अमरावती

राणा दम्पति की वजह से अमरावती में बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण

मनपा चुनाव के दौरान ही दिखाई दे सकता है बडा राजनीतिक उलटफेर

* बदलते समीकरणों के हो सकते हैं दूरगामी परिणाम, कयासों का दौर तेज
अमरावती/दि.10- जिले की सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा इस समय राज्य सहित राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं का केंद्र बिंदू बने हुए है और लगातार खबरों की सूर्खियों में भी है. बीतेें दिनों हनुमान चालीसा का पाठ करने को लेकर राणा दम्पति द्वारा जिस तरह से शिवसेना को अपने निशाने पर लिया गया और भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ स्तर पर अपनी सीधी पहुंच बनाई गई, उसके सीधे परिणाम बहुत जल्द स्थानीय स्तर पर दिखाई देंगे और अमरावती शहर सहित जिले की राजनीति में कुछ नये समीकरण भी उभरकर सामने आयेंगे. जिसके शहर व जिले सहित राज्य की राजनीति में दूरगामी परिणाम होने के स्पष्ट आसार अभी से दिखाई दे रहे है. जिसे लेकर चर्चाओं व कयासों का दौर एक तरह से शुरू भी हो गया है.
उल्लेखनीय है कि, सर्वोच्च न्यायालय ने महानगर पालिका के चुनाव सहित राज्य के जिला परिषद, नगर पालिका व पंचायत समिती जैसे स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव की प्रक्रिया दुबारा शुरू करने को लेकर आदेश जारी किये है. जिसके लिये अभी से चुनावी गतिविधियां तेज हो गई है. चूंकि 1 फरवरी 2022 को घोषित हुई तीन सदस्यीय प्रभाग रचना को ही कायम रखा जायेगा. ऐसे में मनपा की राजनीति में अपना अच्छा-खासा प्रभाव रखनेवाले नगरसेवकों सहित प्रस्थापितों में काफी हद तक राहतवाला माहौल देखा जा रहा है. क्योंकि उनके द्वारा अब तक की गई तैयारियां आगे भी काम में आयेगी. लेकिन अब विगत माह से हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर राणा दम्पति और शिवसेना के बीच जिस तरह से राजनीतिक उठापटक का दौर चल रहा है और जिस तरह के दांवपेच राणा दम्पति द्वारा आजमाये जा रहे है, उसे देखते हुए अब अमरावती शहर के राजनीतिक समीकरणों में काफी उलटफेर व उथल-पुथल होने की संभावना है.
ज्ञात रहे कि, महानगर पालिका के विगत चुनाव में विधायक रवि राणा ने अपनी युवा स्वाभिमान पार्टी के करीब 56 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. किंतु पार्टी को केवल 3 सीटों पर ही सफलता मिली थी. इसे विधायक रवि राणा के लिए काफी बडा राजनीतिक झटका माना गया. क्योंकि जिस बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व विधायक राणा द्वारा किया जाता है, उसका अधिकांश हिस्सा अमरावती महानगरपालिका के क्षेत्र अंतर्गत आता है. ऐसे में लगातार तीन बार से विधायक निर्वाचित होनेवाले रवि राणा को विगत मनपा चुनाव में कुछ अधिक सीटों पर सफलता मिलने की उम्मीद थी और उन्होंने उस समय चुनाव में अपनी काफी ताकत भी झोंकी थी. लेकिन उन्हेें केवल तीन सीटों पर ही सफलता मिली. वही वर्ष 2017 में हुए चुनाव के उपरांत लोकसभा का चुनाव हुआ. जिसमें नवनीत राणा ने भारी-भरकम वोट प्राप्त करते हुए जीत हासिल की. ऐसे में अब राणा दम्पति की ताकत पहले की तुलना में काफी अधिक बढ गई है और इस बार राणा दम्पति द्वारा मनपा की सत्ता को अपने हाथ में लेने का पूरजोर प्रयास किया जा रहा है.
यहां यह भी ध्यान दिये जानेवाली बात है कि, विगत मनपा चुनाव के समय कांग्रेस छोडकर भाजपा में गये डॉ. सुनील देशमुख अमरावती के विधायक हुआ करते थे और उनके नेतृत्व में भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए मनपा में रिकॉर्ड 45 सीटें जीती थी. साथ ही भाजपा को कांग्रेस व राकांपा की कमजोरी व बिखराव का भी काफी बडा फायदा मिला था, लेकिन अब हालात एक बार फिर पूरी तरह से बदल गये है, क्योेंकि डॉ. सुनील देशमुख एक बार फिर भाजपा छोडकर कांग्रेस में वापिस लौट चुके है और उन्होंने अमरावती शहर में कांग्रेस को अधिक से अधिक मजबूत करने पर अपना ध्यान केंद्रीत करना शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी ओर राकांपा नेता संजय खोडके नये जोश के साथ राकांपा को शहर की राजनीति में स्थापित करने का प्रयास कर रहे है, ताकि पार्टी को एक बार फिर मनपा की सत्ता में वापिस लाया जा सके. यद्यपि राकांपा नेता संजय खोडके की पत्नी सुलभा खोडके इस समय कांग्रेस की विधायक है, किंतु उनकी भूमिका बेहद संतुलित है. ऐसे में दोनों ही दलों को जनाधार बढाने में उनकी सहायता ही होगी.
वहीं दूसरी ओर भाजपा के लिए इस बार का चुनाव पिछली बार की तरह आसान नहीं होगा, क्योेंकि पिछली बार भाजपा के पास डॉ. सुनील देशमुख जैसे कद्दावर नेता का चेहरा व नेतृत्व था. जिनकी अगुआई में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था. यद्यपि पार्टी के पास आज भी नेताओं व प्रभावशाली चेहरों की कमी नहीं है, लेकिन हर नेता के अपने-अपने गुट बने हुए है और पार्टी एक तरह से गुटबाजी में बंटी हुई है. इसके साथ ही अब भाजपा के स्थानीय नेताओं को विधायक रवि राणा के पार्टी में वरिष्ठ स्तर पर बढते प्रभाव की चुनौती से भी जूझना पड रहा है, क्योंकि सांसद नवनीत राणा ने केंद्र मेें भाजपा सरकार का समर्थन करते हुए खुद को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समकक्ष लाकर खडा कर दिया. वहीं राज्य में विधायक रवि राणा ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से नजदिकी साधते हुए राज्य स्तर पर भाजपा में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. जिसके चलते आगामी मनपा चुनाव में राणा दम्पति को भाजपा की ओर से स्टार प्रचारक बनाया जायेगा, ऐसे संकेत मिल रहे है. जिसकी वजह से भाजपा के स्थानीय नेता अवाक् हो गये है.
उल्लेखनीय है कि, मनपा के पिछले चुनाव के बाद विधायक राणा की युवा स्वाभिमान पार्टी ने मनपा की सत्ता में भाजपा के साथ भागीदारी की थी. किंतु खुद विधायक रवि राणा व भाजपा के स्थानीय नेताओं की कभी आपस में पटरी मेल नहीं खायी, बल्कि पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे व मनपा के तत्कालीन सभागृह नेता तुषार भारतीय के साथ विधायक रवि राणा का बेबनाव हमेशा जारी रहा. ऐसे में मनपा के आगामी चुनाव में भाजपा व युवा स्वाभिमान की संभावना के बारे में सोचकर भी भाजपा के स्थानीय नेताओं व प्रत्याशियों में अस्वस्थता का माहौल है और यदि ऐसी कोई युती सच में साकार होती है, तब जहां एक ओर टिकट की दावेदारी के लिए उम्मीदवारों में संघर्ष व टकराव होगा. वहीं कौन किसके पाले में रहेगा और कौन ऐस समय पर पाला बदलेगा, यह देखनेवाली बात रहेगी.
वहीं यह भी तय है कि, चूंकि इस समय राणा दम्पति ने शिवसेना सहित राज्य की महाविकास आघाडी सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा है और कांग्रेस व राकांपा में उन्हें लेकर पहले ही काफी नाराजगीवाला माहौल है, क्योेंकि राणा दम्पति ने कांगे्रस व राकांपा के सहयोग व समर्थन से ही चुनाव जीता था और वे बाद में पाला बदलकर भाजपा की ओर चले गये. ऐसे में कांग्रेस व राकांपा के स्थानीय पदाधिकारी भी उनसे हिसाब-किताब चुकता करने के लिए आगामी चुनाव का इंतजार कर रहे है. साथ ही शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस द्वारा साथ मिलकर भाजपा की घेराबंदी करने की तैयारी भी की जा रही है. साथ ही भाजपा को मनपा की सत्ता से दूर रखा जा सके. ऐसे में यदि राणा दम्पति व भाजपा युती करते हुए एकसाथ आते है, तब तो महाविकास आघाडी में शामिल तीनों घटक दलों द्वारा एक ही तीर से दो शिकार करने के लिए राणा दम्पति व भाजपा के खिलाफ अपनी पूरी ताकत लगायी जायेगी.

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