अमरावती

‘सुपर’ के वैद्यकीय अधिकारी की निजी लैब!

महिला की शिकायत पर इर्विन प्रशासन ने शुरु की जांच

अमरावती/ दि.3 – विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल यानी सुपर स्पेशालिटी हॉस्पीटल के प्रभारी वैद्यकीय अधिकारी व्दारा सरकारी सेवा में रहने के बावजूद भी अपनी खुद की निजी लैब चलाई जा रही है. इस आशय की शिकायत एक महिला व्दारा किये जाने के बाद जिला सामान्य अस्पताल प्रशासन ने संबंधित वैद्यकीय अधिकारी डॉ. अमोल नरोटे की जांच करने के आदेश जारी किये है. साथ ही पता चला है कि, इस विषय को लेकर विगत 7 दिसंबर को एक जांच समिति गठित की गई. परंतु अब तक इस समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं हुई है.
बता दें कि, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत सभी वैद्यकीय अधिकारी व कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 35 फीसद व्यवसायरोध भत्ता भी दिया जाता है. ऐसे में उनके लिए किसी निजी अस्पताल में अथवा दूसरे के नाम पर रहने वाले अस्पताल में निजी प्रैक्टीस करने पर रोख है. साथ ही ऐसा पाये जाने पर संबंधितों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने का प्रावधान भी है, लेकिन इसके बावजूद भी कई सरकारी डॉक्टरों व्दारा खुलेआम अपनी निजी प्रैक्टीस की जाती है. इसी के तहत सुपर स्पेशालिटी हॉस्पीटल के प्रभारी वैद्यकीय अधिकारी डॉ. अमोल नरोटे व्दारा निजी लैब चलाये जाने का आरोप रश्मी राउत नामक महिला व्दारा लगाया गया है. इस महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि, डॉ. नरोटे सरकारी लैब रहने के बावजूद उसे अपनी निजी लैब में टेस्टिंग करने हेतु कहा.
महिला की शिकायत के बाद जिला सामान्य अस्पताल प्रशासन ने प्रभारी वैद्यकीय अधिकारी डॉ. अमोल नरोटे के खिलाफ जांच समिति गठित की और विगत 27 दिसंबर को नरोटे ने समिति के सामने अपना पक्ष रखा. इस संदर्भ में जिला शल्यचिकित्सक डॉ. दिलीप सौंदले से जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर उन्होंने फिलहाल इसपर कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया और कहा कि, जांच समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद पूरे मामले का सच सामने आयेगा.

उसी निजी लैब में होती थी डी-डायमर टेस्टिंग
विशेष उल्लेखनीय है कि, कोविड काल के दौरान जिले में कोविड पॉजिटीव मरीजों में कोविड संक्रमण की तीव्रता को जानने हेतु डी-डायमर टेस्टिंग की जाती थी. परंतु जिले के किसी भी सरकारी लैब में डी-डायमर टेस्टिंग मशीन उपलब्ध नहीं थी. कोविड काल के दौरान डॉ. अमोल नरोटे प्रभारी निवासी वैद्यकीय अधिकारी के तौर पर जिला सामान्य अस्पताल में कार्यरत थे और उन्होंने उस समय अपने पद व अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अपनी निजी लैब में कई कोविड मरीजों की डी-डायमर टेस्टिंग की. साथ प्रत्येक टेस्टिंग के लिए 500 रुपए वसूल करते हुए लगभग 8 से 10 लाख रुपए की कमाई की, ऐसी चर्चाएं इस समय चल रही है और इसी विषय को लेकर डॉ. अमोल नरोटे इस समय आरोपों के घेरे में है.

मेरे नाम पर कोई भी निजी लैब नहीं है. जिस लैब के बारे में बात चल रही है वह मेरे छोटे भाई डॉ. विशाल नरोटे व डॉ. तृप्ती गोरटे की है. इसके अलावा जिस महिला ने शिकायत की है, मैं उसे जानता भी नहीं हूं, साथ ही उसके व्दारा पेश की गई रिपोर्ट पर मेरे हस्ताक्षर भी नहीं है. यह सीधे-सीधे मुझे फंसाने का प्रयास है. मैंने जांच समिति के सामने अपना पक्ष रखते हुए सारी बाते स्पष्ट कर दी है.
– डॉ. अमोल नरोटे, प्रभारी वैद्यकीय अधिकारी,
सुपर स्पेशालिटी हॉस्पीटल

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