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फसल मंडी चुनाव के कारण राजनीतिक गर्माहट

ठाकुर और राणा के पैनल में टक्कर

* खोड़के का तटस्थ रहना, किसे पहुंचाएगा फायदा
अमरावती/दि.15- जिले की फसल मंडी के संचालक मंडल चुनाव के कारण राजनीतिक गर्माहट देखी जा रही है. 12 मंडियों के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव 28 और 30 अप्रैल को होने है. वरुड में भाजपा ने अप्रत्याशित रुप से कांग्रेस नेताओं से समन्वय किया है. अचलपुर में भी बच्चू कडू चुनाव पर निगरानी रखे हैं. सर्वसम्मति का प्रयास कुछ सीटों पर चल रहा है. मुख्य टक्कर अमरावती फसल मंडी में देखने मिलने की संभावना है. यहां कांग्रेस की यशोमती ठाकुर और युवा स्वाभिमान के रवि राणा के पैनलों में टक्कर बताई जा रही है. तीसरा पैनल पूर्व विधायक स्व. संजय बंड का है. बंड के अनेक समर्थक अपने सोसाइटी क्षेत्र से संचालक मंडल पर चुनाव जीतते आये हैं. बड़ी बात यह है कि अब तक सहकार क्षेत्र में पैठ रखने वाले खोडके गुट ने इस बार प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में तटस्थ रहने का निर्णय किया है.
अमरावती मंडी की चुनाव प्रक्रिया शुरु है. नामांकन हो चुके हैं. आगामी 20 अप्रैल को नाम पीछे लिये जा सकेंगे. जिसके बाद चुनाव का असली चित्र सामने आना है. फिर भी माना जा रहा है कि कुछ स्थानों पर टक्कर कड़ी हो सकती है.
पिछले चुनाव में कड़ी टक्कर हुई थी. आखिरी क्षणों में बाजी पलट गई. संजय बंड गट के 7 संचालक चुने गए. इस बार परिस्थिति पहले से भिन्न है. बंड गट ने इस बार पहले ही हथियार डाल देने का नजारा है. अपने स्वतंत्र पैनल बंड गट ने नहीं उतारे हैं. फिर भी कुछ सीमित सीटों पर उम्मीदवारी ली है. तिवसा के विधायक ठाकुर के पैनल से तालमेल बैठा लिया है. अपनी कुछ सीटें बंड गट ने तय करने की चर्चा है. यशोमती के पैनल की टक्कर विधायक राणा के पैनल से होगी. राणा ने दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली नीति पर अनेक प्रतिस्पर्धी अपने पास किए है. भातकुली और अमरावती तहसील के वजनदार सहकारिता नेताओं को राणा अपनी ओर मिला रहे हैं. यह माना भी जा रहा है कि असली भिड़ंत अमरावती और भातकुली तहसील में ही होगी. पिछली बार ग्रामपंचायत की चारों सीटों पर संजय बंड गट ने विजय प्राप्त की थी. सोसाइटी निर्वाचन क्षेत्र से नाना नागमोते चुने गए थे. यशोमती ठाकुर ने अपने पैनल को महाविकास आघाड़ी नाम दिया है. जिसमें कहा जा रहा है कि बंड गट को चार स्थान दिये जा रहे हैं. संजय खोडके के चुनाव से दूर रहने के फैसले के कारण कई पदाधिकारियों का संचालक बनने का सपना टूट गया है. खोडके का मैदान से दूर रहना कौन से पैनल के लिए लाभ या हानि का कारण रहेगा, यह भी देखने वाली बात होगी. इतना तय है एक बार फिर फसल मंडी का चुनाव रोचक होने वाला है. अगले सप्ताह अंतिम उम्मीदवार सूची के बाद का प्रचार का सप्ताह घनघोर रहने की उम्मीद है. किसानों को पहली बार मताधिकार दिया गया है. जिससे संचालक मंडल चुनाव कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में रोमांचक हो जाएगा, ऐसा जानकारों का अंदाजा है.

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