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लाडली बहन योजना की आड में चल रहे राजनीतिक दांवपेंच

महायुति ने अप्रत्यक्ष रुप से तय कर दिये विधानसभा के प्रत्याशी

* संनियंत्रण समिति के प्रमुखों की नियुक्ति से चित्र हुआ स्पष्ट
अमरावती/दि.16 – इस समय समूचे राज्य में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को लुभाने हेतु शुरु की गई ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण’ योजना को लेकर ही चर्चाएं चल रही है और इस योजना को प्रभावी तरीके से अमल में लाने हेतु राज्य सरकार बेहद गंभीरता के साथ काम कर रही है. जिसके तहत राज्य सरकार ने राज्य के सभी 288 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति का गठन करते हुए अपने विधायकों या समर्थकों की इन समितियों के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की है. यदि राज्य सरकार की ओर से विधानसभा निहाय की गई इन नियुक्तियों को ध्यान से देखा जाये, तो स्पष्ट होता है कि, संभवत: इन नियुक्तियों के जरिए राज्य सरकार ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए महायुति की ओर से प्रत्याशियों को नाम तय कर दिये है और संभवत: समिति प्रमुख नियुक्त किये गये लोग ही आगामी विधानसभा चुनाव में महायुति प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में दिखाई देंगे. विशेष उल्लेखनीय है कि, अपने मौजूदा विधायकों को समिति प्रमुख नियुक्त करने के साथ ही जिन स्थानों पर विपक्षी दलों के विधायक है. वहां महायुति के समर्थक रहने वाले विधायकों अथवा घटक दलों के पदाधिकारियों को समिति प्रमुख नियुक्त किया गया है और 288 में से एक भी विधानसभा क्षेत्र में विपक्षी दलों के विधायक की नियुक्ति संनियंत्रण समिति प्रमुख के तौर पर नहीं हुई है. इससे अमरावती जिला भी अछूता नहीं है. ऐसे में लाडली बहन योजना की विधानसभा निहाय संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर हुई नियुक्तियों को देखते हुए जिले का भी राजनीतिक व चुनावी दृश्य काफी हद तक स्पष्ट हो जाता है.

* अमरावती में सुलभा खोडके को जिम्मा
इस समय अमरावती जिले में सभी का ध्यान पूरी तरह से अमरावती विधानसभा क्षेत्र की ओर लगा हुआ है. जहां पर मौजूदा विधायक सुलभा खोडके ने वर्ष 2019 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लडते हुए जीत हासिल की थी. विधायक खोडके एवं उनके पति संजय खोडके पूरी तरह से उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के कट्टर समर्थक है और अजीत पवार इस समय राज्य की महायुति सरकार में शामिल है. ऐसे में यद्यपि विधायक सुलभा खोडके इस समय कांग्रेस विधायक रहने के नाते सदन में विपक्षी बेंच पर दिखाई देती है. लेकिन उनकी सत्तापक्ष के साथ नजदीकी किसी से छिपी नहीं है. साथ ही उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भी टिकट हेतु कांग्रेस कमिटी के समक्ष अपना कोई आवेदन पेश नहीं किया है तथा दो दिन पूर्व अमरावती में हुई कांग्रेस की बेहद महत्वपूर्ण बैठक में भी वे दिखाई नहीं दी. वहीं अब यह खबर सामने आयी है कि, महायुति सरकार ने लाडली बहन योजना हेतु विधायक सुलभा खोडके को अमरावती विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति का प्रमुख नियुक्त किया है. ऐसे में अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि, आगामी विधानसभा चुनाव में विधायक सुलभा खोडके संभवत: अजीत पवार गुट वाली राकांपा की ओर से महायुति की प्रत्याशी हो सकती है. विशेष उल्लेखनीय है कि, लाडली बहन योजना हेतु अमरावती विधानसभा क्षेत्र की संनियंत्रण समिति पर पूर्व विधायक तथा भाजपा के शहराध्यक्ष प्रवीण पोटे पाटिल की नियुक्ति होने की उम्मीद जतायी जा रही थी. परंतु भाजपा की अकोला में हुई समन्वय बैठक में ऐन समय पर इस नियुक्ति हेतु पोटे की बजाय सुलभा खोडके का नाम आगे किया गया और इसे मंजूरी भी दी गई. साथ ही विधायक सुलभा खोडके ने यह जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए करीब 70 हजार महिला लाभार्थियों के आवेदनों को मंजूरी दिलायी.

* बडनेरा हेतु विधायक रवि राणा की नियुक्ति
इसके साथ ही बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में लाडली बहन योजना हेतु गठित विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर बडनेरा के निर्दलीय विधायक व युवा स्वाभिमान पार्टी के मुखिया रवि राणा की नियुक्ति की गई है. विधायक रवि राणा तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है. हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने विधायक रवि राणा की पत्नी व तत्कालीन सांसद नवनीत राणा को अपना अधिकृत प्रत्याशी भी बनाया था. हालांकि नवनीत राणा को हार का सामना करना पडा. परंतु इसके बावजूद अब यह तय माना जा रहा है कि, आगामी विधानसभा चुनाव में विधायक रवि राणा भाजपा व महायुति के समर्थन से चुनाव लडेंगे. जबकि खास बात यह है कि, बडनेरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की ओर से टिकट हेतु तुषार भारतीय, जयंत डेहनकर व शिवराय कुलकर्णी जैसे अनेकों दावेदार है. जिन्हें लाडली बहन योजना हेतु विधानसभा संनियंत्रण समिति का प्रमुख बनाया जा सकता था. परंतु भाजपा ने अपने सभी दावेदारों को दरकिनार करते हुए विधायक रवि राणा को इस समिति का प्रमुख नियुक्त किया और यह नियुक्ति होते ही विधायक रवि राणा भी पूरी ताकत के साथ काम पर लग गये. जिसके तहत उन्होंने लाडली बहन योजना में पात्र रहने वाली महिला लाभार्थियों को प्रमाणपत्रों का वितरण करने हेतु करीब तीन बार सम्मेलन आयोजित कर डाला और इन तीनों सम्मेलनों में लगभग 50 हजार महिलाओं को उनके प्रमाणपत्रों का वितरण किया गया.

* तिवसा में राजेश वानखडे को जिम्मेदारी
उधर जिले की कद्दावर कांग्रेस नेत्री व तिवसा निर्वाचन क्षेत्र की विधायक यशोमति ठाकुर का मजबूत गढ रहने वाले तिवसा निर्वाचन क्षेत्र में लाडली बहन योजना हेतु गठित की गई विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर महायुति सरकार ने राजेश वानखडे की नियुक्ति की है. विशेष उल्लेखनीय है कि, किसी समय कट्टर शिवसैनिक रहने वाले राजेश वानखडे ने करीब 2 साल पहले भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश किया था और सूत्रों के मुताबिक उस समय उन्हें भाजपा द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट दिये जाने की आश्वासन भी दिया गया था. यहां पर यह भी ध्यान देने वाली बात है कि, तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की पूर्व जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी भी वास्ता रखती है. साथ ही व्यापक जनसंपर्क रखने वाले भाजपा पदाधिकारी रविराज देशमुख भी टिकट के दावेदार है और इन दोनों में से भी किसी एक को समिति प्रमुख बनाया जा सकता था. लेकिन इन दोनों की बजाय शिवसेना छोडकर भाजपा में आये राजेश वानखडे को समिति प्रमुख नियुक्त किया गया है. जिनकी तिवसा क्षेत्र की विधायक यशोमति ठाकुर के साथ प्रतिद्वंदीता जगजाहीर है.

* धामणगांव रेल्वे में अडसड को सौंपा जिम्मा
इसके साथ ही धामणगांव निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक रहने वाले प्रताप अडसड को लाडली बहन योजना हेतु धामणगांव विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है. विधायक प्रताप अडसड का परिवार करीब चार दशकों से भाजपा एवं संघ परिवार के साथ जुडा हुआ है. साथ ही खुद विधायक प्रताप अडसड का मौजूदा कार्यकाल पूरी तरह से निर्विवाद रहा और उन्होंने अपने इस पहले कार्यकाल के दौरान अपने विधानसभा क्षेत्र में कई विकास कार्य भी करवाये. जिसके चलते पार्टी द्वारा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में दोबारा मौका दिया जाना लगभग तय माना जा रहा है और शायद यहीं वजह है कि, विधायक प्रताप अडसड को धामणगांव विधानसभा क्षेत्र हेतु लाडली बहन योजना की संनियंत्रण समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

* मोर्शी में भुयार पर जताया भरोसा
अमरावती की तरह मोर्शी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भी किसी भाजपा पदाधिकारी की बजाय महायुति सरकार द्वारा लाडली बहन योजना हेतु गठित संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर क्षेत्र के निर्दलीय विधायक देवेंद्र भुयार की नियुक्ति की गई है. उल्लेखनीय है कि, अभी स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के कट्टर समर्थक रहने वाले विधायक देवेंद्र भुयार इस समय उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेहद नजदीकी है. ऐसे में स्पष्ट है कि, आगामी विधानसभा चुनाव में वे अजीत पवार गुट वाली राकांपा की ओर से महायुति के प्रत्याशी हो सकते है. खास बात यह भी है कि, मोर्शी एवं वरुड इन दो तहसीलों का समावेश रहने वाले मोर्शी विधानसभा क्षेत्र को राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है और यह भी माना जा रहा था कि, संभवत: इस विधानसभा क्षेत्र में सांसद डॉ. बोंडे की सुविद्य पत्नी डॉ. वसुधा बोंडे को संनियंत्रण समिति का प्रमुख बनाया जा सकता है तथा शायद डॉ. बोंडे अपना प्रभाव क्षेत्र रहने वाले मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से अपनी पत्नी की दावेदारी हेतु प्रयास कर सकते है. परंतु संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर विधायक भुयार की नियुक्ति होते ही मोर्शी क्षेत्र को लेकर चित्र काफी हद तक स्पष्ट हो गया.

* दर्यापुर से गोपाल चंदन को मिला मौका
उधर दर्यापुर में भी लाडली बहिन योजना हेतु गठित विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर भाजपा द्वारा गोपाल चंदन की नियुक्ति करते हुए सभी को आश्चर्यचकीत कर दिया है. उल्लेखनीय है कि, दर्यापुर को एक तरह से वरिष्ठ भाजपा नेता प्रकाश भारसाकले का गड माना जाता है. हालांकि यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित रहने के चलते भारसाकले को पडोसी अकोट सीट से चुनाव लडना पडता रहा. वहीं दर्यापुर से कांग्रेस विधायक रहने वाले बलवंत वानखडे अब जिले के सांसद निर्वाचित हो चुके है. साथ ही इससे पहले शिवसेना की टिकट पर दर्यापुर के विधायक रह चुके अभिजीत अडसुल अब एक बार फिर शिंदे गुट वाली शिवसेना की ओर से दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र हेतु दावा पेश कर रहे है. परंतु भाजपा द्वारा अकोला की समन्वय बैठक में लाडली बहन योजना हेतु दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर गोपाल चंदन की नियुक्ति की गई. जिससे साफ हो गया है कि, इस बार दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र पर भाजपा द्वारा अपना दावा किया जाने वाला है.

* अचलपुर में बच्चू कडू व मेलघाट में पटेल को दी जिम्मेदारी
शिंदे गुट का समर्थन करने के साथ ही महायुति सरकार में शामिल रहने वाले अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक बच्चू कडू व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल को ही इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में लाडली बहन योजना की संनियंत्रण समितियों का जिम्मा सौंपा गया है. विशेष उल्लेखनीय है कि, इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की ओ से टिकट हेतु दावेदारों की अच्छी खासी संख्या है. जिसके तहत अचलपुर से सुधीर रसे, प्रमोद कोरडे, प्रवीण तायडे, गोपाल तिरमारे व अक्षरा लहाने तथा मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व विधायक प्रभुदास भिलावेकर व केवलराम काले सहित रेखा मावस्कर व ज्योति सोलंके (मालवे) के नाम प्रमुख है. परंतु इन सभी दावेदारों को दरकिनार करते हुए महायुति सरकार ने अपने समर्थन में रहने वाले प्रहार पार्टी के दोनों विधायकों को लाडली बहन योजना की विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति का जिम्मा सौंपने का निर्णय लिया है.

* जिले का राजनीतिक चित्र हुआ स्पष्ट
लाडली बहन योजना हेतु महायुति सरकार द्वारा विधानसभा क्षेत्र संनियंत्रण समिति के प्रमुख पद पर की गई नियुक्तियों को देखते हुए यह स्पष्ट हो रहा है कि, भाजपा द्वारा दर्यापुर, तिवसा व धामणगांव निर्वाचन क्षेत्र को अपने कोटे में रखा जा सकता है. वहीं महायुति में शामिल अजीत पवार गुट वाली राकांपा को अमरावती व मोर्शी सीट छोडी जा सकती है. साथ ही सीएम शिंदे के समर्थन में रहने वाली प्रहार पार्टी के लिए अचलपुर व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र दिये जा सकते है और भाजपा समर्थित रहने वाले विधायक रवि राणा हेतु बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र छोडा जा सकता है. बहरहाल विधानसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक जाएगा, उस समय तक और क्या राजनीतिक उथल-पुथल व बदलाव होते है, यह देखना दिलचस्प होगा.

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