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जिला बैंक में सियासी गर्मी बढेगी

सहकारिता मंत्री के आदेश से खलबली

* संविधान में किए गये संशोधन रद्द
* सत्ताधारी गट को झटका
अमरावती/ दि. 5 – जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का राष्ट्रीय वातावरण फिर एक बार गर्म होने के आसार है. जिला बैंक में अचानक सतांतर होने के पश्चात 30 सितंबर 2023 की सभा में संविधान संशोधन का जो प्रस्ताव सत्ताधारियों ने पारित करवाया था. उसे सहकारिता मंत्रालय ने रदद कर दिया है. इस बारे में बैंक के हरिभाउ मोहोड सहित 13 संचालकों ने सहकारिता विभाग में गुहार लगाई थी. विभाग के मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने संशोधन रद्द करने का आदेश दिया है. सभी संशोधन की जांच कर नये सिरे से सुनवाई लेने का निर्देश भी दिया गया है. यह फैसला सत्तारूढ गट को बडा अधात माना जा रहा है. अब कोरम कम रहने पर सत्ताधीश संचालक बैठक नहीं ले सकेंगे.
* अध्यक्ष के त्यागपत्र बाद सत्तांतर
जिले के अधिकांश किसानों के खाते जिला बैंक में हैं. इस सहकारी बैंक पर कांग्रेस गट की सत्ता हैं. पंचवार्षिक चुनाव में जिलाध्यक्ष बबलू देशमुख और विधायक यशोमती ठाकुर के नेतृत्व में 13 संचालक चुने गये. सुधाकर भारसाकले को अध्यक्ष चुना गया. डेढ वर्ष बाद अन्य संचालकों को अवसर देने के लिए भारसाकले ने इस्तीफा दिया. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव में बबलू देशमुख, यशोमती ठाकुर गुट को बडा धक्का लगा. प्रहार के विधायक बच्चू कडू और अभिजीत ढेपे अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष चुने गये.
* 8 संचालकों के बल पर सत्ता
बच्चू कडू ने 8 संचालकों के भरोसे बैंक की सत्ता प्राप्त कर ली. उपरांत उन्होंने विपक्षी 13 संचालकों को हैरान परेशान कर दिया था. इनकी सहमति के बगैर बैंक के संविधान में कई परिवर्तन कर दिए. जिसके बाद 13 संचालकों ने विभागीय रजिस्ट्रार को शिकायत की. इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
* सहकारिता मंत्री से गुहार
सरकार ने बच्चू कडू को बडी राहत देते हुए अध्यक्ष पर अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि बढा दी. जिससे 13 संचालकों ने संविधान में किए गये बदलाव के खिलाफ सहकारिता मंत्रालय में गुहार लगाई. सहकार मंत्री वलसे पाटिल ने संविधान संशोधन रद्द कर दिए. जिसे बच्चू कडू के लिए झटका माना जा रहा है. दोबारा सुनवाई का आदेश विभागीय रजिस्ट्रार को दिया गया है.

* निर्णय स्वागत योग्य
बैंक के संचालक और पूर्व अध्यक्ष बबलू देशमुख ने कहा कि सत्ताधारियों ने गलत पध्दति से सत्ता हासिल की और कई गलत निर्णय व बदलाव बैंक के संविधान अर्थात नियमों, उपनियमों में कर दिए थे. तत्कालीन विभागीय रजिस्ट्रार की कथित मिली भगत से मान्यता ले ली थी. किंतु सहकार मंत्री ने सही अर्थो में न्याय किया र्हैं. यह स्वागत योग्य हैं.


यह निर्णय बैंक के कुछ संचालकों के पक्षीय बदलाव का संकेत रहने की बात उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे ने कही. बैंक उपाध्यक्ष ने कहा कि निर्णय से उन पर कोई असर नहीं होगा. ढेपे ने आरोप लगाया कि सहकारिता मंत्री ने हमारा पक्ष नहीं सुना. इसके विरूध्द हम हाईकोर्ट में जायेंगे. वहां हमें न्याय मिलेगा. हमारा कामकाज बराबर जारी रहेगा.

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