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अजीबो-गरीब हो चली है राजनीति, बडे भाई की भी नहीं सुन रहा छोटा भाई

विधायक श्रीकांत भारतीय अपने भाई तुषार को मनाने का समझाने में साबित हुए असफल

* भाजपा के खिलाफ बगावत करने पर पूरी तरह से आमादा है छोटे भाई तुषार भारतीय
अमरावती/दि.22 – इस समय शहर सहित जिले की राजनीति काफी अजीब मोड पर जा पहुंची है. जहां पर यारी-दोस्ती व पुराने संबंध तो दूर आपसी रिश्तों व रक्तसंबंधों को भी राजनीति के लिए ताक पर रखा जा रहा है और उनकी खुले आम अनदेखी की जा रही है. इसका उदाहरण बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से किसी भी हाल में चुनाव लडने पर आमादा भाजपा नेता व पूर्व पार्षद तुषार भारतीय तथा भाजपा व संघ में अपना अच्छा खासा रसुख रखने वाले विधान परिषद सदस्य श्रीकांत भारतीय इन दो भाईयों के बीच चल रही तनातनी को कहा जा सकता है. क्योंकि भाजपा सहित संघ के तमाम बडे नेताओं के साथ अच्छे खासे संबंध रखने वाले तथा प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के डेप्यूटी सीएम देवेंद्र फडणवीस के बेहद नजदीकी व विश्वासपात्र रहने वाले विधान परिषद सदस्य श्रीकांत भारतीय भी इस समय अपने छोटे भाई तुषार भारतीय को समझाने में काफी हद तक नाकाम साबित हुए है. वहीं दूसरी ओर अब तक अमरावती शहर में भाजपा के हैवीवेट नेता रहे तुषार भारतीय इस समय बडनेरा विधानसभा क्षेत्र से खुद को भाजपा के टिकट नहीं मिलने पर महायुति प्रत्याशी रवि राणा के खिलाफ हर हाल में चुनाव लडने पर आमादा है.
बता दें कि, विधायक श्रीकांत भारतीय के जीवन का पूर्वाध राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर बीता. जिसके बाद संघ द्वारा उन्हें भाजपा में भेजकर संगठनात्मक जिम्मेदारियां सौंपी गई और तुषार भारतीय ने महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न राज्यों में लोकसभा व विधानसभा चुनाव के समय बेहद महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई. जिसकी बदौलत विगत कुछ वर्षों के दौरान पार्टी का जनाधार बढने के साथ ही कई लोकसभा व विधानसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी ने जीत भी हासिल की और आगे चलकर भाजपा केंद्र सहित कई राज्यों की सत्ता में भी आयी. जिनमें महाराष्ट्र का भी समावेश है. जिसके चलते भाजपा ने श्रीकांत भारतीय को अपने कोटे से विधान परिषद का सदस्य भी बनाया. राजनीति व सत्ता के साथ बेहद नजदीकी संबंध रखने के बावजूद भी श्रीकांत भारतीय की छवि पूरी तरह से बेदाग और साफ-सुथरी रही. जिसका फायदा सीधे तौर पर उनके छोटे भाई तुषार भारतीय को भी मिला, जो मनपा के पूर्व पार्षद रहने के साथ ही मनपा में स्थायी समिति सभापति व सभागृह नेता भी रहे. लेकिन इसी राजनीति के चक्कर में आज दोनों भाई दो अलग-अलग छोर पड खडे दिखाई दे रहे है तथा अब तक मार्गदर्शक की भूमिका में रहने वाले बडे भाई श्रीकांत भारतीय भी अपने लाडले छोटे भाई तुषार भारतीय को समझाने व मनाने में असमर्थ साबित हो रहे है.
बा दें कि, बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक व युवा स्वाभिमान पार्टी के नेता रवि राणा तथा भारतीय बंधुओं, विशेषकर तुषार भारतीय के बीच विगत लंबे समय से राजनीतिक अदावत चली आ रही है. यह अदावत तक पैदा हुई थी, जब तुषार भारतीय ने वर्ष 2014 में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रवि राणा के खिलाफ चुनाव लडा था. जिसके बाद कुछ वर्ष पहले राणा समर्थकों द्वारा साई नगर परिसर स्थित तुषार भारतीय के निवासस्थान पर ऐन दीपावली पर्व के समय हमला किया गया था और घर के बाहर रखी कार की तोडफोड भी की गई थी. उस हमले की टीस को तुषार भारतीय अब तक नहीं भूले है. यहीं वजह रही कि, इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में जब भाजपा द्वारा नवनीत राणा को पार्टी में शामिल करते हुए सांसद पद का प्रत्याशी बनाया गया, तो इसके खिलाफ सबसे पहली आवाज तुषार भारतीय ने ही उठाई. यद्यपि आगे चलकर शहर भाजपा के कुछ नेताओं ने पार्टी के आदेश को शिरोधार्य मानते हुए नवनीत राणा के पक्ष में काम करना मंजूर किया. लेकिन तुषार भारतीय अपनी भूमिका पर अडिग रहे और उन्होंने अमरावती संसदीय क्षेत्र में खुद को पार्टी के प्रचार से दूर भी रखा. हालांकि उस समय अपने बडे भाई व विधायक श्रीकांत भारतीय द्वारा समझाये जाने पर तुषार भारतीय इस बात को लेकर राजी हुए थे कि, वे मोर्शी-वरुड क्षेत्र में जाकर वर्धा संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी रामदास तडस के पक्ष में प्रचार करेंगे. जिसके बाद तुषार भारतीय ने बाकायदा मोर्शी-वरुड जाकर वर्धा संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रहने वाले रामदास तडस का प्रचार किया और रामदास तडस को मोशी-वरुड क्षेत्र से अच्छी खासी लीड भी दिलाई. लेकिन वर्धा संसदीय क्षेत्र में शामिल अन्य विधानसभा क्षेत्रों से कम वोट मिलने के चलते रामदास तडस को हार का सामना करना पडा. वहीं इधर अमरावती संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा भी महज साढे 19 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गई. जिसके चलते यह कहा जाने लगा कि, यदि उस चुनाव में तुषार भारतीय ने अमरावती में रहकर पार्टी का काम किया होता, तो शायद इस अंतर को आसानी से पार किया जा सकता था.
लोकसभा चुनाव में विधायक रवि राणा के साथ रहने वाली अपनी अदावत के चलते खुद को पार्टी लाइन से अलग करने वाले तुषार भारतीय ने उसी समय से बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र हेतु भाजपा में अपनी दावेदारी भी पेश की थी. हालांकि शुरुआत से ही यह माना जा रहा था कि, विधायक रवि राणा की युवा स्वाभिमान पार्टी के महायुति में शामिल रहने के चलते महायुति द्वारा विधायक रवि राणा को ही बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया जाएगा. विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आते-आते इस बात की संभावना के प्रबल होते ही तुषार भारतीय ने बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से अपने दावेदारी को और भी प्रखरता के साथ उठाना शुरु कर दिया. जिसके तहत नई बस्ती बडनेरा में अपने प्रचार कार्यालय का उद्घाटन करने के साथ ही तुषार भारतीय ने अपने समर्थक भाजपा पदाधिकारियों की बाकायदा एक बैठक भी बुलाई. जिसमें खुला ऐलान किया गया कि, यदि भाजपा द्वारा पार्टी के पुराने व समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए लगातार पाला बदलने वाले लोगों को टिकट दी जाती है, तो ऐसी स्थिति में वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडेंगे.
जाहीर है कि, छोटे भाई तुषार भारतीय की इस भूमिका के चलते उनके बडे भाई व भाजपा के चुनावी रणनीतिकार विधायक श्रीकांत भारतीय के सामने असमंजस वाली स्थिति बन गई है कि, वे अपने छोटे भाई को समझाये, या फिर पार्टी नेतृत्व को मनाये. क्योंकि दोनों में से कोई भी टस से मस होने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व की बात को सुनकर विधायक श्रीकांत भारतीय को अपने छोटे भाई तुषार भारतीय को ही समझाना पडेगा. लेकिन समस्या यह है कि, तुषार भारतीय कुछ भी सुनने व समझने के लिए तैयार ही नहीं है. वहीं पता यह भी चला है कि, विगत दिनों जब विधायक श्रीकांत भारतीय की सुपुत्री का विवाह समारोह अमरावती में आयोजित हुआ था, तो उस समय भी कई स्थानीय भाजपा नेताओं व पदाधिकारियों ने दबे स्वर में विधायक श्रीकांत भारतीय से यह कहा था कि, इस बार बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से तुषार भारतीय को ही भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए और बडनेरा क्षेत्र में भाजपा व तुषार भारतीय के लिए स्थिति काफी हद तक अनुकूल है. ऐसे में श्रीकांत भारतीय भी तुषार भारतीय के दावे व पक्ष को किसी न किसी हद तक सही मान रहे है. लेकिन पार्टी के साथ बंधे रहने की वजह से वे भी खुलकर अपने भाई का साथ दे पाने में असमर्थ है. वहीं दूसरी ओर महायुति के तहत बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रवि राणा को भाजपा के कोटे से प्रत्याशी बनाये जाने पर भाजपा को चुनावी रणनीतिकार होने के चलते श्रीकांत भारतीय के समक्ष धर्मसंकट वाली स्थिति पैदा हो जाएगी कि, वे अपने भाई का साथ दे, या फिर पार्टी के साथ चलते हुए भाई के खिलाफ जाये. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, भारतीय बंधुओं द्वारा इस राजनीतिक व पारिवारिक पेंच में से राह कैसे निकाली जाती है.

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