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शहर में शॉर्ट फिल्म ऑडिशन के नाम पर पोर्नोग्राफी का संदेह

डॉक्टर दम्पति की सतर्कता से मामला हुआ उजागर

* समाजसेवी गुंजन गोले ने एफबी लाइव के जरिए दी जानकारी
* एक नाबालिग मकडजाल में फंसते-फंसते बचा
* ऑडिशन लेने वालों में डॉक्टर के साथ की मारपीट
* डॉक्टर दम्पति ने अमरावती मंडल को दी जानकारी
अमरावती/दि.26 – इन दिनों अमरावती शहर में भी महानगरों के तर्ज पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म व शॉर्ट फिल्म के लिए ऑडिशन जैसे आयोजन होने लगे है. साथ ही शहर में कुछ उत्साहित युवाओं द्बारा तो बकायदा अमरावती में ही ऐसी शॉर्ट फिल्म व डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई जाती है. साथ ही साथ इन दिनों शहर में एक से बढकर एक फैशन शोज भी होने लगे है. जिसे कला क्षेत्र के विकास के लिहाज से अच्छा संकेत भी माना जा सकता है. लेकिन इस उजले पक्ष के साथ-साथ ऐसे मामलों का एक स्याह पहलू भी होता है. जिसमें आर्थिक मानसिक व लैंगिक शोषण की कहानियां भी होती है. जिसे लेकर महानगरों के स्तर पर कई किस्से सुनाई देते है. लेकिन अब चूंकि फिल्में चकाचौंद अमरावती जैसे शहरों तक पहुंच चुकी है. ऐसे में इसके साथ जुडी बुराईयां और गलत चीजें भी धीरे-धीरे अमरावती में पांव पसारने लगे है. ऐसा ही एक मामला विगत 22 व 23 नवंबर को उस समय उजागर हुआ, जब शॉर्ट फिल्म के नाम पर ऑडिशन लेने वाली एक कंपनी शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर से केवल इस वजह को लेकर मारपीट की, क्योंकि उस डॉक्टर ने अपने परिचय में रहने वाले एक नाबालिग लडके के साथ किये जा रहे व्यवहार को लेकर ऑडिशन लेने वाली कंपनी से जवाब-तलब किया था. वहीं यह मामला उस समय पूरी प्रखरता के साथ उजागर हुआ. जब समाजसेवी गूंजन गोले ने फेसबुक के जरिए लाईव आते हुए इस मामले को लेकर सारे तर्क लोगों के सामने रखे.
ऐसे में दै. अमरावती मंडल ने आज इस मामले में समाजसेवी गूंजन गोले तथा पेशे से दंतचिकित्सक रहने वाली डॉ. किरण भाविक और उनकी पत्नी डॉ. अपूर्वा भाविक से प्रत्यक्ष मिलकर पूरे मामले की जानकारी हासिल की. इस समय डॉ. भाविक दम्पति द्बारा बताया गया कि, उनका चैतन्य कालोनी परिसर में डेंटल क्लीनिक है और उनके क्लीनिक में परिसर के ही रहने वाले 17 वर्षीय नाबालिग लडके का आना-जाना है. जिसके घर की माली हालत कुछ हद तक कमजोर कहीं जा सकती है. यह लडका आम युवाओं की तरह सोशल मीडिया की विभिन्न साईड्स का प्रयोग करता है. जिसके तहत उसे कुछ दिन पहले इंस्टाग्राम पर अमरावती की एक कंपनी द्बारा आयोजित किये गये ऑडिशन की जानकारी मिली. जिसके बाद उसने कंपनी के वॉट्सएप नंबर पर संपर्क किया, तो उसे दूसरी ओर से फोन कॉल करते हुए गोंडबाबा मंदिर के सामने द्बारकानाथ कालोनी स्थित कंपनी के कार्यालय में ऑडिशन देने हेतु बुलाया गया. जहां पर पहले तो उसे कैमरे के सामने खडे रहकर राणा प्रताप से संबंधित एक कविता पढने हेतु कहा गया और फिर उसे अगले ऑडिशन के लिए बंगलुरु भेजने की बात कहते हुए बताया गया कि, इसके लिए उसे दो मिनट का ‘कन्फेस शूट’ करवाना होगा. जिसमें उसे यह कहना होगा कि, वह यह सबकुछ अपनी मर्जी से कर रहा है और कंपनी द्बारा विविध सोशल मीडिया साइड्स पर डाले जाने वाले उसके वीडियोज पर आने वाले कमेन्ट्स व रिएक्शन के लिए वह खुद जिम्मेदार रहेंगा. इन्हीं शर्तों को एक साधे कागज पर दर्ज करते हुए खुद को कंपनी का संचालक बताने वाले आकाश नामक शख्स ने उस नाबालिग लडके से उस कागज पर दस्तखत करवाए और अंगूठा भी लगवाया. साथ ही उसे यह भी कहा गया कि, अब अगर उसने कंपनी के वीडियो में काम करने से इंकार किया, तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा और वह इन तमाम बातों को किसी और पर उजागर भी नहीं कर सकता.
डॉ. किरण भाविक के मुताबिक इन तमाम बातों की वजह से उक्त नाबालिग लडका काफी घबरा गया और उसने उनके पास आकर पूरा मामला बताया. ऐसे में 22 नवंबर की शाम वे अपने क्लीनिक का कामकाज निपटाने के बाद उक्त नाबालिग लडके और अपने एक सहायक के साथ द्बारकानाथ अरोरा कालोनी स्थित उक्त कंपनी के कार्यालय पहुंचे. वे हकीकत में उस कंपनी के संचालक का घर भी था. नीचले मंजिल पर घर और उपरी मंजिल पर कार्यालय वाली इस इमारत में पहुंचने के बाद उन्होंने कंपनी के संचालक से मिलकर पूरा माजरा जानना चाहा और यह भी कहा कि, उक्त नाबालिग लडका ऐसे किसी शॉर्ट फिल्म में काम नहीं करना चाहता. अत: जिन दस्तावेजों पर उसके हस्ताक्षर लिये गये. वे दस्तावेज वापिस दे दिये जाए. जिस पर कंपनी का संचालक उन्हें अपने कार्यालय के भीतर ले गया. साथ ही उनके सहायक व उक्त नाबालिग लडके को भी कार्यालय के अंदर बुलाया. जहां पर पहले से एक-दो लोग मौजूद थे. पश्चात इन सभी लोगों ने कार्यालय के दरवाजे को भीतर से बंद करते हुए उन तीनों को डराना-धमकाना शुरु कर दिया और डॉ. किरण भाविक के साथ धक्का-मुक्की करनी शुरु की गई. जिसकी वजह से डॉ. किरण भाविक की एपल वॉच व मोबाइल का नुकसान हुआ. साथ ही उनके हाथ पर कुछ खरोचे व चोटे भी आई. इस समय तक कुछ अघटित होने का अंदेशा होने के चलते डॉ. अपूर्वा भाविक भी द्बारकानाथ कालोनी पहुंच चुकी थी. जिन्होंने उस घर के सामने खडे रहकर शोर-शराबा मचाना शुरु किया. ऐसे में कंपनी के संचालक ने डॉ. किरण भाविक को उन्हें समझाने के लिए बाहर भेजा. इस मौके का फायदा उठाते हुए डॉ. किरण भाविक अपनी पत्नी के साथ नंगे पांव ही दुपहिया पर सवार होकर सीधे राजापेठ पुलिस स्टेशन पहुंची. जहां पर उन्होंने पूरे मामले की जानकारी देने के साथ ही यह भी बताया कि, इस समय भी दो लोग द्बारकानाथ कालोनी के उस मकान में बंधक बने हुए है. जिसके बाद राजापेठ पुलिस का एक दल तुरंत ही मौके पर पहुंचा और उक्त नाबालिग सहित डॉ. भाविक के सहयोगी ऋषिकेश सातव को छूडाने के साथ ही कंपनी के संचालक सहित अन्य एक-दो लोगों को थाने लाया गया.
* थाने में नहीं दी गई शिकायत, दर्ज नहीं हुआ मामला
जानकारी के मुताबिक राजापेठ थाने लाये जाने के बाद दोनो पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मौखिक रुप से तो जमकर आरोप लगाये. लेकिन लिखित तौर पर एक दूसरे को लेकर कोई शिकायत नहीं दी. ऐसे में राजापेठ थाने में किसी के भी खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ. इसे लेकर जानकारी और प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर राजापेठ पुलिस स्टेशन के थानेदार मनीष ठाकरे ने बताया कि, डॉक्टर दम्पति द्बारा प्राथमिक सूचना दिये जाते ही राजापेठ पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए द्बारकानाथ कालोनी स्थित घर पर दबीश दी थी. जहां से दो लोग छूडाये गये थे. किंतु इसके अलावा मौके से अन्य कोई आपत्तिजनक साहित्य या सामग्री बरामद नहीं हुआ था. ऐसे में इसे सीधे पोर्नोग्राफी या चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मामला कहना उचित नहीं होगा. इसके साथ ही चूंकि डॉक्टर दम्पति ने अपनी ओर से लिखित तौर पर कोई शिकायत दर्ज नहीं की. बल्कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से मामला खत्म करने पर सहमति जताई. जिसके चलते पुलिस ने किसी के खिलाफ कोई अपराध दर्ज नहीं किया है. जहां तक चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित संदेह का सवाल है, तो हम इसकी अपने स्तर पर तहकीकात कर रहे है.

* इतना सीधा भी नहीं है मामला
वहीं इस मामले को लेकर जानकारी मिलने के बाद दूसरे दिन 23 नवंबर को राजापेठ पुलिस थाने पहुंचने के साथ ही फेसबुक लाइव के जरिए जानकारी देने वाली गूंजन गोले ने कहा कि, पुलिस द्बारा इस मामले को जानबूझकर अलग रंग देते हुए दबाने का प्रयास किया जा रहा है और यह मामला उपरी तौर पर जितना सीधा दिखाया जा रहा है, उतना सीधा है नहीं. बल्कि उसमें कुछ बडे व दबंग लोगों का हाथ हो सकता है.
गुंजन गोले के मुताबिक इस पूरे मामले में डॉक्टर भाविक दम्पति पीडित और शिकायतकर्ता है. किंतु राजापेठ पुलिस ने उनके साथ किसी आरोपी या अपराधी की तरह व्यवहार किया. वहीं जिस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दी गई थी, वह पुलिस का काफी परिचित दिखाई दे रहा था और उसके साथ पुलिस वाले काफी सलीके से पेश आ रहे थे. साथ ही पुलिस को पहले से उस घर और वहां पर रहने वाले लोगों के नाम आदि पता थे. इसका एक मतलब यह भी निकलता है कि, संभवत: इस घर में चलने वाली गतिविधियां पहले से पुलिस की जानकारी में है. लेकिन तमाम बातों की जानबूझकर अनदेखी की जा रही है. इस मामले को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं किये जाने के संदर्भ में गुंजन गोले ने बताया कि, मामले का भुक्तभोगी नाबालिग लडका काफी डरा हुआ है और उसके माता-पिता बेहद गरीब है. ऐसे में वे पुलिस में शिकायत देने से घबरा रहे है. ऐसे समय पुलिस ने पीडित पक्ष का विश्वास जीतते हुए उन्हें भरोसा दिलाना चाहिए था. परंतु इस मामले में बिल्कुल उल्टा हुआ हैै. यह तो गणिमत रही कि, डॉ. भाविक दम्पति जैसे प्रतिष्ठित लोगों ने अपने जिम्मेदारी नागरिक होने का परिचय दिया, जिसकी वजह से यह मामला सबके सामने आया हैै. वे इस मामले को लेकर बिल्कुल भी शांत नहीं बैंठेेंगे, बल्कि अब इसकी शिकायत सीपी डॉ. आरती सिंह से की जाएगी. किंतु बहुत हद तक संभव है कि, यह अमरावती का पहला और अकेला मामला न हो, बल्कि अन्य स्थानों पर भी ऑडिशन के नाम पर इस तरह के और भी कुछ मामले घटित हुए हो, उन सभी का उजागर होना बेहद जरुरी है.

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