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कालाराम मंदिर में परंपरा का जतन

450 वर्षो की परिपाटी कायम

* 7 दिनों तक बारी बारी से जागते भाविक
अमरावती/ दि. 31 – सराफा स्थित प्राचीन कालाराम मंदिर में 450 वर्षो की परंपरा का जतन किया जा रहा है. निजाम के दौर से अपने अस्तित्व को कायम रखते हुए प्रत्येक परिपाटी का निर्वहन मंदिर का उपासनी परिवार और भाविक करने का प्रयत्न करते हैं. यह मंदिर अनेक मायनों में ऐतिहासिक है.
भाउसाहब उपासनी ने बताया कि श्री समर्थ रामदास स्वामी की परंपरा से लगभग 400 वर्ष पूर्व मंदिर की स्थापना हुई थी. उपासनी परिवार के पास पूजन, प्रबंधन का दायित्व दिया गया. मंदिर की स्वच्छता, मूर्तिपूजा और त्यौहारों पर अनुष्ठान व धार्मिक उपक्रम नित्य नियम से किए जा रहे हैं. नाशिक के प्रसिध्द कालाराम मंदिर पश्चात अमरावती शहर में काले पत्थर से बनी मूर्तियां स्थापित है. राम सीता लक्ष्मण का जब उपासनी परिवार श्रृंगार करता है तो वह विलोभनीय हो जाता है. देखनेवाले मुग्ध हो जाते हैं.
काले रंग की मूर्ति का राज
भाउ उपासनी ने बताया कि प्रभु श्रीराम को 14 वर्षो का वनवास हुआ था. उस समय वे वन-वन फिरते रहे. जिससे उनका वर्ण सावला से बढकर काला हो गया था. इसीलिए इस मंदिर में काले पत्थर की मूर्तियां स्थापित की गई. मूर्तियों का चार शतकों से नित्य नियम व विधिपूर्वक पूजन किया जा रहा है.
रामनवमी उत्सव जोरदार
कालाराम मंदिर का राम नवमी उत्सव जोरदार रहता आया है. यहां पहले के दौर में भक्त श्रीराम का जाप करते हुए सात दिनों तक पहरा देते थे. रात और दिन बारी बारी से ताल बजाते हुए खडे होकर पहरा दिया जाता. आगामी रविवार को यहां राम नवमी की धूम रहेगी. परिसर के लोगों के साथ ही दूर दराज से श्रध्दालु आते हैं.

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