बदली जीवनशैली के कारण बढ रही दंत रोग की समस्या
1800 मरीजों के दांतों में भरी गई चांदी
* 2563 लोगों ने निकाले अपने दांत!
* डेंटल अस्पतालों में जांच की सुविधाएं
अमरावती/दि.01– बदली जीवनशैली के कारण दंत रोग की समस्या बढ रही है. दांतों में लगे कीडे दांत को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं और दांत निकालने का समय आ जाता है. हालांकि नागरिकों में अन्य स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में कुछ जागरूकता है, लेकिन दाँतों के बारे में उतनी जागरूकता नहीं है. इसलिए, जब तक दांत में दर्द न हो, उसकी जांच नहीं की जाती. दरअसल तीन से चार महीने की अवधि के बाद दांतों की जांच करानी चाहिए. बच्चों में दांतों में सड़न, पायरिया, सांसों की दुर्गंध, पीले दांत और अन्य समस्याएं देखी जाती हैं. ये समस्याएं जंक फूड, मीठे पेय, दांतों को ब्रश करने के गलत तरीके के कारण होती हैं.
* दांतों की देखभाल कैसे करें?
बैक्टीरिया के से बचना है तो सुबह उठने के बाद और रात में सोने से पूर्व टूथ ब्रश से दांत साफ करें. जो लोग ऐसा नहीं करते,उन्हें दिक्कत होगी. दांतों की कितनी भी देखभाल करने पर भी महिने में एक बार अथवा दो बार डेंटिस्ट से जांच अवश्य करानी चाहिए.
* 97 हजार मरीजों की जांच
डेंटल कॉलेज में साल भर में करीब 97 हजार मरीजों की जांच की गयी. जांच के बाद उनका इलाज किया गया.
* 826 लोगों ने कराया रूट कैनाल
रूट कैनाल दंत चिकित्सा में एक आधुनिक समाधान है. रूट कैनाल दांत निकालने का एक विकल्प है. यह सुविधा दंत अस्पताल में भी उपलब्ध है.
* 1800 मरीजों के दांतों में सिल्वर फिलिंग
डेंटल कॉलेज में जांच के लिए आए मरीजों में से 1800 मरीजों के दांतों का इलाज सिल्वर फिलिंग से किया गया है.
* 2700 मरीजों के दांतों की सफाई
दांतों का इलाज बहुत महंगा होने के कारण कोई गरीब नागरिक निजी अस्पताल में नहीं जा सकता. हालांकि, एक बार जब दांत में दर्द शुरू हो जाता है, तो इसका इलाज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है. दांत की समस्या के अनुसार इलाज किया जाता है. वर्ष के दौरान इर्विन अस्पताल में 2,700 दांत साफ किये गये.
* 2563 मरीजों के दांत निकलवाए गए
अगर दांत बुरी तरह सड़ गया है तो उसे निकलवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. खास बात यह रही कि दांत निकालकर उस स्थान पर चांदी के दांत लगा दिए गए और सीमेंट भर दिया गया.
दांत शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तीन से चार महीने की अवधि के बाद दांतों की नियमित जांच करानी चाहिए.
-डॉ.राजेंद्र गोंधलेकर, दंत शल्यचिकित्सक अधिष्ठाता,
डेंटल कॉलेज, अमरावती