अमरावतीमहाराष्ट्र

5 साल से धुल खा रहा प्री-फैब हॉस्पिटल

साढे तीन करोड रुपयों की निधि का अपव्यय

* अब मेडिकल कॉलेज हेतु लाया जाएगा काम में
अमरावती /दि.7– कोविड काल में मरीजों की सेवा हेतु सीएसआर फंड से तैयार किया गया प्री-फैब हॉस्पिटल अब तक किसी भी तरह से उपयोग में नहीं लाया गया है. जिसके चलते करीब साढे तीन करोड रुपयों की लागत से बनाया गया प्री-फैब हॉस्पिटल धुल खाता हुआ पडा है. ऐसे में अब इस हॉस्पिटल की जगह को सरकारी मेडिकल कॉलेज के उपयोग में लाने के संदर्भ में प्रयास शुरु है. प्री-फैब हॉस्पिटल इस समय छोटे-छोटे बॉक्स के स्वरुप में है. जिन्हें एकत्रित जोडते हुए किसी लैब या क्लास रुम के तौर पर इसका उपयोग किया जा सकता है.
बता दें कि, अमरावती जिले में वर्ष 2020-21 के दौरान कोविड के बढते प्रादुर्भाव तथा मरीजों की बढती संख्या को ध्यान में रखते हुए सुपर हॉस्पिटल के पीछे 100 बेड की क्षमता वाला प्री-फैब हॉस्पिटल बनाया गया था तथा सीएसआर फंड से इस अस्पताल को तैयार करने हेतु करीब साढे तीन करोड रुपए का खर्च किया गया था. वर्ष 2021 के अंत तक यह अस्पताल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था. लेकिन इसके बाद कोविड संक्रमण का असर कम हो गया. जिसकी वजह से इस अस्पताल का कोई उपयोग नहीं हुआ. ऐसे में साढे तीन करोड रुपए की लागत से बनाया गया. यह अस्पताल विगत 5 वर्षा से धूल खाता हुआ पडा है. साथ ही इस परिसर में बडे पैमाने पर झाड-झंखाड भी उग आये है. विशेष उल्लेखनीय है कि, जहां एक ओर इर्विन अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक रहने के चलते एक-एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज करने की नौबत बन जाती है. वहीं दूसरी ओर 100 बेड का प्री-फैब हॉस्पिटल तैयार रहने के बावजूद उसका अस्पताल प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई भी उपयोग नहीं किया जा रहा. जिसके चलते अब इस अस्पताल को सरकारी मेडिकल कॉलेज के उपयोग हेतु देने का निर्णय लिया गया है. जिसके बाद अलग-अलग रहने वाले प्री-फैब मॉडेल को एकसाथ जोडकर अथवा सभी ब्लॉक को पूरी तरह से तोडकर उक्त जगह पर महाविद्यालय के क्लास रुम या प्रयोगशाला के लिए नये सिरे से प्री-फैब स्ट्रक्चर खडा करने का निर्णय लिया जाएगा.
* 10 वातानुकूलित मॉडेल किये गये थे तैयार
प्री-फैब हॉस्पिटल के निर्मिति हेतु इंडो अमरीकन फाउंडेशन के कार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबीलिटी फंड से साढे तीन करोड रुपए की निधि प्राप्त हुई थी. जिसे प्री-फैब हॉस्पिटल के निर्माण हेतु खर्च किया गया था. इस अस्पताल में 40-40 चौरस फीट वाले 10 वातानुकूलित मॉडेल तैयार किये गये है. जिसके तहत 2 आईसीयू बेड व 8 ऑक्सीजन बेड वाले प्रत्येक मॉडेल में ओपीडी, डॉक्टरों के लिए स्टाफ रुम, स्वतंत्र टायलेट व बाथरुम की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई थी. इस हॉस्पिटल का आर्युमान 20 से 25 वर्ष रहने की बात कही गई थी. परंतु विगत 5 वर्षों से इस अस्पताल का कोई उपयोग ही नहीं हो रहा. इसके चलते इस अस्पताल के निर्माण पर किया गया खर्च पूरी तरह से व्यर्थ व बर्बाद हो जाने की आशंका जतायी जा रही है.

* सरकारी मेडिकल कॉलेज को प्री-फैब हॉस्पिटल का उपयोग करने हेतु प्रस्ताव दिया गया है. यह हॉस्पिटल फ्लेक्सीबल रहने के चलते उसका उपयोग किस तरह से किया जा सकता है. इसका निर्णय मेडिकल कॉलेज प्रशान द्वारा सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग से चर्चा के उपरान्त लिया जाएगा.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्य चिकित्सक, अमरावती.

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