* विद्यापीठ में महात्मा फुले जयंती पर व्याख्यान
अमरावती/ दि.13 – महात्मा ज्योतिबा फुले इन्होंने शत्यशोधक अभियान शुरु किया. जिसके बाद इस अभियान को राजर्षी शाहु महाराज व डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने आगे बढाया. बाबासाहब ने संविधान की निर्मिती की, शत्यशोधक अभियान के मनुष्य केंद्रित मूल्यों को संविधान में अंतरभूत किया गया है. इसलिए संविधान आधारित नीति पर कृति की जरुरत रहने का प्रतिपादन वर्धा के साहित्यिक डॉ. अशोक चोपडे ने किया.
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में सामाजिक समता सप्ताह पर्व पर महात्मा ज्योतिबा फुले व उनका सत्यशोधक अभियान विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस अवसर पर बतौर प्रमुख वक्ता डॉ. अशोक चोपडे ने अपने व्याख्यान से संविधान तथा महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में कुलगुरु डॉ. दिलीप मालखेडे, व्यवस्थापन परिषद सदस्य मिनल भोंडे, डॉ. आंबेडकर अभ्यास केंद्र के समन्वयक डॉ. संतोष बनसोड आदि उपस्थित थे. महात्मा ज्योतिबा फुले इन्हें सत्यशोधक अभियान क्याेंं शुरु करना पडा, तत्कालीन परिस्थिती कैसी थी इस पर विस्तार से जानकारी देते डॉ. चोपडे ने बताया कि, बहुजन समाज के बच्चों को शिक्षा मिले यह उनका सपना था. उन्होंने तत्कालीन स्थिति में जो-जो भूमिका लेनी जरुरी थी वह लेकर महिलाओं को समान दर्जा, किसानो की समस्याएं व अन्य विषयों पर काम किया.
महात्मा फुले के इस सत्यशोधक अभियान को राजर्षी शाहु महाराज ने आगे बढाया. उन्होंने राज्य में 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किए. जिसके बाद डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने संविधान में सत्यशोधक अभियान की नीतियों का समावेश किया जिससे समाज में समानता आना शुरु हुआ. लेकिन उसके बाद यह सत्यशोधक अभियान जिस गति से आगे बढना चाहिए था वैसा नहीं हुआ. जब तक संपूर्ण समाजिक समता, स्त्री-पुरुष समानता नहीं आएगी व जाति व्यवस्था नष्ट नहीं होगी तब तक यह अभियान यशस्वी हुआ ऐसा नहीं कहा जा सकता है. इसलिए इस अभियान को आगे बढाने के लिए सभी आगे आए यह अपील भी उन्होंने की. कार्यक्रम को विद्यापीठ के सभी शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी व छात्र बडी संख्या में उपस्थित थे.