क्या केवल स्कूल व कॉलेज जाने से ही होगा कोरोना?
कहीं अभिभावकों का डर बेवजह और बेमानी तो नहीं
अमरावती/दि.4 – राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा लॉकडाउन काल के बाद कोरोना का खतरा कम होने पर राज्य में चरणबध्द ढंग से स्कूलों व कालेजों को खोलने की प्रक्रिया शुरू की गई. साथ ही 9 वीं से 12 वीं की कक्षाओं में ऑफलाईन पढाई का काम शुरू किया गया है. शालाओं में पढाई-लिखाई का काम शुरू करने से पहले सरकार, प्रशासन व शिक्षा विभाग द्वारा कोरोना प्रतिबंधात्मक उपाययोजनाओं पर खासा ध्यान दिया जा रहा है और तमाम ऐहतियाती कदम उठाये जा रहे है. लेकिन इसके बावजूद अब तक शालाओं व कॉलेजोें में अब तक विद्यार्थियों की अपेक्षित उपस्थिति दिखाई नहीं दे रही है और माना जा रहा है कि, कोरोना संक्रमण के भय की वजह से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेज रहे है. किंतु इस समय शहर सहित जिले के सभी व्यापारिक क्षेत्रों, दूकानों, मॉल्स एवं सार्वजनिक स्थानों पर उमड रही भीडभाड को देखते हुए अभिभावकों का भय बेमानी व बेवजह कहा जा सकता है.
बता दें कि, अमरावती में 9 वीं से 12 वीं की कक्षाएं रहनेवाले 548 शालाएं व कनिष्ठ महाविद्यालय है. जिनमें करीब 1 लाख 55 हजार विद्यार्थी प्रवेशित है, लेकिन इस समय रोजाना केवल आठ से दस हजार विद्यार्थी ही अपने घरों से निकलकर अपनी कक्षाओं में उपस्थित हो रहे है. ऐसे में विद्यार्थियों की कम संख्या भी प्रशासन एवं शिक्षा विभाग के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. माना जा रहा है कि, संभवत: अभिभावकों में इस बात को लेकर डर है कि, अगर वे अपने बच्चों को स्कूलों या कालेजों में भेजते है, तो अन्य बच्चों के संपर्क में आने की वजह से उनके बच्चे कोरोना संक्रमित हो जायेंगे. लेकिन जिस तरह से इस समय शहर के सभी बाजारों एवं सार्वजनिक स्थलों पर लोगबाग अपने परिवार सहित घुमने-फिरने निकलते है, उसे देखते हुए अभिभावकों का यह भय बेवजह व बेमानी कहा जा सकता है. क्योंकि इस समय कोई भी बच्चा अपने घर में कोरोंटाईन या कैद होकर नहीं रह रहा. बल्कि गली-मोहल्ले में अपने दोस्तों के साथ खेल रहा है. माता-पिता के साथ बाजार जा रहा है. परिवार के साथ विवाह समारोह या होटलों में भी जाना-आना शुरू हो चुका है. ऐसे में कोरोना संक्रमित होने का खतरा तो इन स्थानों पर काफी अधिक है. वहीं शालाओं व कालेजों में हैण्डवॉश, सैनिटाईजर व सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का काफी कडाई से पालन किया जा रहा है. साथ ही सभी शिक्षकों की कोरोना टेस्ट भी करायी गयी है और किसी भी विद्यार्थी में कोरोना सदृश्य लक्षण दिखाई देने पर उसकी स्वास्थ्य जांच करने के इंतजाम किये गये है. ऐसे में स्कूल व कालेज जाने की वजह से कोरोना संक्रमित होने का खतरा बेहद कम है. लेकिन बावजूद इसके कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति नहीं बढ रही.
शिक्षा क्षेत्र से जुडे विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय विद्यार्थी एवं अभिभावक संभवत: यह मानसिकता लेकर चल रहे है कि, यदि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कक्षाओं में न भी जाया जाये, तो भी इस साल तो सभी बच्चे नाममात्र की परीक्षा लेकर उत्तीर्ण कर ही दिये जायेंगे और अगली कक्षाओें में भी पहुंच जायेंगे. लेकिन यह मानसिकता बच्चों के शैक्षणिक भविष्य के लिहाज से काफी नुकसानदेह साबित हो सकती है. ऐसे में अब सभी विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी कक्षाओें में लौटना चाहिए. यह उनके खुद के भविष्य के हिसाब से बेहद जरूरी है.