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फायदा उठाकर कुख्यात आरोपी कर रहे हंगामा
अमरावती प्रतिनिधि/दि.16 – दबे पांव रखे कोरोना के कदम ने सभी की जीवनशैली को बदलकर रख दिया है. जबकि सेंट्रल जेल के भीतर प्रवेश कर कोरोना ने जमकर तांडव मचाया था. इसके पहले ही कैदियों की सुरक्षा के मददेनजर उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कच्चे कैदियों को अग्रिम जमानत दी गई तो सजायाफ्ता कैदियों को 45 दिन के पैरोल पर छोडा गया था, लेकिन पैरोल का समय बीत जाने के बावजूद अभी भी 250 कैदी पैरोल पर बाहर बताए गये है. जब तक कोरोना का कहर जारी रहेगा तब तक उन कैदियो का पैरोल का समय बढता जाएगा . ऐसे में उन कैदियों का कोराना ने रास्ता ही साफ कर दिया है.
बता दें कि कोरोना संक्रमित बीमारी रहने से जमावबंदी पर प्रतिबंध लगाया गया था. जो अभी भी जारी है. परंतु जेल की चार चौकट में क्षमता से अधिक कैदियों की सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान खडे हुए थे. जिसमें अमरावती जिले समेत राज्य के विविध क्षेत्रों के कैदियों का समावेश है. यह समस्या समूचे भारत मेंं दिखाई ेदे रही थी. जिसके तहत अप्रैल माह में भी उच्चत्तम न्यायालय के आदेश में कच्चे कैदियों को अग्रिम जमानत व अन्य कैदियों को पैरोल पर छोडने का कहा गया था. आदेश पहुंचते ही अमरावती सेंट्रल जेल से महज एक माह में 330 से ज्यादा कच्चे कैदियों को अग्रिम जमानत मिलते ही वे सलाखों से बाहर हुए थे. उस समय लगभग 250 कैदियों को पैरोल पर छोडा गया था. परंतु नियमों को तहत जब तक कोरोना संकट से बरकरार रहेगा तब तक पैरोल पर छोडे गये कैदी बाहर ही रहेंगे. ऐसे मेें उन कैदियों की बल्ले-बल्ले हुई है. परंतु दूसरी ओर कोरोना के नाम पर जेल से बाहर आए हुए कुख्यात आरोपियों ने अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया है. कई तरह के प्राणघातक हमलों के अलावा झगडे फसाद की घटनाओं को अंजाम देने में उन आरोपियों का समावेश रहा है. बता दे कि सेंट्रल जेल के भीतर लगभग 70 से अधिक कैदी कोरोना पॉजिटीव पाए गये थे. परंतु अब नियमों में बदलाव किए जाने से जेल में पहुंचने के पूर्व कोरोना जांच अनिवार्य की गई है. वही दूसरी ओर पैरोल पर छोडे गये कैदी अगर ज्यादा दिनों तक बाहर रहते है तो निश्चित ही जेल के भीतर मिलनेवाला अनुशासन उनके लिए कोई माइना नहीं रखेगा. इससे अपराधिक क्षेत्र में उनका हौसला ओर बढने लगेगा.