ग्रीष्मकालीन मीर्ची के दाम बढे, फुलकिडी को कैसे रोकोंगे?
समय पर व्यवस्थापन करने पर अच्छा उत्पादन होने की अपेक्षा

अमरावती/दि.3– जिले के कुछ किसान ग्रीष्मकालीन मीर्ची की बुआई करते है. इससे उन्हें अच्छी आय मिलती है. खरीफ की मीर्ची के मुताबिक ग्रीष्मकालीन मीर्ची पर भी फुलकिडी के साथ अन्य किडे व रोगों का प्रादुर्भाव होता है. इस कारण समय पर व्यवस्थापन किया, इसके जरिए अच्छा उत्पादन किसानों को मिलता है.
* ग्रीष्मकालीन मीर्ची प्रति क्विंटल 4 हजार रुपए
ठंड के मौसम से ग्रीष्मकाल में मीर्ची का उत्पादन कम होता है. मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से ग्रीष्मकाल की मीर्ची को भाव अधिक मिलते है. फिलहाल यहां के सब्जी बाजार में थोक में मीर्ची थोक 3 हजार से 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल भाव मिल रहे है.
* ठिबक, मल्चिंग पर ग्रीष्मकालीन मीर्ची की बुआई
जिन किसानों के कुएं में भरपूर पानी है, उन किसानों के द्वारा मल्चिंग पर ग्रीष्मकालीन मीर्ची की बुआई की जाती है. सिंचन करने के लिए ठिबक का इस्तेमाल किया जाता है. इस कारण कम पानी में अधिक उत्पादन लिया जाता है.
* मीर्ची पर इस रोग का प्रादूर्भाव
ग्रीष्मकालीन मीर्ची पर फुलकिडी, सफेद मक्खी, डाइबैक आदि विषाणुजन्य रोगों का बडा प्रादुर्भाव होता है. रस शोषण करने वाली इस किडी के कारण मीर्ची का बडा नुकसान होता है और इससे औसतन आय में कमी आती है.
* कम कालावधि में अधिक आय
ग्रीष्मकालीन मीर्ची की बुआई करने के बाद डेढ माह मेें आय मिलना शुरु होता है. 4 माह मिर्ची का उत्पन्न लेते आता है. उसके बाद कुछ किसान इस मीर्ची को काट लेते है.
* फुलकिडी को रोकने के लिए क्या करोंगे?
ग्रीष्मकालीन रोगों का प्रादुर्भाव रोकने के लिए 12 ग्राम पेगौसिस और 25 मिली रोगर 15 लीटर पानी के साथ छिडकाव करें. 21 वें और 30 वें दिन बेनीविया (360 मिली) 2 दफा छिडकाव करना आवश्यक है.
* किटक नाशक की फवारणी करना जरुरी
ग्रीष्मकालीन मीर्ची पर विषाणुजन्य रोगों का प्रादुर्भाव होता है. इस कारण पेडों पर कोकडा दिखाई देता है. विशेषज्ञ तथा कृषि विभाग की सलाह से किटकनाशक की फवारणी करना महत्वपूर्ण है.
– वरुण देशमुख,
उपसंचालक, कषि विभाग.