अमरावती

सकारात्मक विचार ही समाज की उन्नति के लिए प्रेरक

प्रचारिका किरण नासा का कथन

* शानदार रहा संत निरंकारी जोनल बाल समागम
अमरावती/दि.3- सकारात्मक विचारों का प्रचार-प्रसार होता है. यह सकारात्मक विचार ही समाज की उन्नति के साथ नई पीढी को संस्कार, संस्कृति से अवगत करवाने में प्रेरक साबित होती है. सत्संग हमें अच्छे विचारों से जुडने का मार्ग दिखाता है. जीवन में आने वाली रह कठिनाइयों काव सामना करने की शक्ति प्रदान करता है. जब हम जीवन में अच्छे विचारों को अपनाते है, तो हमारे आस पास अच्छे और सकारात्मक विचारों का प्रचार- प्रसार होता है, यह आशीर्वचन मुंबई से पधारी किरण नासा ने कहे. यहां के पंचवटी मार्ग पर स्थित पीडीएमसी परिसर के छत्रपति शिवाजी महाराज सभागृह में रविवार की दोपहर संत निरंकारी मिशन द्वारा सतगुरु माता सुदीक्षा सविंदन हरदेव महाराज की असीम कृपा आशीर्वाद से संत निरंकारी जोनल बाल समागम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर अपने आशीर्वचनों का उन्होंने सभी को लाभ दिया.
कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों के बाल समागम से हुई. जिसमें 5 से 13 आयुवर्ग के बच्चों को सतगुणों की प्राप्ती हो सके, जिसमें नम्रता, विशालता, प्रेम और सहनशीलता जैसे गुणों को प्रात्यक्षिक द्वारा सिखाने का प्रयास करने तथा बच्चों को पढ़ाई के साथ अध्यात्म से जोड़ने की कोशिश का नाम बाल समागम है. इन सभी के प्रेरणास्त्रोत सतगुरु माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव महाराज का कहना है कि, बच्चे उस गीली मिट्टी की तरह होते हैं,जिसे जैसा आकार दिया जाये,वह उसमें ढल जाते हैं. हमें भी उन्हें इस प्रकार ढालना चाहिए.ताकि वे अपने जीवन को सार्थक बनाकर समाज में योगदान दे सकें. बचपन के बाद युवावस्था में उन्हें अध्यात्म से जोड़ने तथा सकारात्मक विचारों से अच्छे विचारों से जोड़ने तथा परोपकार की भावना से प्रेरित करने में दिक्ततें आती हैं. इस कारण बचपन में होने वाले संस्कार उनपर आजीवन छाप छोड़ते हैं.सतगुरु माता के इन्ही विचारों से प्रेरणा लेते हुए इस जोनल बाल समागम का आयोजन किया गया.

निरंकार से जुडने का मार्ग बताया
इस अवसर पर मुम्बई की प्रचारिका किरण नासा ने कहा कि, बच्चों को प्रेम दें, उनका सम्मान करें. निरंकार परमात्मा का रुप देखर सभी उनसे प्रेम करते हैं. उन्होंने अपने अनुभवों को बताते हुए कहा कि, जब वह छोटी थी तो उन्हें सत्संग में जाना अच्छा नहीं लगता था. मन नहीं मानता था. लेकिन उनकी मां ने जो सत्संग रुपी संस्कार उन पर डाले जिसके कारण आज उनका जीवन अच्छे विचारों का प्रेरक बना है. परमात्मा निरंकार है. संत निरंकारी मिशन फाउंडेशन की नींव ब्रम्हज्ञान है. इसे अपनाकर अपने जीवन को धन्य करें. ‘ईश्वर की पहचान करें,देख के इस मालिक को इसका गुणगान करें…’ इन शब्दों में निरंकार से जुड़ने का मार्ग बताया. साथ ही जीवन में सदगुरु का आसरा लेकर अच्छे विचारों से प्रेरित होने का आह्वान किया. बुरे विचारों से दूर रहने की सलाह दी.

रंगारंग कार्यक्रम के माध्यम से दिया संदेश
कार्यक्रम के पहले पड़ाव में विविध शहरों से पधारे बच्चों ने अलग-अलग संदेश देते हुए नृत्य,नाटिका, माईम प्रस्तुत किये. जिसमें अमरावती की टीम द्वारा स्वागत नृत्य, टाइम पास पर आधारित नाटिका, सिंधु नगर के बच्चों ने जरा हटके जरा बचके विषय पर नाटिका, अमरावती व बडनेरा की टीम ने ट्रीब्यूट टू हार्मनी, टिल्यूशन एक्ट, जब जागे तब सवेरा पर बाल अवस्था से वृद्धावस्था के बीच हम किस प्रकार गलतियां करते है, इसकी नाटिका द्वारा जानकारी दी तथा तेरे दिवाने के माध्यम से नृत्य प्रस्तुति, नागपुर की टीम द्वारा समाज की विविध समस्याओं पर नाटिका द्वारा मंथन, एलेक्सा पर नाटिका, शिवे के शुकर पर नृत्य,भाषा का रिमिक्स इस विषय परनृत्य प्रस्तुति, पुसद द्वारा भक्तिगीत, मोर्शी के बच्चों ने भ्रष्टाचार की सभा, यवतमाल की टीम ने रास्ता दिखा दिया, मुर्तिजापुर की टीम ने पंजाबी रिमिक्स,हिंगणघाट की टीम ने गुरुवत वर्सेस मनमत, वर्धा की टीम ने सेवादल, हिंदी गुजराती गीतों पर नृत्य, परतवाड़ा की टीम ने मराठी गीत पर नृत्य प्रस्तुति, दर्पण से समर्पण तक पर नाटिका प्रस्तुत कर सभी का दिल जीता. सभी ने अपने कार्यक्रमों के जरिये सामाजिक संदेश देने का प्रयास किया, जिसे उपस्थितों ने भी खूब सराहा. एक दिवसीय जोनल बाल समागम का संयोजन महेशलाल पिंजानी के साथ संपूर्ण निरंकारी मिशन के भाई तथा बहनों के अथक परिश्रम द्वारा किया गया. सभी ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रयास किए.

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