आदिवासी बहुल मेलघाट में होली पर्व की तैयारियों पर पानी फिरा
कोरोना के चलते लगा बाजारों पर प्रतिबंध
अमरावती/दि.23 – आदिवासियों के सबसे बडे त्यौहार होली की तैयारियों इस बार फीकी-फीकी सी नजर आ रही है. कोरोना के चलते धारणी नगर पंचायत ने होली के लिए लगने वाले स्थायी बाजारों पर प्रतिबंध लगाया है. जिसमें लोग इस त्यौहार पर खरीदी नहीं कर पा रहे है. वहीं इस बार कोविड 19 के नियमों के तहत प्रशासन ने लोगों की भीड न करने की सूचनाएं दी गई है. जिससे लोग सहमे हुए है ऐसे में एक सप्ताह बाद आने वाले होली के पर्व पर धारणी में हमेशा की तरह धूम नहीं होगी. कुल मिलाकर कोरोना के कारण होली के रंग में भंग पडता नजर आ रहा है.
गत वर्ष मार्च माह से कोरोना संक्रमण ने जिले में दस्तक दी. 22 मार्च से लॉकडाउन लगा. जिसके बाद से अब तक व्यवस्थाएं बेपटरी है. कोई त्यौहार सार्वजनिक रुप से नहीं मनाया गया. लेकिन मार्च 2020 में होली 9 मार्च और रंगपंचमी 10 मार्च को होने से इस पर कोविड-19 के नियमों का साया नहीं पडा था. वैक्सीन की खबर मेलघाट के दुर्गम गांवों में तक पहुंच गई. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार उनकी होली का उत्साह फीका किया है.
आदिवासियों के पास पैसा नहीं
लगभग 1 वर्ष से आदिवासियों के पास रोजगार नहीं है. कोरोना के चलते अन्य शहरों म गए आदिवासी अपने गांव लौटने पर मजबूर हुए. स्थानीय स्तर पर पर्याप्त मात्रा में रोजगार न होने से कई युवा बेरोजगार है. हालांकि विधायक पटेल के प्रयासों से मनरेगा के तहत मजदूरी के रुपए इन आदिवासियों को दिए जा रहे है. लेकिन होली पर उत्सव मनाने जैसी कोई आर्थिक स्थिती उनकी नहीं है.
वर्ष भर करते है बचत
हर वर्ष होली के पर्व पर तहसील में उत्साह होता है. आदिवासी पूरे वर्ष तक होली के लिए आर्थिक बचत करते है. रोजागर के लिए बहार गए आदिवासी अपने गांव लौटते है. यहां होली पर नए कपडे, गहने व अन्य सामान लेने की परंपरा है. जिससे होली के 15 दिन पहले ही धारणी के बाजारों में भीड उमडती है. लोग होली की तैयारियों में मग्न हो जाते है. इसके लिए धारणी की खात तौर पर अस्थायी बाजार सजता है गांव-गांव से आदिवासी परिवार इस बाजार में खरीदी के लिए पहुंचते है. इस बाजार से कोरोडो का व्यापार होता है.
मनरेगा के 20 करोड उपलब्ध
मेलघाट की होली पूरे देश में प्रसिद्ध है. लेकिन इस बार होली का पर्व छोटे स्तर पर मनायी जाएगी. उत्साह यथावत है, लेकिन कोरोना से सतर्कता भी जरुरी है. शहर क्षेत्र में धूम नहीं होगी लेकिन दुर्गम आदिवासी गांव में होली का पर्व पारंपारिक रुप से मनाया जाएगा. मनरेगा के तहत मजदूरी अदा करने के लिए 20 करोडो रुपयो की निधि उपलब्ध है जो मजदूरों को अदा की जा रही है.
– राजकुमार पटेल, विधायक मेलघाट