यहां पुलिस अधिकारी भी रहते थे तारीख पर उपस्थित
कथित लवाद अधिकारी प्रकरणों के फैसलों में पुलिस को आदेश जारी करता था मामला दर्ज करने के
वहां पुलिस अधिकारी भी आ गए थे झांसे में
* यहां पुलिस अधिकारी भी रहते थे तारीख पर उपस्थित
अमरावती/ दि. 3–शहर के पंचवटी चौक के पास चलनेवाले कथित लवाद न्यायाधिकरण के झांसे में पुलिस अधिकारी भी आ गए थे. वर्षो से चल रहे इस कथित लवाद में अनेक प्रकरणों का निपटारा किया गया. अनेक फैसले ऐसे थे जिसमें लवाद की तरफ से संबंधित अधिकारी द्बारा पुलिस अधिकारियों को भी फौजदारी मामले दर्ज कर कार्रवाई किए जाने की रिपोर्ट न्यायाधिकरण में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे. इस कारण यह बात स्पष्ट होती है कि जिस तरह आम लोग इस कथित लवाद के जाल में फंसकर ठगे गए, उसी तरह पुलिस प्रशासन भी उनके झांसे में आ गया था.
मोर्शी रोड पर पंचवटी चौक के पास वर्षो से चलने वाले इस कथित लवाद न्यायाधिकरण का भंडाफोड सरकारी वकील एड. सुनील देशमुख द्बार जिला सत्र न्यायालय (1) के पास की शिकायत और इस शिकायत पर सहायक पुलिस आयुक्त पूनम पाटिल द्बारा अदालती आदेश पर की गई जांच तथा जिला वकील संघ द्बारा जिलाधिकारी पवनीत कौर के पास की गई शिकायत के बाद हुआ. 14 अक्तूबर को शिकायत देते ही जांच के आदेश जारी होने के बाद इस कथित लवाद कार्यालय को संबंधितों द्बारा ताले लगा दिए गए. कथित लवाद अधिकारी सिध्दार्थ शिवनाथ रामटेके अभी गाडगेनगर पुलिस की हिरासत में है. उसका कल रविवार को पुलिस रिमांड समाप्त होने पर उसे फिर से अदालत में पेश किया जाएगा. लेकिन इस कथित लवाद अधिकारी ने अपने सहयोगियों की सहायता से जाल काफी फैला दिया था. अब तक हजारों प्रकरणों का निपटारा कर वैसे आदेश भी वहां आनेवाले शिकायतकर्ताओं को सौंपें है और बदले में उसके वकीलों ने संबंधितों से पैसें भी ऐंठे है. लेकिन यह पूरा फर्जीवाडा रहने की बात सामने आने पर क्या अब संबंधितों को उनके पैसे मिलेंगे? साथ ही खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पुलिस अधिकारियों के सामने रौब जमाकर जिन पर सरकारी कामकाज में रूकावट निर्माण करने की धारा 353 के तहत मामले दर्ज करवाए और जो बेवजह पुलिस कार्रवाई में फंसे उन लोगों ने आगे क्या करना ? यह प्रश्न भी अब उपस्थित हो रहा है. साथ ही आरोपी सिध्दार्थ रामटेके के कहने पर पुलिस अधिकारी तारीखों पर आवश्यक दस्तावेज लेकर इस कथित लवाद में पेश हुए और सरकारी कागजपत्र भी सौंपे. ऐसे पुलिस अधिकारियों द्बारा अब आरोपी सिध्दार्थ रामटेके पर प्रशासन के जरिए क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही है ? जबकि ऐसे मामले गाडगेनगर थाने में अनेक है. एक प्रकरण तो ऐसा है जिसमें शहर के हनुमान नगर निवासी रविन्द्र पंढरीनाथ जरूदे पर गाडगेनगर पुलिस ने सिध्दार्थ रामटेके की शिकायत पर 7 अप्रैल 2021 को सरकारी कामकाज में बाधा निर्माण करने की धारा 353, 294, 506, 34 के तहत मामला दर्ज किया था और उसे जमानत न मिलने के कारण 18 दिन कारागृह में रहना पडा था. ऐसे कथित लवाद अधिकारी की शिकायत पर पुलिस अधिकारियों द्बारा बेगुनाहों पर कार्रवाई की गई है. इस कारण पुलिस प्रशासन ने खुद शिकायतकर्ता बनकर इस कथित लवाद की गहन जांच करनी चाहिए तभी वर्षो से चल रहे इस न्यायाधिकरण के सभी मामले सामने आएंगे. क्योंकि यह लवाद न्यायाधिकरण पूरी तरह बोगस रहने की बात सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन भी उसके झांसे में आया था यह बात इससे स्पष्ट होती है. पिछले एक माह से इस कथित लवाद कार्यालय पर ताले लगे है और हो सकता है वहां रखे सभी दस्तावेज भी आरोपी सिध्दार्थ रामटेके ने बडी चालाकी से गायब भी कर दिए होंगे. लेकिन वर्तमान में वह पुलिस हिरासत में है और पुलिस उससे किस तरह की पूछताछ कर रही है. यह भी महत्वपूर्ण रहेगा. अब दिनोंदिन इस आरोपी के खिलाफ और भी पुलिस में शिकायतें आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
* पुलिस प्रशासन दोषी नहीं क्या ?
आरोपी सिध्दार्थ वानखडे मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर की तरह समानांतर बैंच चलाता था. वह फैसले भी उसी तरह के देता था. उसके सबूत एड. अनिल विश्वकर्मा द्बारा अदालत में पेश किए गए तब सभी लोग अचंभित हो गए थे. पुलिस प्रशासन ही इस कथित अधिकारी के झांसे में आ गया था और अब यह दिखाई देने लगा है कि यह लवाद ही फर्जीवाडा था. तब यह भी सवाल उठते है कि इसमें जिन लोगों पर कार्रवाई की गई उसमें पुलिस प्रशासन दोषी नहीं है क्या? क्योंकि पुलिस ने बिना कोई जांच पडताल किए सिध्दार्थ रामटेके के निर्देश और उसकी शिकायतों पर अनेक बार लोगों पर कार्रवाई की है.
* राजापेठ पुलिस को भी दिए थे कार्रवाई के आदेश
इस कथित लवाद न्यायाधिकरण के एक ओर लवाद अधिकारी निमिष बंसल ने इसी वर्ष 21 जुलाई 2022 को एक चार पहिया वाहन विवाद के प्रकरण में राजापेठ पुलिस को सुमित और ऋषिकेश नामक युवकों पवर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 (ब), 193, 406, 420, 468, 471, 34 के तहत तत्काल कार्रवाई करने और कार्रवाई की रिपोर्ट न्यायाधिकरण को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे. इस कारण राजापेठ पुलिस ने भी इस प्रकरण में रामटेके के खिलाफ आगे कार्रवाई करनी चाहिए.
* लवाद के किसी भी आदेश पर हमारा अमल नहीं
लवाद न्यायाधिकरण का इस वर्ष जुलाई माह में वाहन विवाद मामले में आदेश प्राप्त हुआ था. लेकिन हमने उसका कोई पालन नहीं किया है. क्योंकि उस लवाद को ऐसे अधिकार नहीं रहते. अनेक प्रकरण ऐसे रहते है जो पुलिस स्टेशन में आने के बाद संबंधित उसे लवाद में ले जाता है. इस कारण बयान आदि के कागजपत्र सौंपे होगे. अन्य कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अब यह बात स्पष्ट होती जा रही है कि वह लवाद न्यायाधिकरण बोगस था.
मनीष ठाकरे, थानेदार, राजापेठ