खून की जरुरत रहने पर भी गर्भवती महिला निकल गई अस्पताल से
इलाज कराए बिना घर जाने की जिद पर अड गई थी
* डॉक्टरों ने समझाया, सामाजिक कार्यकर्ताओं की ली मदद
अमरावती /दि.7- स्थानीय जिला सामान्य अस्पताल में एक आदिवासी गर्भवती महिला प्रकृति गंभीर रहने के दौरान किसी को बताए बिना अपने घर जाने हेतु निकल गई. जबकि इस महिला के शरीर में हिमोग्लोबिन का प्रमाण बेहद कम था और उसे रक्त चढाए जाने की जरुरत थी. जिसके चलते अस्पताल प्रशासन द्बारा उक्त महिला की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा था. परंतु उक्त गर्भवती महिला और उसके रिश्तेदार अस्पताल में रुकने के लिए तैयार ही नहीं थे. साथ ही डॉक्टरों एवं मेडिकल स्टाफ द्बारा समझाने-बुझाने के तमाम प्रयासों को अनदेखा व अनसुना कर रहे थे. ऐसे में अस्पताल के डॉक्टरों ने मेलघाट के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहायता ली.
बता दें कि, मेलघाट में माता मृत्यु व बाल मृत्यु को रोकना स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सरकार के लिए एक बडी चुनौती है. इस हेतु सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों द्बारा भी अथक प्रयास किए जाते है. परंतु कई बार आदिवासी मरीजों को उनके रिश्तेदारों द्बारा अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिलता. कुछ ऐसा ही मामला विगत दिनों भी घटित हुआ. जानकारी के मुताबिक हतरु स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत एक गांव में रहने वाली गर्भवती महिला की तबीयत बिगड जाने पर उसे जिला सामान्य अस्पताल में 29 सितंबर को भर्ती कराया गया. इस महिला के शरीर में हिमोग्लोबीन का प्रमाण बेहद कम था. जिसके चलते उसे और उसके गर्भस्थ शिशु की ओर डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों द्बारा विशेष ध्यान दिया जा रहा था. इस महिला को दो बोतल खून चढाया जा चुका था तथा और भी दो बोतल खून चढाए जाने की जरुरत थी. परंतु बुधवार को वह महिला अचानक ही अपने परिजनों के साथ अस्पताल से निकल गई. इस समय घर जाने की जिद पर अडे इन सभी लोगों को अस्पताल के डॉक्टरोें व स्वास्थ्य कर्मियों ने समझाने-बुझाने का काफी प्रयास किया. परंतु वे अस्पताल में रुकने के लिए तैयार ही नहीं थे. जिसके चलते मेलघाट सेल के डॉक्टरों व कर्मचारी के प्रयास व्यर्थ चले गए.
* मेलघाट के सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी मांगी मदद
उक्त गर्भवती महिला को इलाज की सख्त जरुरत थी. ऐसे में उसका अस्पताल में भर्ती रहना बेहद जरुरी था. इस बात के मद्देनजर अतिरिक्त जिला शल्यचिकित्सक डॉ. प्रमोद नरवने ने खुद महिला के रिश्तेदारों को समझाया. साथ ही मेलघाट सेल के कर्मचारियों की मदद ली. लेकिन इसके बावजूद भी संबंधित महिला के रिश्तेदार अपनी मानसिकता बदलने के लिए तैयार नहीं थे. जिसके चलते मेलघाट के सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी सहायता ली गई.
* आईसीयू में भी थी भर्ती
उक्त गर्भवती महिला इससे पहले भी प्रकृति गंभीर रहने के चलते जिला सामान्य अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थी. पश्चात 16 अगस्त को स्वास्थ्य में सुधार होने पर वह अपने गांव चली गई थी. लेकिन कुछ ही दिनों में उसका स्वास्थ्य एक बार फिर बिगड जाने के चलते 29 अगस्त को उसे अस्पताल में दोबारा भर्ती कराया गया. परंतु इस बार पूरी तरह से ठीक हुए बिना ही वह अपने ही मन से अपने गांव चली गई.