* जंगल में बिताई रात
चिखलदरा/दि.10– अंधश्रद्धा के चलते मेलघाट के महिलाएं आज भी प्रसूति के लिए अस्पताल जाने तैयार नहीं रहती. डर के मारे अस्पताल से एक गर्भवती महिला भागने की घटना चौथी बार प्रकाश में आई है.
चूर्णि के ग्रामीण अस्पताल में भर्ती की गई एक आदिवासी महिला की जांच करने के बाद डॉक्टरों ने सिजिरीयन करने का निर्णय लिया. यह सुनकर पेट काटे जाने के भय से गर्भवती महिला अस्पताल से भागकर एसटी से गांव रवाना हो गई और बसस्टैंड से उतरते ही वेदना शुरु होने से जंगल में बीच रास्ते में ही उसने एक बच्चे को जन्म दिया. पूरी रात वहीं रुककर वह खेत की एक झोपडी में गई. दिल दहला देने वाली यह घटना तहसील के खुटीदा में बुधवार को घटी. संबंधित आदिवासी महिला का नाम कविता दिनेश धिकार (28) है. वह चौथी बार गर्भवती थी. प्रसूति के दिन निकट आने से हतरु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उसे दिखाया गया. वहां से चूर्णी ग्रामीण अस्पताल में उसे रेफर किया गया था. उसके साथ दाई भी थी. चूर्णी में डॉक्टरों व्दारा जांच किए जाने के बाद प्रसूति की वेदना न होने से और बच्चे और माता के स्वास्थ्य का विचार कर डॉक्टरों ने सिजर करने के लिए उसे अचलपुर अथवा अमरावती में रेफर करने का निर्णय लिया था. लेकिन यह निर्णय सुनते ही वह अस्पताल से भाग गई.
* पेट काटने के भय से भागी
डॉक्टरों ने प्रसूति न होने से सीजर करने कहा और अचलपुर अथवा अमरावती भेजा जाएगा. साथ ही पेट भी काटा जाएगा, ऐसी आशंका और भय से संबंधित महिला ने दाई के साथ भागने का निर्णय लिया. चुपचाप वह किसी को कुछ न बातते हुए अस्पताल से भाग गई. परतवाडा-भांडूम एसटी बस से वह गांव भाग गई और शाम 7 बजे गांव के फाटा पर उतर गई थी.
* खराब रस्ता और जंगल में प्रसूति
खुटीदा की तरफ जिस मार्ग से एसटी बस जाती है वह मार्ग काफी खराब है. इस कारण प्रसूति वेदना होने पर बस से उतरते ही कुछ ही समय में जंगल में प्रसूति हुई. रात जंगल में बिताकर सुबह समीप के मुंशी भैया के खेत में उसे आश्रय दिया गया. यह जानकारी पूर्व उपसभापति नानकराम ठाकरे को मिलते ही गुरुवार को सुबह उन्होंने स्वास्थ्य यंत्रणा को जानकारी दी.
* पुलिस में शिकायत
कविता प्रसूति के लिए अस्पताल में भर्ती रहते अचानक चले जाने से चूर्णी ग्रामीण अस्पताल में पुलिस को जानकारी दी. मेलघाट की आदिवासी महिलाओं में घर में प्रसूति करने का प्रमाण कम करने के लिए स्वास्थ्य यंत्रणा प्रयासरत रहते महिलाओं का भय कम करने का काम अभी भी पूर्ण नहीं हुआ है.
* मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर ध्यान
गर्भवती आदिवासी महिला को प्रसूति के लिए लाया गया. डॉक्टरों ने जांच के बाद सिजर करने का निर्णय लिया, लेकिन महिला चली गई. इस संबंध में पुलिस को भी सूचित किया गया. उसके स्वास्थ्य की दृष्टि से उसे समझाकर नवजात और उसे उपचार के लिए कैसे लाया जा सकता है, इस बाबत प्रयास जारी है.
– रामदेव वर्मा,
वैद्यकीय अधिकारी, चूर्णी ग्रामीण अस्पताल