अमरावती

कांग्रेस में कलह के बीच विधानसभा की तैयारी

भावी प्रत्याशी के लिए सेफ पैसेज बनाने का प्रयास

अमरावती-/दि.1  हाल ही में अमरावती के दौरे पर आये कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने शहर कांग्रेस में रहनेवाले विवाद को आपसी सामंजस्य के साथ हल करने की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद भी यह विवाद खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा है. जिसे लेकर माना जा रहा है कि, इसी विवाद की आड में अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के भावी प्रत्याशी के लिए सेफ पैसेज बनाने का प्रयास हो रहा है और पूरी तैयारी भाजपा से कांग्रेस में घर वापसी कर चुके पूर्व विधायक के लिए हो रही है.
बता दें कि, मूलत: राष्ट्रवादी कांग्रेस से संबंध रखनेवाली सुलभा खोडके ने वर्ष 2014 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से लडा था. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पडा था. वहीं इस चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर डॉ. सुनील देशमुख ने चुनाव जीता था. इसके बाद वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव सुलभा खोडके ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से लडा और उनका मुकाबला एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड रहे डॉ. सुनील देशमुख से हुआ. इस चुनाव में सुलभा खोडके ने डॉ. सुनील देशमुख को करीब 20 हजार वोटों की लीड से पराजीत किया था. भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा चुनाव में हार का सामना करनेवाले डॉ. सुनील देशमुख इसके बाद भाजपा छोडकर कांग्रेस में वापिस लौट आये और इसके साथ ही विधायक सुलभा खोडके पर यह आरोप लगने शुरू हो गये कि, वे कांग्रेस की बजाय राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर ज्यादा झुकाव रखती है. साथ ही कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ दूरी बनाकर रखती है. ऐसे आरोपोें ने पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख के कांग्रेस में लौटने के बाद कुछ ज्यादा ही जोर पकडा और शहर कांग्रेस कमेटी द्वारा अपने ही पार्टी की विधायक सुलभा खोडके को पार्टी के कार्यक्रमों से दूर रखा जाने लगा. जिसे लेकर विधायक सुलभा खोडके ने खुले तौर पर अपनी नाराजगी भी जतायी. इसे लेकर भी उन पर पार्टी पदाधिकारियों की ओर से कई आरोप लगाये गये.
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक भाजपा छोडकर कांग्रेस में वापिस लौटे डॉ. सुनील देशमुख को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के भावी प्रत्याशी के तौर पर अभी से प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया गया है और डॉ. सुनील देशमुख के पार्टी में वापिस लौटते ही ऐसा दर्शाया जा रहा है, मानो इससे पहले अमरावती शहर में कांग्रेस पूरी तरह से नेतृत्वहीन थी और अब डॉ. सुनील देशमुख के रूप में पार्टी को एक सशक्त नेतृत्व मिल गया है.
बता दें कि, डॉ. सुनील देशमुख अपने महाविद्यालयीन जीवन से ही कांग्रेस की विचारधारा के साथ जुडे हुए है तथा एनएसयूआय व युवा कांग्रेेस पदाधिकारी के तौर पर काम कर चुके डॉ. सुनील देशमुख ने वर्ष 1999 व 2004 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीता था. हालांकि बाद में बदली हुई राजनीतिक स्थितियों के चलते उन्होंने वर्ष 2009 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लडा. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पडा. ऐसे में वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव के मुहाने पर डॉ. सुनील देशमुख अपने समर्थकों के साथ भाजपा में चले गये और उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए जीत हासिल की. परंतु भाजपा प्रत्याशी के तौर पर उन्हें वर्ष 2019 के चुनाव में हार का सामना करना पडा. जिसके बाद वे एक बार फिर कांग्रेस में वापिस लौट आये और अब माना जा रहा है कि, वे वर्ष 2024 का विधानसभा चुनाव अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लडने की तैयारी कर रहे है. वहीं दूसरी ओर अमरावती की सीट भाजपा से छीनकर कांग्रेस को दिलानेवाली विधायक सुलभा खोडके द्वारा भी अगले चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर अपना दावा ठोका जा रहा है. यहीं इस समय शहर कांग्रेस में चल रहे कलह के पीछे मुख्य वजह है, जो कब और कैसे खत्म होगी, इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.

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