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सावधान! दहलीज पर पहुंचा ओमिक्रॉन

नये खतरे के मिल रहे संकेत, ‘उन’ 9 सैम्पलों के रिपोर्ट की प्रतीक्षा

* लापरवाही व बेफिक्री पड सकती है भारी

* बिना मास्क लगाये घुम रहे लोगबाग, सोशल डिस्टंसिंग का हो रहा उल्लंघन

अमरावती/दि.17- इस समय पूरी दुनिया कोविड वायरस के ओमिक्रॉन नामक नये वेरियंट के खतरे से जूझ रही है और महाराष्ट्र में भी इस वेरियंट से संक्रमित मरीज मिलने शुरू हो चुके है. जिसके तहत दो दिन पूर्व अमरावती जिले से सटे बुलडाणा जिले में एक ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज पाया जा चुका है. ऐसे में अब स्वास्थ्य महकमे की चिंताएं बढ गई है, क्योंकि एक तरह से अब ओमिक्रॉन वायरस के खतरे ने अमरावती जिले की दहलीज पर दस्तक दे दी है. वहीं अमरावती जिले के 9 कोविड संक्रमित मरीजों की जिनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट मिलना अभी बाकी है. ऐसे में उन 9 सैम्पलों की रिपोर्ट का प्रशासन द्वारा बडी बेसब्री के साथ इंतजार किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर लोगबाग अब इस अंदाज में बेफिक्र और लापरवाह होकर सडकों व सार्वजनिक स्थानों पर घुम-फिर रहे है. मानों कोविड संक्रमण का खतरा पूरी तरह से खत्म हो गया है. किंतु यह लापरवाही और बेफिक्री काफी हद तक भारी भी पड सकती है. ऐसा प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग का मानना है.
बता दें कि, अमरावती जिले से दिल्ली व पुणे की प्रयोगशालाओं में भेजे गये 9 सैम्पलोें में से 3 सैम्पल गुजरात से वापिस लौटे व्यक्ति व उसके संपर्क में आये लोगों के है. जिसके चलते इन तीनों की जिनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट रिपोर्ट त्वरित प्राप्त होने के लिए तमाम आवश्यक प्रयास किये जा रहे है. बता दें कि, विगत बुधवार को बुलडाणा जिले में ओमिक्रॉन संक्रमित पाया गया मरीज भी किसी दूसरे राज्य की यात्रा कर वापिस लौटा था. ऐसे में उस व्यक्ति का तथा अमरावती जिले के तीन पॉजीटीव मरीजों का आपस में कोई संबंध है अथवा नहीं, इसे लेकर भी आवश्यक जांच की जा रही है.
बता देें कि, जिन कोविड संक्रमितों के थ्रोट स्वैब सैम्पलों में सीटी स्कोर 30 से कम होता है, उनके सैम्पलोें को विश्लेषणात्मक जांच के लिए दिल्ली व पुणे स्थित विषाणु संशोधन प्रयोगशाला के पास भेजा जाता है. यह प्रक्रिया विगत अनेक दिनों से जारी है. सैम्पल भेजे जाने के बाद करीब एक माह का समय विस्तृत रिपोर्ट मिलने में लग जाता है. ऐसे में करीब 15 दिन पहले भेजे गये सैम्पलों की रिपोर्ट अब तक मिलना बाकी है. ऐसे में उन सभी सैम्पलोें की रिपोर्ट मिलने का बडी बेसब्री के साथ इंतजार किया जा रहा है.
* स्वास्थ्य सुविधाओं को फिर किया जा रहा चुस्त-दुरूस्त
इस दौरान ओमिक्रॉन वेरियंट के खतरे को देखते हुए जिले का स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर अलर्ट हो गया है और जिलाधीश के नेतृत्ववाले टास्कफोर्स ने भी अपनी पूरी क्षमता के साथ इस विषय पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. साथ ही जिला आपत्ति व्यवस्थापन प्राधिकरण की अध्यक्ष होने के नाते जिलाधीश पवनीत कौर ने इस संदर्भ में पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर को स्थिति से अवगत कराया है. जिसके बाद पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने तत्काल ही टास्कफोर्स की बैठक बुलाते हुए जिले के कोविड अस्पतालों, वहां उपलब्ध बेड, कोविड केयर सेंटर, विशेषज्ञों की उपलब्धता तथा ऑक्सिजन व वेंटिलेटर सहित अन्य आवश्यक बातोें की समीक्षा की. साथ ही इसे लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किये. जिसके पश्चात जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम तथा जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप रणमले के नेतृत्व में स्वास्थ्य महकमे द्वारा अपनी तमाम तैयारियां शुरू कर दी है.
* एक बार फिर ‘थ्री-टी’ पर अमल
कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान टेस्टिंग, ट्रेसिंग व ट्रिटमेंट ऐसे तीन ‘टी’ का समावेश रहनेवाली पध्दति अमल में लायी गई थी. इसमें से कोविड संक्रमण की रफ्तार का असर कम होते ही टेस्टिंग व ट्रेसिंग का प्रमाण तुलनात्मक रूप से कुछ कम हो गया. किंतु अब एक बार फिर कोविड संक्रमित मरीजों की बढती संख्या को देखते हुए तीनों ‘टी’ को अमल में लाये जाने की सख्त जरूरत है. ऐसा खुद स्वास्थ्य महकमे का मानना है.
* वह गलती पड सकती है भारी
कोविड संक्रमण की पहली दो लहर के दौरान अमरावती जिले में कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज करने हेतु पर्याप्त मनुष्यबल उपलब्ध था, उस समय समूचे जिले में डॉक्टर, परिचारिका, समुपदेशक, वॉर्डबॉय व सहायक मिलाकर करीब 1 हजार 300 अतिरिक्त मेडिकल स्टाफ को कार्यरत किया गया था. एनएचएम अंतर्गत नियुक्त किये गये इस मेडिकल स्टाफ को विगत अप्रैल 2021 से धीरे-धीरे कम कर दिया गया. जिसे लेकर वजह सामने की गई कि, चूंकि सरकार के पास इन्हेें अदा करने हेतु पैसा नहीं है. यदि मेडिकल स्टाफ के उन लोगों को कम नहीं किया जाता, तो शायद कोविड जांच की रफ्तार सुस्त नहीं होती तथा कोविड संक्रमित मरीजों को आसानी से खोजा जा सकता. साथ ही उनका इलाज भी किया जा सकता. किंतु जिस समय मेडिकल स्टाफ की सही मायनों में जरूरत थी, उसी समय उन्हें काम से हटा दिया गया. सरकार की यह गलती कोविड संक्रमण की तीसरी लहर के लिहाज से काफी भारी पड सकती है.
* रिपोर्ट कब मिलेगी बताना मुश्किल
कोविड संक्रमित पाये गये मरीजों में से संदेहास्पद रहनेवाले मरीजों के सैम्पल हमेशा ही दिल्ली व पुणे की प्रयोगशालाओं में भिजवाये जाते है. जहां से रिपोर्ट मिलने में अच्छाखासा समय लग जाता है. इस समय भी करीब 19 मरीजों के सैम्पलों की रिपोर्ट मिलना बाकी है. जिसमें से कई सैम्पल तो अक्तूबर माह में भेजे गये थे. जिन्हें लेकर कोई विशेष चिंता नहीं है, किंतु हाल-फिलहाल पुणे की प्रयोगशाला में भेजे गये सैम्पलों की रिपोर्ट मिलने का बडी बेसब्री के साथ इंतजार किया जा रहा है. किंतु इन दोनों प्रयोगशालाओं पर समूचे देश से भेजे जानेवाले सैम्पलों की रिपोर्ट देने के काम का बोझ है. ऐसे में वहां से सैम्पलों की रिपोर्ट निश्चित तौर पर कब मिलेगी, यह बताना फिलहाल मुश्किल है.

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