मेलघाट अभयारण्य में बुद्ध पूर्णिमा पर वन्य प्राणी गणना की तैयारी शुरु
घने जंगल में कृत्रिम जलाशय और मचान का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर
चिखलदरा /दि.7– प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी बुद्ध पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में मेलघाट की आसमान छूती पहाडियों के कोर क्षेत्रों में मेलघाट वन्य जीव विभाग द्वारा कृत्रिम जलकुंडो से सटे बनाए जा रहे मचानों पर बैठ कर प्राणी मित्र वन्य प्राणियों की गणना करेंगे. बुद्ध पूर्णिमा की रात देश के सभी बाघ संरक्षित जंगलों में वन्यजीवों की गणना की जाती है. इस वर्ष भी मेलघाट वन्य जीव विभाग के सभी क्षेत्रों में बुद्ध पूर्णिमा की रात पर्यटकों की मदद से मचानों पर बैठकर प्राणिगणना की जाएगी. मेलघाट वन्य जीव विभाग की ओर से वन्य जीव मित्रों के लिए सभी कृत्रिम जलकुंडो के समीप जंगलों की लकडियों से उंचे-उंचे मचान का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर शुरु कर दिया गया है.
जलकुंडो से सटे मचानों पर पर्यटकों के साथ एक वन्य विभाग का कर्मचारी तैनात रहता है. दोपहर तक सभी पर्यटकों को वन विभाग के वाहनों से मचान तक पहुंचाया जाता है, फिर दूसरे दिन सुबह वन विभाग के वाहनों से वापस लाया जाता है.
* रात क्यों की जाती है प्राणी गणना
बुद्ध पूर्णिमा के महीने में विशाल पहाडियों से बहनेवाले तमाम जलस्त्रोत करीब-करीब पूरी तरह सूख जाते है, ऐसे में वन्य प्राणियों का मुक्त संचार बढ जाता है. वन्य जीव विभाग द्वारा कृत्रिम जलकुंडो की मदद से इन वन्य प्राणियों की प्यास बुझाई जाती है. ऐसे में बुद्ध पूर्णिमा की रात चंद्रमा की तेज रोशनी में जलकुंडो पर अपनी प्यास बुझाने आनेवाले प्राणियों को साफ देखा जा सकता है. जिससे वन्य प्राणियों की गणना में काफी मदद मिलती है और पर्यटन को बढावा मिलता है. वन्य प्रेमी बुद्ध पूर्णिमा की रात का बहुत बेसब्री से इंतजार करते है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन दोपहर से ही बाहर से आनेवाले पर्यटकों के वाहनों को कोर क्षेत्र में जाने से रोका जाता है.
* ऑनलाइन बुकिंग
प्राणी गणना में रुचि रखने वाले पर्यटकों की बुकिंग ऑनलाइन की जाती है. जिसकी जानकारी वन्य जीव विभाग की वेबसाइट पर भी मौजूद है.
* युद्ध स्तर पर हो रहा कार्य
बुद्ध पूर्णिमा पर प्राणी गणना के लिए जंगलों में मचानों का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. उम्मीद है कि, पर्यटकों को बडी संख्या में वन्य जीवों के दर्शन होंगे.
– एन.जे. इवनाते
वनपरिक्षेत्र अधिकारी,
गाविलगढ वन्य जीव, चिखलदरा.