अमरावती

ग्रंथोत्सव में एक से बढ़कर एक रचनाओं की प्रस्तुति ने किया मंत्रमुग्ध

कवि सम्मेलन, ग्रंथदिंडी, परिसंवाद सहित अनेक कार्यक्रम

अमरावती / दि. २४- पठन संस्कृति बढ़ने के लिए प्रत्येक जिले में ‘ग्रंथोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है. इसी तर्ज पर अमरावती शासकीय विभागीय ग्रंथालय में हाल ही में ग्रंथोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें ग्रंथदिंडी सहित प्रशासकीय अधिकारियों का मार्गदर्शन, विविध विषयों पर परिसंवाद, एकल नाट्य प्रयोग तथा कवि सम्मेलन आयोजित किया गया. सभी कार्यक्रमों में वाचक, लेखक, ग्रंथप्रेमी और नागरिकों का उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला. ‘जे न देखे रवि, ते देखे कवि’ इस पंक्ती के अनुसार कवि सम्मेलन में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की. कवि सम्मेलन में सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. सम्मेलन की अध्यक्षता राज यावलीकर ने की. उन्होंने वर्हाडी कविता प्रस्तुत कर ग्रामीणों के जीवन का वर्णन किया. तथा विष्णू सोलंके ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया. अनंत नांदूरकर ने मराठी, हिंदी और उर्दू भाषा में गजल प्रस्तुत की. ेसंघमित्रा खंडारे ने ‘माऊली’ विषय पर तथा भगवान फालके, प्रा. ज्ञानेश्वर गटकर, सूचना अधिकारी अपर्णा यावलकर ने विविध विषयाेंं पर स्वरचित कविता प्रस्तुत की. कार्यक्रम का संचालन पवन नालट ने किया. ग्रंथोत्सव में आयोजित परिसंवाद में तपोवन संस्था के सचिव तथा प्राचार्य डॉ. सुभाष गवई ने समाज माध्यम और साहित्य विषय पर मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि, साहित्य समाज का आईना होता है. साहित्य का प्रसार करने के लिए समाज माध्यमों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. प्रसिद्ध चित्रकार सुनील यावलीकर, प्रा. ज्ञानेश्वर गटकर ने समाज माध्यमों के समय भी पुस्तकों का महत्व अबाधित है, ऐसा कहा. विविध विषयों पर परिसंवाद, एकल प्रयोग, पुस्तक प्रदर्शनी व बिक्री, साक्षात्कार और कवि सम्मेलन आदि कार्यक्रमों से ग्रंथोत्सव उत्साह से मनाया गया. इस अवसर पर विभागीय ग्रंथपाल अरविंद ढोणे, जिला ग्रंथालय अधिकारी डॉ. सूरज मडावी, जिला ग्रंथालय संघ के अध्यक्ष चंद्रकांत चांगदे, अविनाश दुधे, प्रा. हेमंत खडके उपस्थित थे.

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