अमरावतीमहाराष्ट्र

प्रदीप राउत ने छोडी शरद पवार गुट वाली राकांपा

अचानक ही जिलाध्यक्ष पद से हटाये जाने को लेकर जतायी नाराजगी

* राउत समर्थक पदाधिकारियों ने दिये सामुहिक इस्तीफे
* पार्टी नेतृत्व से मिलने जल्द मुंबई जाएंगे राउत व समर्थक
* पत्रवार्ता में कुछ स्थानीय बडे नेताओं पर लगाये आरोप
अमरावती/दि.11– राष्ट्रवादी शरदचंद्र पवार पार्टी के अमरावती जिलाध्यक्ष रहने वाले प्रदीप राउत को कल पार्टी द्वारा अचानक से जिलाध्यक्ष पद से हटाते हुए पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव पद पर नियुक्त किये जाने के चलते जिले में शरद पवार गुट वाली राकांपा में हडकंप मच गया. वहीं पार्टी द्वारा ऐन विधानसभा चुनाव से पहले खुद को कुछ नेताओं के दबाव में आकर जिलाध्यक्ष पद से हटाये जाने का आरोप लगाते हुए प्रदीप राउत ने पार्टी के संगठन सचिव पद से भी इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद प्रदीप राउत के समर्थक रहने वाले राकांपा के कई पदाधिकारियों ने भी पार्टी नेतृत्व के नाम लिखे गये पत्रों में अपने अपने पदों से इस्तीफा देने की घोषणा की. इसी दौरान कल देर शाम स्थानीय सरकारी विश्रामगृह में एक पत्रवार्ता बुलाते हुए प्रदीप राउत व उनके समर्थकों ने कहा कि, वे जल्द ही अपने त्यागपत्रों के साथ मुंबई जाकर पार्टी नेतृत्व से मुलाकात करेंगे.
इस पत्रवार्ता में शरद पवार गुट वाली राकांपा नेता प्रदीप राउत ने कहा कि, पार्टी द्वारा उन्हें महज 5 माह पूर्व अमरावती ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद का जिम्मा सौंपा गया था. जिसके बाद उन्होंने अमरावती जिले के तहसील व ग्रामीण क्षेत्रों में राकांपा के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने का काम शुरु किया गया. जबकि इस दौरान हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी के आदेश का उल्लंघन करते हुए शरद तसरे, सुनील वर्‍हाटे, अनूप गावंडे व प्रकाश बोंडे जैसे राकांपा के स्थानीय बडे नेताओं ने भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के पक्ष में खुलकर काम किया. साथ ही राकांपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहने वाले सुनील वर्‍हाडे ने तो उन्हें (प्रदीप राउत को) जिलाध्यक्ष पद से हटाने हेतु हर संभव प्रयास करने शुरु किये. जिसके तहत सुनील वर्‍हाडे ने अपने समर्थक के जरिए उनके नाम से सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट तैयार करते हुए उनका चरित्र हनन करने का काम किया. साथ ही शरद तसरे के लेटर पैड पर उनका नाम लिखकर पार्टी नेतृत्व के पास शिकायत भेजने की नीचले स्तर वाली राजनीति भी की. लेकिन इसके बावजूद हमने अमरावती व वर्धा लोकसभा क्षेत्र में पार्टी हित के तहत सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर परिश्रम करते हुए महाविकास आघाडी के प्रत्याशी को जीत दिलायी. यह स्थिति रहने के बावजूद भी पार्टी ने उन्हें भरोसे में लिये बिना और उन्हें कोई भी पूर्व सूचना दिये बिना ही उन्हें महज पांच माह के भीतर जिलाध्यक्ष पद से दूर कर दिया. यह सीधे-सीधे उनके द्वारा किये गये कामों व उनकी पार्टी निष्ठा का अपमान है. अत: उन्होंने पार्टी द्वारा दिये गये प्रदेश संगठन सचिव पद को स्वीकार नहीं करने का निर्णय लिया है और पार्टी के समक्ष अपना त्यागपत्र भेज दिया है. अपने द्वारा लगाये गये आरोपों के संदर्भ में प्रदीप राउत का कहना रहा कि, उनके पास तमाम सबूत उपलब्ध है. जिन्हें वे जल्द ही पार्टी नेतृत्व के समक्ष प्रस्तुत करेंगे.
इस पत्रवार्ता में यह भी बताया गया है कि, राकांपा के ग्रामीण जिलाध्यक्ष प्रदीप राउत के साथ पार्टी द्वारा किये गये अन्याय के चलते राकांपा सेवादल के जिलाध्यक्ष किशोर बरडे, राकांपा सामाजिक न्याय विभाग के जिलाध्यक्ष सुनील किर्तकार, राकांपा ओबीसी सेल के जिलाध्यक्ष रवि पडोले, राकांपा की प्रदेश प्रवक्ता तेजस्वीनी बारब्दे, राकांपा सोशल मीडिया विभाग के जिलाध्यक्ष पार्थ लोडम, राकांपा के जिला महासचिव ऋषिकेश वैद्य, जिला उपाध्यक्ष मनोज अर्मल, जिला प्रवक्ता एड. संजय भोंडे, भातकुली तहसील अध्यक्ष मो. सइद मो. खलील, अमरावती तहसील अध्यक्ष प्रा. किशोर अब्रुक, भूषण यावले, नांदगांव खंडे, तहसील अध्यक्ष प्रवीण भेंडे, वरिष्ठ नेता बालासाहब चर्‍हाटे, तिवसा तहसील अध्यक्ष राम चव्हाण, धारणी तहसील अध्यक्ष सुधीर पटेल, चिखलदरा तहसील अध्यक्ष रामलाल काले, दर्यापुर तहसील अध्यक्ष प्रा. सुशील गावंडे, जिला उपाध्यक्ष प्रा. सिंकदर मनवर, एड. जगदीश विल्हेकर, पूर्व महापौर प्रवीण काशिकर, चांदूर रेल्वे तहसील अध्यक्ष अतुल मेटे, जिला महासचिव अनंत राउत, दर्यापुर तहसील अध्यक्ष शत्रुगन मेहर, सेवादल तहसील अध्यक्ष राजाभाई ठाकरे, गणेश टिकले, दिलीप ठोंबरे, प्रा. अनिरुद्ध होले, अल्पसंख्यक सेल के कार्याध्यक्ष दिनेश आडतिया, विधि सेल के शहराध्यक्ष डॉ. रवि खडसे, कार्याध्यक्ष अरबाज पठान, जिला संगठक अमर गेडाम सहित कल्पना बुरंगे आदि ने भी अपने-अपने पदों से इस्तीफा देने की घोषणा की. साथ ही इस बारे में एक लिखित पत्र भी पार्टी नेतृत्व के नाम भेजा. जिसकी जानकारी इस पत्रवार्ता में दी गई.

* निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाना पडा भारी
इस पत्रवार्ता में प्रदीप राउत ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि, विगत लंबे समय से राकांपा के ग्रामीण जिलाध्यक्ष रहने वाले सुनील वर्‍हाडे ने अपने कार्यकाल दौरान पार्टी का संगठनात्मक रुप से मजबूत करने हेतु बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था. जिसके तहत जिले के कई तहसील व ग्रामीण कार्यकारिणियों के पदाधिकारी पूरी तरह से निष्क्रिय रहने के साथ ही पद लेकर बैठे हुए थे. ऐसे में जब पार्टी ने सुनील वर्‍हाडे को जिलाध्यक्ष पद से हटाकर उन्हें जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी, तो उन्होंने सबसे पहले सभी तहसील कार्यकारिणियों की बैठकें बुलानी शुरु की. साथ ही साथ इन बैठकों में आने हेतु टालमटोल करने वाले और खुद को पार्टी के कामों से दूर रखने वाले पदाधिकारियों को पद से हटाते हुए नये जोश के साथ काम करने हेतु तैयार रहने वाले पदाधिकारियों की नियुक्ति करनी शुरु की. यह बात सालोंसाल से पार्टी के अलग-अलग पदों पर कुंडली जमाए बैठे नेताओं को अखर गई और उन्होंने अपने दबाव तंत्र का प्रयोग करते हुए पार्टी नेतृत्व के समक्ष गलत जानकारियां पेश कर उन्हें पद से हटाने हेतु षडयंत्र रचा. जिसके चलते पार्टी नेतृत्व द्वारा उन्हें जिलाध्यक्ष पद से हटाकर प्रदेश संगठन सचिव के पद पर भेजते हुए साइड लाइन करने का प्रयास किया जा रहा है. जिसे वे खुद के लिए अन्याय मानते है और इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने हेतु पार्टी द्वारा दिये गये पद से इस्तीफा दे रहे है. प्रदीप राउत ने यह भी स्पष्ट किया कि, उन्होंने पार्टी के किसी भी अन्य पदाधिकारी को अपने समर्थन में इस्तीफा देने हेत बाध्य नहीं किया है. बल्कि पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा उनके समर्थन में स्वयंस्फूर्त रुप से इस्तीफें देने का प्रारंभ किया गया है.

Related Articles

Back to top button