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अपने इस्तीफे को लेकर पोटे ने साधी चुप्पी

पार्टी पदाधिकारियों से भी इस्तीफें पर बात करना टाला

* पार्टी आलाकमान पर छोडा अंतिम फैसला
अमरावती/दि.6– अमरावती संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा की हार को लेकर अपनी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए भाजपा के शहराध्यक्ष रहने वाले पूर्व मंत्री व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल ने गत रोज ही पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के नाम पत्र जारी करते हुए पार्टी शहराध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. जिसकी जानकारी खुद विधायक प्रवीण पोटे पाटिल ने इस त्यागपत्र की प्रतिलिपि को सोशल मीडिया पर जारी करते हुए पार्टी के तमाम पदाधिकारियों व जनसामान्यों को दी. जिसके चलते पार्टी में स्थानीय स्तर पर काफी हद तक हडकंप मच गया. क्योंकि विधायक प्रवीण पोटे ने इस लेकर पार्टी के किसी भी स्थानीय पदाधिकारी से कोई चर्चा या विमर्श नहीं किया था. वहीं सोशल मीडिया के जरिए पोटे द्वारा दिये गये इस्तीफे की जानकारी मिलते ही जब पार्टी के कई पदाधिकारी उनसे इस संदर्भ में बात करने पहुंचे, तो विधायक प्रवीण पोटे ने इस मामले को लेकर यह कहते हुए चुप्पी साध ली कि, ‘त्याबद्दल सोडून बोला’ यानि उस बारे में मतलब त्यागपत्र के बारे में छोडकर किसी और विषय पर बात करो. जिसका सीधा मतलब है कि, विधायक प्रवीण पोटे पाटिल अपने द्वारा दिये गये इस्तीफे के बारे में स्थानीय स्तर पर किसी से भी बात नहीं करना चाहते, बल्कि उन्होंने इस मामलें में अंतिम फैसला पार्टी के प्रदेश नेतृत्व व आलाकमान पर छोड दिया है.

विशेष उल्लेखनीय है कि, विधायक प्रवीण पोटे द्वारा पार्टी शहराध्यक्ष पद से इस्तीफा दिये जाने की खबर मिलते ही भाजपा की शहर इकाई द्वारा आज कैम्प रोड स्थित विधायक पोटे के जनसंपर्क कार्यालय में एक आपात बैठक बुलाई गई. जिसमें विधायक प्रवीण पोटे पर अपना इस्तीफा वापिस लेने हेतु दबाव बनाना शुुरु किया गया. साथ ही ऐसा नहीं करने पर शहर भाजपा के कई पदाधिकारियों ने अपने-अपने पदों से भी इस्तीफा देने की पेशकश जताई. इस बैठक में शहर भाजपा के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों के साथ ही भाजपा के कई नये व पुराने निष्ठावाण कार्यकर्ता भी उपस्थित थे. जिन्होंने विधायक प्रवीण पोटे द्वारा द्वारा लिये गये फैसले को गलत बताते हुए उनके अपना इस्तीफा वापिस लेने हेतु कहा. लेकिन समाचार लिखे जाने तक विधायक प्रवीण पोटे पाटिल अपने फैसले को लेकर टस से मस नहीं हुए थे. जिसका सीधा मतलब है कि, विधायक प्रवीण पोटे पाटिल ने अब इस मामले में अंतिम फैसला पूरी तरह से पार्टी नेतृत्व पर सौंप दिया है. वहीं दूसरी ओर पार्टी नेतृत्व द्वारा अब तक विधायक पोटे के इस्तीफें को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. साथ ही पार्टी के बेहद अंदरुनी सुत्र के जरिए दैनिक अमरावती मंडल को मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी नेतृत्व द्वारा विधायक पोटे के इस्तीफें को मंजूर किया भी नहीं जाएगा. क्योंकि यदि विधायक पोटे द्वारा शहराध्यक्ष पद से दिये गये इस्तीफें को मंजूर किया जाता है, तो फिर नये शहराध्यक्ष का चयन करने हेतु लंबी प्रक्रिया अपनानी पडेगी. वहीं अमरावती शहर में भाजपा शहराध्यक्ष बनने हेतु भाजपा के कई स्थानीय पदाधिकारी इच्छूक रहेंगे. जिसके चलते आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी संगठन के भीतर घमासान मचने के साथ ही सिर-फुटव्वल भी होगी. जिसकी वजह से पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान हो सकता है. ऐसे ही नुकसान से लोकसभा चुनाव में बैठने हेतु पार्टी द्वारा लंबे समय तक शहराध्यक्ष पर को खाली रखा गया था. जिसके बाद विगत वर्ष अक्तूबर माह के अंत में शहर सहित जिले की राजनीति पर अपना दबदबा और मजबूत पकड रखने वाले पूर्व मंत्री व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल को भाजपा ने शहराध्यक्ष नियुक्त करते हुए अन्य सभी दावेदारों के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा को खारिज कर दिया था. साथ ही सभी दावेदारों ने भी विधायक प्रवीण पोटे पाटिल के शहराध्यक्ष नियुक्त होने के बाद उनके नेतृत्व तले शहर में भाजपा को मजबूत करने का काम शुरु किया था. ऐसे में पार्टी नेतृत्व हर हाल में यदि चाह रहा है कि, विधायक प्रवीण पोटे पाटिल अमरावती शहराध्ययक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल को पूरा करें. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, विधायक पोटे द्वारा दिये गये त्यागपत्र का भविष्य आगे चलकर क्या होता है.

 

 

 

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