अमरावती

कुपोषण के संदर्भ में कृति लेखाजोखा तैयार करें

मुंबई उच्च न्यायालय का राज्य सरकार को आदेश

अमरावती/दि.21 – मेलघाट के कुपोषण के संदर्भ में उच्च न्यायालय में दाखल याचिका की दखल लेते हुए प्रत्यक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश न्यायालय ने दिए थे. इस आदेश का अनुसरण कर पुलिस महानिरीक्षक डॉ. चेरींग दोरज ने जांच कर इस बारे में रिपोर्ट मुंबई उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की. प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर सभी संबंधित विभागों ने अभ्यास कर एक कृति लेखाजोखा तैयार किया जाये, ऐसा आदेश मुंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिया है. इस मुद्दे पर 3 जनवरी तक सुनवाई हो सकती है.
इस संपूर्ण संपूर्ण समस्या पर अभ्यासपूर्ण जांच दौरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी न्यायालय ने नागपुर विभाग के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. चेरींग दोरजे को दी थी. दोरज से फिलहाल आयपीएस सेवा में हैं, फिर भी उन्होंने वैद्यकीय शिक्षा भी पूर्ण की है. वे ईशान्य भारत से होने के कारण वे दुर्गम भागों की समस्याओं से परिचित हैं. फिलहाल वे महाराष्ट्र में कार्यरत होने से मेलघाट के संदर्भ में यह जांच दौरा करने की जिम्मेदारी उन पर सौंपी गई थी. हर रोज उन्होंने प्रत्यक्ष परिस्थिति का जांच दौरा कर अपनी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की.

डॉ. नरेन्द्र वर्मा,बंडू साने व अन्यों ने दाखल की याचिका

मेलघाट व अन्य आदिवासी भागों के बच्चों की आज भी कुपोषण से मृत्यु हो रही है. वाहं के नागरिकों को अन्य भी समस्या सता रही है. इस मुद्दे पर डॉ. नरेन्द्र वर्मा व सामाजिक कार्यकर्ता बंडू साने सहित कुछ लोगों ने न्यायालय में विविध जनहित याचिका दाखल की है. इस याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता एवं न्या. गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ में सुनवाई हुई.

जांच दौरे का निष्कर्ष

दुर्गम आदिवासी भागों की सभी समस्या परस्परों से संबंधित होने से राज्य के कुपोषण की समस्या सिर्फ स्वास्थ्य विभाग द्वारा हल नहीं की जा सकती. शिक्षा का अभाव, बेरोजगारी, प्राथमिक वैद्यकीय सुविधाएं, जनजागृति सरीखे क्षेत्रों में काफी सुधार की आवश्यकता है. राज्य की संपूर्ण यंत्रणा द्वारा वहां एक साथ काम करना चाहिए. ऐसी रिपोर्ट मेलघाट की समस्या बाबत जांच दौरा करने वाले डॉ. चेरींग दोरजे ने उच्च न्यायालय में सोमवार को प्रस्तुत की. इस वर्ष नवंबर तक मेलघाट में करीबन 400 बच्चों की कुपोषण से मृत्यु होने की जानकारी याचिकाकर्ता बंडू साने ने न्यायालय को दी.

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