अमरावतीविदर्भ

आकोट -धुलघाट रेल के लिए बड़े आंदोलन की तैयारी

(melghat)'मेलघाट क्वीन' को मिलता भारी जन प्रतिसाद 

प्रतिनिधी/दि.१७
परतवाड़ा/ मेलघाट – सीपी एंड बेरार प्रदेश की तत्कालीन सरकार की अनुशंसा से मेलघाटवासियों की सेवा में शुरू की गई काचीगुडा -अजमेर रेल लाइन को अपहत कर बुलढाणा ले जाने के प्रयासों को पस्त करने अब मुखर विरोध चहुं और होने लगा है । पश्चिम मेलघाट के असंख्य रेलयात्रियों को उपलब्ध रेलसेवा को बगैर किसी पुख्ता कारण के राज्य सरकार बुलढाणा जिले से जोड़ने को आमदा है । आज मेलघाट रेल विकास समिति के कार्यकर्ता राज्य के वनमंत्री संजय राठौड़ , संभागीय आयुक्त और जिलाधीश को एक निवेदन देकर व्हाया धुलघाट ब्रॉडगेज और अस्थायी मीटरगेज शुरू करने की मांग करेंगे । दो दिन पूर्व धुलघाट के समाज मंदिर में सम्पन्न हुई सभा मे विस्तार से चर्चा के बाद यह रणनीति बनी कि अब इस रेल को बचाने के लिए किसी एक राजनीतिक पार्टी की बजाय सर्वदलीय कृति समिति का गठन किया जाना चाहिए । अमरावती संभाग के पांचों जिलों के जनप्रतिनिधिओ के अलावा सामाजिक संघटन , विविध संस्थाओं और सामान्य व्यक्ति को इस रेल बचाओ अभियान से जोड़ा जाये । यह पहला मौका है जब मेलघाट के आदिवासियों के हितों के लिए लीडरों के साथ ही लोगो मे जबरदस्त ऊर्जा देखने को मिल रही है ।
 भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य दिनेश सूर्यवंशी , प्रहार के विधायक राजकुमार पटेल , अंजनगाव के नगराध्यक्ष , चिखलदरा नपा के अध्यक्ष , चांदूर बाजार के  प्रेसिडेंट , धारणी तहसील के ग्रा .प. स्तर से लेकर वरिष्ठ ओहदे के अधिकांश प्रतिनिधि इस मेलघाट रेल अभियान में सक्रिय रूप से जुड़ने लगे है ।
‘अमरावती मंडल ‘ के माध्यम से इस जनकल्याणकारी मुद्दे को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया जा रहा है ।राज्य सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे अपने पावर का उपयोग कर इस रूट को मेलघाट से ही उखाड़ फेंकना चाहते है । कोरोना संक्रमणकाल में लोग एकत्रित होकर सार्वजनिक प्रदर्शन नही कर सकते । ऐसे में संविधानिक विरोध के मार्ग पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है । अचलपुर और ग्रामीण अमरावती में ‘मेलघाट क्वीन ‘ के लिए अलख जगाने के काम मे गजानन कोल्हे तेजी से सक्रिय है । अन्य शहरों और दिल्ली -मुंबई तक संवाद बनाने का कार्य दिनेश सूर्यवंशी ने बखूबी संभाल रखा । चिखलदरा -धारणी के लोगो मे अपने हक़ के रेलमार्ग हेतु जनजगृति का काम अप्पा पाटिल , धुलघाट के सरपंच श्रीराम भिलावेकर , आशीष शर्मा , बिलवे , विक्की नवलाखे , धौंडिबा मुंडे , गोविंद मुंडे , दिलीप वसु , तारसिंग कासदेकर , अशोक मावास्कर , भगवान मुंडे , रामविलास दहिकर , विलास जावरकर द्वारा किया जा रहा है । धुलघाट रेल मार्ग को किसी भी हाल में अन्यत्र लेजाने नही दिया जायेगा इस उद्देश्य को साकार करने की दिशा में सभी मान्यवर लग चुके है । प्रा दिनेश सूर्यवंशी कहते है कि मेलघाट को रेल के राष्ट्रीय नक्शे से ही खत्म कर देने के इस षड्यंत्र को हम विफल कर ही दम लेंगे ।गजानन कोल्हे का कहना है कि आदिवासियों के हक़ की रेल लाइन को बुलढाणा ले जाने का कोई ओचित्य नजर नही आता । हम आदिवासियों के हितों के साथ कोई समझौता नही करेंगे । यह रेल जैसी है वैसे ही शुरू की जाएंगी । वरिष्ठ कार्यकर्ता अप्पा पाटिल इशारा देते हुए कहते है कि रेलमार्ग के संभावित प्रभावित लोगों के साथ जल्द ही हम जिला मुख्यालय अमरावती जाकर लोगो को हकीकत से रूबरू कराएंगे ।
  73 वे स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त यानी कल मेलघाट की सभी ग्राम पंचायतों से आकोट , हिवरखेड़ , वान , आमला खुर्द , धुलघाट , डाबका से तूकईथड तक रेलसेवा पूर्ववत रखने के लिए महत्वपूर्ण रूपरेखा बनाने की जानकारी मिली है । रेलमार्ग बचाने के लिए स्कूल -कालेज के विद्यार्थी , नोकरीपेशा लोग , व्यापारी , मीडिया , समाजसेवक , चिकित्सक , वकील आदि सभी को एक मंच पर लाने के प्रयास युद्धस्तर पर जारी है ।17 अगस्त तक ‘ मेलघाट क्वीन ‘ को बचाने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी खुलकर सामने आने की जानकारी सूत्रो ने दी है ।15 अगस्त को धुलघाट परिसर की करीब 10 ग्राम पंचायतों ने एक प्रस्ताव पारित कर आकोट -धुलघाट रेल के मीटरगेज स्वरूप को तत्काल शुरू रखने और इसी रूट को ही ब्रॉडगेज में तब्दील करने की मांग केंद्र व राज्य सरकार से की है ।
  • मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का रेलमंत्री को पत्र
सन 2008-09 में रेल मंत्रालय ने आकोला -खंडवा ब्रॉडगेज कार्य को शुरू कर दिया था । करीब 11 साल बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की हैसियत से ठाकरे ने एक पत्र रेल मंत्रालय को लिखा । पत्र में उद्धव ने रेल्वे से अनुरोध किया कि वह अपने प्रस्तावित 176 किमी के आकोला-खंडवामीटरगेज से  ब्रॉडगेज को वापिस ले । रेलमंत्री पीयूष गोयल से ठाकरे ने कहा कि पर्यायी रेलमार्ग यह मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के बाहर से लेकर जाये ।वन्यजीव संरक्षण व बाघों के आवास के दृष्टिकोण से यह लाभकारी होंगा ।ठाकरे ने कहा कि आमान परिवर्तन में दीर्घकालीन नुकसान को ध्यान में रखते हुए यह उचित होंगा की किसी पर्यायी रूट पर विचार किया जाए ।जिससे वन्यप्राणियो की स्वतंत्रता अबाधित रखी जा सके । ठाकरे के अनुसार पर्यायी मार्ग का चयन करने पर बुलढाणा जिले के संग्रामपुर , जामोद सहित 100 गाँवो को रेल कनेक्टिविटी मिलेंगी । इससे आर्थिक विकास को बल मिलेंगा।ठाकरे ने अपने पत्र में पीएम मोदी के शब्दों को कोट करते हुए लिख की बाघों के संरक्षण पसंद नही है बल्कि यह अनिवार्यता है । ठाकरे पत्र में लिखते है कि इस प्रस्थवित जुने मार्ग पर रेल्वे बड़ी सुरंग वगैराह बनायेगा । इस हेतु बड़ी -बड़ी मशीनें व  यंत्र सामग्री आएंगी । इसे व्यवधान उतपन्न होंगा । रेलवे सिर्फ मीटरगेज की जगह ही काम नही करेंगा ।इस हेतु कुछ अतिरिक्त जगह भी रेल्वे लेने जा रहा है ।
 मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के 38 किमी के दायरे में से जिस 23.48 किमी क्षेत्र में रेल्वे ट्रैक निर्माण कर रहा वो पुरानी मीटरगेज की जगह पर ना होकर नई प्रस्तावित जगह पर होंगा ताकि रेल यातायात बगैर मोड़ का सरल किया जा सके । ठाकरे के कहना है कि रेल्वे सिर्फ जजं ही परिवर्तन नही कर रहा बल्कि पूरी लाइन का ही पुनर्निर्माण किया जा रहा है ।ठाकरे ने पत्र में लिखा है कि प्रस्तावित पूर्णा-आकोला-खंडवा आमान परिवर्तन जो कि मेलघाट से होकर जायेगा, उससे भविष्य में रेल यातायात में भारी वृद्धि होंगी ।इससे टाइगर रिजर्व के अतिसंवेदनशील क्षेत्र में खलल उतपन्न होंगा । ठाकरे के अनुसार जब से व्याघ्र प्रकल्प ने इस क्षेत्र के 13 गाँवो का पुनर्वसन किया और प्रतिबन्ध लगाया है तब से कोर एरिया में वन्यप्राणियो की संख्या में सतत इजाफा हुआ है। प्रस्तावित रेल लाइन साकार होने पर अतीत में व्याघ्र प्रकल्प ने वन्यप्राणी वृद्धि करने में व अन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में जो सफलता पायी है वो मेहनत सब पानी पानी हो जाएंगी ।रेल ट्रैक से गंदगी बढ़ेंगी, प्रदूषण बढ़ेगा ।
रेल मंत्रालय का कहना है -: उद्धव ठाकरे के विस्तृत पत्र के जवाब में वरिष्ठ दर्जे के अधिकारी तो टूक जवाब देकर ही निर्णय कर देते है । रेल मंत्रालय अधिकारियों के अनुसार सन 1980 से पूर्व यह रेल ट्रैक भारतीय रेल्वे की खुद की संपत्ति है ।1980 के बाद व्याघ्र प्रकल्प और वन विभाग के प्रतिबंधात्मक कानून लागू हुए है । सन 80 के बाद लागू हुए कानून से यह पूरी रेल लाइन व रेल संपत्ति टाइगर प्रोजेक्ट की नही हो जाती है ।व्याघ्र प्रकल्प के नियम रेलवे को लागू नही होते ।
आकोट-धुलघाट-खंडवा रेलमार्ग की हकीकत -: 176 किमी का आकोला-खंडवा रेल ट्रैक यह गाविलगढ़ पहाड़ियों की सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं के दक्खन पठार से होकर महाराष्ट्र -मध्यप्रदेश को जोड़ता है ।इस मार्ग के प्रमुख पुलों में पूर्णा नदी पर बना पुल जो उगवे और पाटसुल के बीच मे है ।दूसरा पुल वान नदी पर है जो वान रोड और धुलघाट स्टेशन के मध्य में आता है और तीसरा सबसे बड़ा पुल ताप्ती नदी पर रत्नापुर -तूकईथड के बीच मे आता है। इस मार्ग पर तीन बड़ी गुफाये( टनल ) आती है । इसमें दो टनल धुलघाट -वान के बीच और एक गुफा हिवरखेड़ -वान मार्ग पर बनी हुई है । वान -धुलघाट के बीच इस मार्ग का सबसे पेचदार मोड़ ( हिंदी के ४ का आंकड़ा ) 2 किमी की लंबाई का है ।आकोट , अड़गाव बुजुर्ग , हिवरखेड़ , वानरोड , धुलघाट  , डाबका  , तूकईथड , रत्नापुर , आमलखुर्द , गुरही , जीरावन, मोरदार , खंडवा इस प्रकार प्रस्तावित ब्रॉडगेज का मार्ग होंगा ।
इस ट्रैक पर सबसे रोमांचकारी ,पेचदार मोड़ धुलघाट पर स्थित है । प्रायः ऐसे मोड़ ब्रॉडगेज पर भी नही रहते है ।यहाँ रेलवे द्वारा निर्मित हिंदी देवनागरी के ४ के आंकड़े को पार करने के लिए और एक विशिष्ट ऊंचाई तक पहुंचने तक रेलगाड़ी खुद अपनी ही एक लाइन की परिक्रमा कर आगे का सफर तय करती है ।यह ‘४ ‘ का आंकड़ा 652/4से 654/10 के बीच स्थित है ।इसे जंगल और पत्थरों को काटकर बनाया गया है ।यह पेचदार मोड़ को पुनः ब्रॉडगेज पर बनाना भारतीय रेल के लिए एक चुनोतीपूर्ण कार्य होंगा ।
आकोला-खंडवा रेलमार्ग को ब्रॉडगेज करने के लिए सन 2008-09 में 2067 करोड़ रुपये बजट को स्वीकृति दी गई थी ।तीन चरणों मे इसे पूर्ण करना है । पहला चरण आकोला-आकोट पूर्ण हो चुका है ।यह दक्षिण मध्य रेलवे मंडल ने किया है ।दूसरे चरण में आकोट -आमलखुर्द कार्य किया जाना है । इस हेतु 160.94 हेक्टेयर वनभूमि  की जरूरत भी होंगी । तीसरे चरण के आमलखुर्द -खंडवा का काम फिलहाल शुरू ही नही हुआ है ।
व्याघ्र प्रकल्प की स्थिति -: 3 जनवरी 2017 को राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल ने रेल मंत्रालय को सूचित किया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ( एनटीसीए ) की शर्तों के आधीन रहकर 160.94 हेक्टेयर जमीन दी जा सकती है ।इस हेतु आपको एक समझौता ज्ञापन (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग )लिखकर देना होंगा। इस संदर्भ में सन 2018  दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल  एमपावर्ड कमेटी (सर्वोच्च न्यायालय की केंद्रीय सशक्त कमेटी) में  दायर की गई है ।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के कहना है कि मेलघाट के 35 किमी के ट्रैक में से 18 किमी ट्रैक यह कोर क्षेत्र में से होकर जायेगा। इससे कोर एरिया दो भागो में विभाजित होंगा ।एनटीसीए ने रेलवे को पर्यायी व्यवस्था करने की सलाह दी जिससे मेलघाट के ये  29 गाँव भी जुड़े ही रहे साथ ही आर्थिक विकास भी हो । हिवरखेड़, सोनाला  उसरणी, ख़ाकनार, खिकरी, तूकईथड , रत्नापुर मार्ग को पर्यायी बताया जा रहा है ।
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रेलवे की चिंता-: यदि आकोट से नया मार्ग डालते है तो प्रोजेक्ट की लागत दोगुनी -तिगुनी हो जाएंगी ।आकोट से तूकईथड के बीच जो काम शुरू है उसे बंद करना होंगा ।पहाड़ी क्षेत्र में पूरा काम नये सिरे से शुरू करना पड़ेंगा ।इस हेतु एक ही टनल 6.65 किमी की बनानी होंगी ।रेल्वे अधिकारियों के अनुसार इससे प्रोजेक्ट की लागत 800 से 1000 करोड़ रुपये तक बढ़ जाएंगी ।फिलहाल इस पर बहस , चर्चा और चिंतन -मनन जारी है ।

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