अमरावती/दि.9 – सातारा जिले के फलटन तहसील स्थित सरडे गांव के भूमिहीन किसान खेत मजदूर रमेश जाधव का बेटा प्रवीण जाधव बना. ऑलम्पिक खिलाडी प्रविण जाधव ने धर्नुविद्या का प्रशिक्षण लिया, और उसने अपनी मेहनत और लगन से अनेकों मेडल धर्नुविद्या में प्राप्त किए जिसमें उनका चयन सीधे टोकियो में होने वाली ऑलम्पिक स्पर्धा में धर्नुविद्या टीम में किया गया. प्रविण जाधव की घर की स्थिति सामान्य थी. उसके पिता रमेश जाधव खेत में मजदूरी का काम करते है. प्रविण ने अपनी मेहनत और लगन के चलते यह सफलता हासिल की है. प्रविण का चयन शासन की क्रीडा प्रबोधनी में किया गया था.
उसके पश्चात 2006 में उसे धर्नुविद्या प्रशिक्षण के लिए अमरावती शहर भिजवाया गया. तभी से अमरावती शहर उसका कार्यक्षेत्र बना. स्थानीय गणेशदास राठी विद्यालय में उसकी शिक्षा हुई और उसने धर्नुविद्या का प्रशिक्षण प्रशिक्षक सुनील ठाकरे से प्राप्त किया. प्रविण ने शाला स्तर पर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में सफलता हासिल की. शिवछत्रपति पुरस्कार प्राप्त डॉ. हनुमंत लुंगे ने उसके कला गुणों को पहचानकर उसे श्री शिवाजी कला व वाणिज्य महाविद्यालय में प्रवेश दिलवाया.
साल 2011 से 2018 तक महाविद्यालय में रहते हुए प्रविण ने अखिल भारतीय अंतर विद्यापीठ धर्नुविद्या स्पर्धा में संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक प्राप्त किया. इतना ही नहीं अनेकों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक भी हासिल किए. 2019 में डॉ. हनुमंत लुंगे आसेगांव पूर्णा स्थित छत्रपति शिवाजी कला महाविद्यालय के प्राचार्य पद पर नियुक्त हुए और उन्होंने अपने साथ प्रविण जाधव को आसेगांव ले आए. फिलहाल प्रविण जाधव आसेगांव में स्थित महाविद्यालय का विद्यार्थी है. प्रविण जाधव की प्रतिभा को देखकर उनका चयन टोकियो ऑलम्पिक के लिए किया गया. 58 वर्ष के पश्चात ऑलम्पिक में विदर्भ से धर्नुविद्या की टीम में चयन किए जाने वाला प्रविण पहला खिलाडी है. जिसकी सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है.
राज्यमंत्री बच्चू कडू ने की सहायता
ऑलम्पिक के लिए पात्र खिलाडी प्रविण जाधव को राज्यमंत्री बच्चू कडू ने आर्थिक सहायता की. आर्मी स्पोर्टस अकादमी में पहुंचकर राज्यमंत्री बच्चू कडू ने प्रविण जाधव का अभिनंदन किया और उसे आगामी शिक्षा के लिए हर संभव सहायता करने का आश्वासन भी दिया.
प्रविण जाधव विदर्भ का गौरव
प्रविण जाधव मूलत: भले ही सातारा जिले का निवासी है किंतु उसका प्रशिक्षण, शिक्षा अमरावती में हुई है और यही से ही उसका चयन ऑलम्पिक के लिए हुआ है. विदर्भ के लिए यह गौरव की बात है ऐसी प्रतिक्रिया छत्रपति शिवाजी कला महाविद्यालय के प्राचार्य तथा शिवछत्रपति पुरस्कार प्राप्त हनुमंत लुंगे ने दी.