अमरावती

डिजिटल युग में खो गए डाक के पत्र

पत्र पेटियां बनी शो पीस

* मोबाइल से होता है सीधा संवाद
अमरावती/ दि. 2- पहले के जमाने में डाकिया ही पत्र, पत्रिका, आमंत्रण और सुख-दुख के समाचार लाता था. लोग घर के द्बार पर डाकिए के आते ही हर्षित हो जाते. किसका पत्र आया, यह उत्सुकता पूरे घर को रहती. पत्र खोलने से पहले ही मन खुशी से भर उठता. किंतु स्मार्टफोन के युग में पत्र के युग को समाप्त कर दिया है. डाकघर अब केवल सरकारी कामकाज के लिए उपयोग में आ रहे है. पत्रपेटिया तो शो पीस बनकर रह गई है.
डिजिटल सोशल मीडिया के दौर में पत्र व्यवहार बंद हो गए है. टेलीफोन और मोबाइल से पहले पत्रों को बडी अहमियत थी. किंतु सूचना तकनीक ने आमूलाग्र परिवर्तन ला दिया. देश के साथ- साथ विदेश में भी किसी कोने में बैठे व्यक्ति से एक मिनिट में फोन पर संपर्क हो जाता है. सीधे संवाद हो जाता है. जिससे पुराने दौर का पत्रों का आनंद लुप्त हो गया है. पहले किसी का पत्र आने पर उसे उत्तर देने का भी अलग ही मजा था. अब वह सब बीती बातें हो गई है. अनेक जगहों पर पत्र पेटियां रहती. ऐसे ही मनिऑर्डर से पैसे भेजे जाते. शगुण भेजा जाता. सबकुछ तेजी से बदल गया. कब यह सब बीते दौर की बात हो गई. किसी को पता ही नहीं चला.

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