अमरावती/दि.14 – शालाएं शुरु होने के बाद हमेशा ही विद्यार्थियों की सुरक्षित आवाजाही का विषय चर्चा में रहता है और इसे लेकर कई बार बैठके भी होती है. दो दिन पूर्व ही शहर यातायात पुलिस में विद्यार्थियों को शालाओं में लाने-ले जाने का काम करने वाले वाहनों की पार्किंग की जबाबदारी स्कूल प्रशासन पर रहने की बात कहीं थी ओर कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए थे. लेकिन इसके बावजूद कई शालाओं द्बारा पुलिस के आदेशों व निर्देशों का कोई पालन नहीं किया जाता. बल्कि इन शालाओं की सभी स्कूल वैन फूटपाथों व रास्तों पर ही खडी रहती है.
बता दें कि, दो दिन पूर्व ही नियमबाह्य तरीके से खडी रहने वाली एक शाला की 30 शालेय बसों पर शहर यातायात पुलिस द्बार कार्रवाई की गई थी. अधिकांश शालाओं के पास अपनी खुद की मिल्कियत रहने वाली बडी-बडी इमारतें और बडे-बडे मैदान है. लेकिन इन शालाओं में भी विद्यार्थियों को लाने-ले जाने का काम करने वाले शालेय वाहनों की पार्किंग हमेशा ही आवाजाही वाले रास्तों एवं फूटपाथ पर ही होती रहती है. स्थानीय इर्विन चौक से गर्ल्स हाईस्कूल चौराहें से होते हुए जिलाधीश कार्यालय की ओर जाने वाले रास्ते पर शहर के अन्य रास्तों की तुलना में हमेशा ही काफी अधिक भीडभाड होती है, लेकिन विद्यार्थियों को स्कूल लाते समय और स्कूल छुटने के बाद उन्हें घर ले जाते समय सभी शालेय वाहन शाला के मैदान पर नहीं, बल्कि आवाजाही वाले रास्तों पर खडे रहकर ही विद्यार्थियों को लाने-ले जाने का काम करते है. शालेय विद्यार्थियों की आवाजाही के लिहाज से गृह एवं शालेय विभाग द्बारा तय किए गए नियमों के हिसाब से यह बात बेहद विपरित है, लेकिन इसके बावजूद भी इस संदर्भ में अभी भी गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया जाता. शाला शुरु होने और छूटने के समय विद्यार्थियों की स्कूल बस व वैन के पास काफी अधिक भीड-भाड हो जाती है. ऐसे समय यदि रास्तें से गुजरने वाला कोई वाहन अनियंत्रित हो गया, तो कोई भी बडी दुर्घटना हो सकती है. यह विचार शहर में नामांकित व बडी-बडी शालाएं चलानेवाले शिक्षा संस्था संचालकों के मन में आज तक कैसे नहीं आयी. इसे लेकर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है. वहीं एक आश्चर्य वाली बात यह भी है कि, कई बडी व नामांकित शालाओं के पास वाहनों की पार्किंग के लिए मैदान ही नहीं है, तो बच्चों के खेलने के लिए मैदान उपलब्ध रहने का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन इसके बावजूद उन्हें शाला चलाने की अनुमति मिली हुई है.
* नियमों पर चर्चा क्यों होती है?
हर साल औपचारिकता पूरी करने के लिहाज से जिला शालेय परिवहन समिति की दो बैठके होती है. जिनमें पुलिस, आरटीओ व शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल होते है और इन सभी लोगों द्बारा विद्यार्थियों की आवाजाही एवं शालेय परिवहन से जुडे नियमों पर चर्चा की जाती है. जो एक तरह से खानापूर्ति ही होती है. चूंकि सभी नियम सभी अधिकारियों को पहले से पता होते है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यही है कि, आखिर बैठक आयोजित करते हुए नियमों पर चर्चा क्यों होती है और इसकी बजाय उन नियमों को अमल में लाने हेतु कोई प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए जाते.