्रीवास व अन्य व्यापारियों ने 5 जुलाई 2023 को शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, आरोपी अभी भी फरार है क्योंकि पुलिस ने जांच में तेजी नहीं लाई है. इस बीच निवेशकों ने बार-बार पुलिस थाने दरवाजा खटखटाया. इतना ही नहीं, उन्होंने संभाजीनगर जाकर संतोष सरदार और उसके साथियों का पता लगाने की कोशिश भी की.
हालांकि, वह वहां से भी भाग गया था. इसलिए, धोखा खाए हुए सभी लोगों ने सांसद बलवंत वानखडे से मुलाकात की और उनसे न्याय की मांग की. तदनुसार, पुलिस ने अब फिर से जांच शुरू कर दी है.
* जल्द ही आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा
पुलिस आयुक्त के आदेश के बाद आर्थिक अपराध शाखा के एएसआई किशोर आगले ने जगदीश प्रसाद श्रीवास और अन्य शिकायतकर्ताओं के बयान दोबारा दर्ज किए, इससे पहले इस मामले की जांच गाडगेनगर पुलिस अधिकारी पंकज ढोके को सौंपी गई थी, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद भी मामला अनसुलझा ही रहा. आगले ने कहा कि, अब पुलिस आयुक्त के आदेश पर गाडगेनगर थाने के एक अन्य अधिकारी मामले की फिर से जांच करेंगे और जल्द ही आरोप पत्र दाखिल करेंगे.