अमरावती

नेताओं के आने से सीनेट चुनाव पर चढा राजनीतिक रंग

अमरावती/दि.10– आगामी 20 नवंबर को संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के अधिसभा (सीनेट), विद्वत परिषद तथा अभ्यासमंडल प्रतिनिधियों का चुनाव होना हैं. जिसमें यद्यपी राजनीतिक दलों का प्रत्यक्ष सहभाग नहीं हैं, लेकिन कई सत्ताधारी व विपक्षी विधायकों ने कई उम्मीदवारों के पीछे अपना समर्थन खडा किया हैं. जिसके चलते अब इस चुनाव पर राजनीतिक रंग चढता नजर आ रहा हैैं और इस चुनाव में सीधे-सीधे राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का स्वरुप भी प्राप्त कर लिया हैं.
इस चुनाव में पूर्व मंत्रीद्वय हर्षवर्धन देशमुख व वसंत पुरके व्दारा नामांकन पत्र दाखिल किए जाने के चलते सीनेट चुनाव की ओर राजनीतिक क्षेत्र का ध्यान आकर्षित हुआ. परंतु वसंत पुरके व्दारा नामांकन वापिस ले लिए जाने के चलते ‘नूटा’ समर्थित विजय मोघेे निर्विरोध निर्वाचित हो गए. बता दे कि, विजय मोघे पूर्व मंत्री शिवाजीराव मोघे के भतीजे हैं. वहीं श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री हर्षवर्धन देशमुख संस्था चालक निर्वाचन क्षेत्र से यह चुनाव लड रहे हैं. ऐसे में कई उम्मीदवारों ने राजनीतिक समर्थन हेतु अपने नजदीकी विधायकों से समर्थन हासिल करने का प्रयास शुरु कर दिया हैं. जिसके चलतेे इस चुनाव में प्रतिस्पर्धा बढ गई हैं. वहीं इस बीच भाजपा विधायक प्रताप अडसड की सीनेट में विधानसभा के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्ति की गई.
बता दे कि, इस चुनाव में डॉ. प्रवीण रघुवंशी के नेतृत्व वाले नूटा, प्रा. प्रदीप खेडकर के नेतृत्व वाले शिक्षा मंच व प्रा. कमलाकर पायस के नेतृत्व वाले जस्टीस पैनल इन संगठनों के प्रत्याशियों सहित निर्दलिय प्रत्याशियों में प्रतिस्पर्धा चल रही हैं साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व शिक्षामंच इस प्रतिस्पर्धा में आगे दिखाई दे रहे हैं. अ.भा.वि.पा. व्दारा पदवीधर निर्वाचन क्षेत्र में सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी खडे किए गए हैं.

* नूटा व शिक्षा मंच में कांटे की टक्कर
इस समय मुख्य तौर पर नूटा और शिक्षा मंच इन दो प्रमुख संगठनों के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही हैं और दोनो ही संगठनों के प्रत्याशियों ने प्रत्यक्ष प्रचार के साथ ही सोशल मिडिया पर ही अपना जमकर प्रचार करना शुरु किया हैं. इसके साथ ही सत्ताधारी एवं विपक्षी विधायकों ने भी विद्यापीठ की राजनीती में अपना प्रभाव बढाने के लिए प्रयास शुरु किए हैं. संभाग के पांचों जिलों में रहनेवाले हर एक मतदाता तक पहुंचना उम्मीदवारों के लिए काफी मुश्किल काम साबित हो रहा हैं. वहीं कई संस्थाचालक उम्मीदवार सीनेट में पहुंचने के लिए अपने राजनीतिक प्रभुत्व का प्रयोग करते दिखाई दे रहे हैं. बता दें कि, सीनेट के चुनाव हेतु पांचों जिलों में कुल 35 हजार 274 मतदाता हैं जो आगामी 20 नवंबर को मतदान की प्रक्रिया के दौरान अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जिसके बाद 22 नवंबर को मतगणना करते हुए चुनावी नतीजों की घोषणा की जाएगी.

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