अमरावती

प्ले स्कूल व नर्सरी के लिए भी पूर्व अनुमति आवश्यक

अमरावती/दि.1 – इन दिनों छोटे बच्चों को प्ले स्कूल व नर्सरी में भेजने का प्रमाण बढ गया है. परंतु अब तक इन पूर्व प्राथमिक शालाओं पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं रहा करता था. लेकिन अब नई शैक्षणिक नीति के तहत संबंधित शाला शुरु करते समय संचालकों को शिक्षा विभाग से आवश्यक अनुमति लेनी होगी.
उल्लेखनीय है कि, आगामी शैक्षणिक सत्र से नई शैक्षणिक नीति को लागू किए जाने की घटना राज्य के शिक्षा मंत्री दिपक केसरकर द्बारा की गई इस नीति के अनुसार अंगणवाडियों को भी शालाओं के साथ जोडा जाएगा. साथ ही बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार उनका मानसिक विकास करने हेतु शिक्षा देना अनिवार्य रहेगा. इन दिनों बडे पैमाने पर लगभग सभी गली-मोहल्लों में प्ले स्कूल, प्री-प्राइमरी, किंडर गार्डन (केजी) व नर्सरी शालाएं शुरु हो चुकी है. जिन पर अब तक किसी का कोई नियंत्रण नहीं रहा करता था. लेकिन अब ऐसी पूर्व प्राथमिक शालाओं के लिए भी अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य किया गया है. जिसके चलते इन शालाओं के मनमानें कामकाज व बेतरतीब पढाई-लिखाई पर काफी हद तक नियंत्रण लगेगा.

* प्ले स्कूल में करोडों का लेन-देन
इंग्रेजी माध्यम के बढते रुझान को देखते हुए लोगबाग अपने डेढ से दो वर्ष के बच्चों को भी प्ले स्कूल व नर्सरी में प्रवेश दिलाते है. ताकि उनका बच्चा जल्दी से जल्दी पढना-लिखना सीख जाए. लगभग सभी प्ले स्कूल में प्रवेश शुल्क, पाठ्यपुस्तक व गणवेश सहित बच्चों को लाने-ले जाने हेतु सालाना लगभग 1 लाख रुपए के आसपास खर्च होता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, शहर सहित जिले में स्थित सभी तरह के प्ले स्कूल व नर्सरी में सालाना करोडों रुपयों का आर्थिक लेन-देन होता है.

* पूर्व प्राथमिक के लिए क्या है नियमावली
बच्चों की उम्र के अनुसार उनका मानसिक विकास करने के लिहाज से उन्हें शिक्षा देना अनिवार्य है. साथ ही इस शिक्षा के जरिए बच्चों में पढाई को लेकर रुची पैदा करना और विभिन्न कृतियों और खेलों के जरिए उनके शारीरिक व मानसिक विकास को साधते हुए उन्हें दैनिक जीवन में अच्छी आदतें लगाना अपेक्षित होता है.

* अब पूर्व अनुमति रहेगी जरुरी शिक्षा विभाग ने अंगणवाडियों को प्राथमिक शालाओं के साथ जोडने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही अब प्ले स्कूल, नर्सरी, बालक मंदिर व केजी जैसी कक्षाएं शुरु करने के लिए शिक्षा विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है.

* क्या कहते हैं शिक्षा विशेषज्ञ
प्ले स्कूल व नर्सरी शुरु करते समय शिक्षा विभाग की अनुमति का निर्णय पूरी तरह से योग्य है. जिसके चलते ऐसी शालाओं पर शैक्षणिक शुल्क की दरे तय करते समय नियंत्रण रहेगा.
– डॉ. कमलाकर पायस,
शिक्षा विशेषज्ञ

* पूर्व प्राथमिक शालाओं हेतु आवश्यक की गई अनुमति समाज के दृष्टिकोण से अच्छी बात है. इसके चलते सभी शालाएं कानून के दायरे में आ जाएंगी. साथ ही उन पर कानून का नियंत्रण भी रहेगा.
– अतुल गायगोले,
शिक्षा विशेषज्ञ

* नई शैक्षणिक नीति में पूर्व प्राथमिक शालाओं को जबरन जोडा जा रहा है. आरटीई कानून में केवल 6 से 14 वर्ष आयु गुट वाले बच्चों के शैक्षणिक विकास का प्रावधान है और इसमें पूर्व प्राथमिक का कोई उल्लेख नहीं है. सरकार ने पूर्व प्राथमिक के संदर्भ में कोई भी नीति बनाई, तो वह असफल साबित होगी. आरटीई कानून के अनुसार संस्था चालकों को पूर्व प्राथमिक शाला के लिए किसी भी तरह की अनुमति लेने की जरुरत नहीं है.
– डॉ. अश्विनीकुमार बाजपेयी,
सचिव, विश्वभारती पब्लिक स्कूल

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