अमरावती

विद्यापीठ में ‘अंडर टेकिंग’ के लिए दबावतंत्र

डॉट कॉम पर विद्यापीठ प्रशासन मेहरबान क्यों?

अमरावती/दि.15 – संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के विभिन्न विभागों में डिजीटलाईजेशन के काम अधूरे रहने के बावजूद काम पूर्ण हो गये, ऐसी ‘अंडर टेकिंग’ लिखकर देने हेतु विभाग प्रमुखों पर दबाव डाला जा रहा है. ऐसे में यदि भविष्य में ऑनलाईन कामकाज में किसी भी तरह की कोई गडबडी होती है, तो ‘अंडर टेकिंग’ लिखकर देनेवाले विभाग प्रमुख ही जिम्मेदार माने जायेंगे. बावजूद इसके प्रमुख अधिकारियों द्वारा ‘डॉट कॉम इन्फोटेक’ के देयक जारी करने हेतु काम पूर्ण हो जाने की बात विभाग प्रमुखों से लिखवाकर ली जा रही है.
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के सभी विभागोें का डिजीटलाईजेशन करने हेतु सन 2017 में डॉट कॉम इन्फोटेक नामक कंपनी पर जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. किंतु डिजीटलाईजेशन के काम अधूरे रहने और देयकों के मामले में गठित जांच समिती की रिपोर्ट अप्राप्त रहने के बावजूद मार्च माह खत्म होते ही एक बडे अधिकारी ने डॉट कॉम इन्फोटेक के बिल अदा करने हेतु जोरदार प्रयास करने शुरू किये है. ऐसी विश्वसनीय जानकारी है.
विद्यापीठ में वित्त व लेखा, अंकेक्षण, परीक्षा विभाग, सामान्य प्रशासन, पीएचडी सेल, गोपनीय शाखा, नामांकन, आयक्यूएसी, ऑनलाईन पदवी, एनएसएस, रोस्टर मैनेजमेंट, महाविद्यालयीन विभाग व अभियांत्रिकी विभाग ऐसे सभी विभागों का कामकाज ऑनलाईन हो, इसके लिए डिलीटलाईजेशन की जिम्मेदारी डॉट कॉम इन्फोटेक के पास सौंपी गयी थी. अब तक इस कंपनी को इस काम के लिए 22 लाख रूपयों के देयक अदा किये जा चुके है. साथ ही विगत दिनों देयक अदा किये जाने के मामले में जांच समिती भी गठित की गई थी. जिसकी रिपोर्ट मिलना अभी बाकी है. किंतु डॉट कॉम इन्फोटेक के संचालक द्वारा 50 लाख रूपये का भुगतान प्राप्त करने हेतु विद्यापीठ पर लगातार ‘प्रेशर’ बनाया जा रहा है.

विद्यापीठ का बजट ऑनलाईन क्यों नहीं

विद्यापीठ में डॉट कॉम इन्फोटेक कंपनी द्वारा तय समय के भीतर और बेहतरीन ढंग से डिजीटलाईजेशन का काम किये जाने का दावा कुछ अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है. किंतु विद्यापीठ का बजट मंजूर होकर पंद्रह दिन से भी अधिक की अवधि बीत जाने के बावजूद किसी भी विभाग में ऑनलाईन मंजूर बजट नहीं भेजा जा सका है. ऐसे में क्या सच में सॉफ्टवेयर पूरी तरह से विकसित हो गया है, यह सवाल उपस्थित हो रहा है. वहीं दूसरी ओर ऑनलाईन बजट मिलने हेतु कई विभाग प्रमुख अब भी प्रतीक्षा कर रहे है.

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