दिपाली चव्हाण आत्महत्या मामले को रफा-दफा करने की तैयारी!
फाइल बंद कर एम. एस. रेड्डी को बचाने का हो रहा प्रयास
* मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के उस समय क्षेत्र संचालक थे रेड्डी
* दिपाली चव्हाण द्वारा की गई शिकायतों पर नहीं दिया था ध्यान
अमरावती/दि.16 – दो वर्ष पूर्व मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत हरिसाल में पदस्थ वनक्षेत्र अधिकारी दिपाली चव्हाण के आत्महत्या वाले मामले की फाइल को पूरी तरह से बंद करने की दृष्टि से कदम उठाये जा रहे है, ताकि इस मामले को रफा-दफा किया जा सके, ऐसी जानकारी सामने आयी है. साथ ही साथ इस मामले की जांच के दौरान दोषी पाये गये भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को बचाने की गतिविधियां भी तेज हो गई है, ऐसा भी पता चला है.
बता दें कि, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के हरिसाल में पदस्त महिला वन परिक्षेत्र अधिकारी दिपाली चव्हाण ने 25 मार्च 2021 को अपने सरकारी निवासस्थान पर अपनी सर्विस रिवाल्वर से खूद पर गोली चलाकर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या से पहले लिखे गये 4 पन्ने के पत्र में दिपाली चव्हाण ने अपने साथ होने वाली प्रताडना का उल्लेख करते हुए तत्कालीन उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार को अपनी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था. साथ ही यह भी लिखा था कि, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के तत्कालीन क्षेत्र संचालक एम. एस. रेड्डी ने भी इस संदर्भ में बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया. पश्चात इस मामले में विनोद शिवकुमार व एम. एस. रेड्डी की गिरफ्तारी भी हुई थी. यद्यपि मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने रेड्डी के खिलाफ दर्ज अपराधिक मामले को रद्द कर दिया था. लेकिन इसके बावजूद उनके पीछे जांच की झंझट लगी रही. वहीं भारतीय पुलिस सेवा की महिला अधिकारी द्वारा की गई जांच में भी रेड्डी को दोषी ठहराया गया था और बाद में हुई विभागीय जांच में भी रेड्डी को दोषी पाया गया.
इस मामले की जांच हेतु तत्कालीन प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एम. के. राव की अध्यक्षता के तहत एक जांच समिति गठित की गई थी. जिसकी तीन उपसमितियां भी तैयार की गई थी. राव की सेवानिवृत्ति के बाद तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास गुप्ता इस समिति के अध्यक्ष बने और इस जांच समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में रेड्डी को दोषी ठहराया था. उसी समय मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में हुई आर्थिक गडबडियों को लेकर तत्कालीन प्रधान मुख्य वनसरंक्षक सुनील विमये ने सरकार के पास भेजने हेतु चार्जशीट तैयार की. इन सभी बातों को देखते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ निर्णय लेना अपेक्षित था. परंतु तत्कालीन प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वाय. एल. पी. राव ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया. वहीं अब करीब डेढ वर्ष के अंतराल पश्चात सरकार स्तर पर इस मामले को लेकर गतिविधियां तेज हुई है. जिसके जरिए तत्कालीन क्षेत्र संचालक एम. एस. रेड्डी को बचाने के प्रयास किये जा रहे है, ऐसी चर्चा चल रही है.
राज्य के प्रधान मुख्य वनसरंक्षक शैलेश टेंभूर्णीकरण से इस पूरे मामले को लेकर उनका अभिप्राय मांगा गया है. जिन्होंने प्रधान मुख्य वन संरक्षक महिप गुप्ता व प्रधान मुख्य वनसरंक्षक शोमिता विश्वास का समावेश रहने वाली जांच समिति गठित की है. इन तमाम बातों को देखते हुए वनसेवा के अधिकारियों द्वारा सवाल उपस्थित किया जा रहा है कि, जब जांच समिति द्वारा रेड्डी को पहले ही दोषी ठहरा दिया गया है, तो अब इस पर नये सिरे से अभिप्राय क्यों मांगा जा रहा है तथा अभिप्राय देने के लिए नये सिरे से समिति गठित करने का क्या औचित्य है. कही ऐसा तो नहीं है कि, इस तमाम कवायत के बीच रेड्डी जैसे वरिष्ठ वन अधिकारी को बचाने व क्लीनचीट देने का प्रयास चल रहा है.
* क्या था मामला?
‘लेडी सिंघम’ के तौर पर पहचान रखने वाली दिपाली चव्हाण मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत हरिसाल में वन परिक्षेत्र अधिकारी के तौर पर कार्यरत थी. जिन्होंने वरिष्ठाधिकारियों द्वारा की जाने वाली प्रताडना से तंग आकर 25 मार्च 2021 को अपने सरकारी निवासस्थान पर खुद को अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या से पहले लिखी गई चिठ्ठी में तत्कालीन उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार सहित तत्कालीन क्षेत्र संचालक एम. एस. रेड्डी का नाम लिखा हुआ था. जिसके चलते एम. एस. रेड्डी को तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया गया था. वहीं इस मामले के सामने आते ही फरार हो जाने वाले विनोद शिवकुमार को 28 अप्रैल की रात नागपुर से गिरफ्तार किया गया था. पश्चात मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने रेड्डी के खिलाफ दर्ज अपराध को रद्द कर दिया था. हालांकि वे इस मामले की वजह से करीब एक साल तक निलंबित भी रहे. वहीं अब रेड्डी को इस मामले से पूरी तरह बाहर निकालने का प्रयास चल रहा है, ऐसी जानकारी सामने आयी है.
* दिपाली चव्हाण आत्महत्या मामले में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के तत्कालीन क्षेत्र संचालक एम. एस. रेड्डी के संदर्भ में जांच रिपोर्ट पर सरकार द्वारा अभिप्राय मांगा गया है, ऐसे में अभिप्राय भेजने हेतु एक समिति गठित की गई है, जो जल्द ही रिपोर्ट का अध्ययन करते हुए सरकार को अपना अभिप्राय भेजेंगी.
– शैलेश टेंभूर्णीकरण,
प्रधान मुख्य वनसरंक्षक (वनबल प्रमुख)