चांदूर बाजार बस स्थानक में समस्याओं का अंबार, यात्री त्रस्त
डिपो की अडियल और मनमानी चर्चा का बनी विषय
चांदूर बाजार / दि. ३ –चांदूरबाजार एसटी डेपो की अडियल और मनमानी कार्यप्रणाली हमेशा से ही चर्चा का विषय बनी रही है. जबकी विदर्भ के सर्वाधिक कमाई करनेवाले आगार में इसका समावेश होता हैं. पिछले दिनो अपनी कुछ मांगो को लेकर राज्यभर में एसटी कर्मचारीयों ने संप कर रखा था. जिसके बाद कई दिनो तक प्रवासीयो को काफी दिक्कतो का सामना करना पडा था.लेकिन बाद में हालात धीरे-धीरे काबु में आते गये. और स्थिती सामान्य हुयी. लेकिन बात की जाये तो चांदुरबाजार आगार की तो ऐसा लगता है कि, अभी भी समस्याओं का ग्रहण इस आगार से नही हट पाया हैं. यहां हमेशा से ही नादुरूस्त और कबाड बसों की भरमार रही हैं. जिसके कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इतनाही नहीं अन्य कई समस्याओं का अंबार इस आगार में लगा हुआ हैं.
विद्यार्थियों को हो रही असुविधा
समुचे तहसील से हजारो विद्यार्थी यहां शिक्षा प्राप्त करने हेतु आते है. लेकिन चांदुरबाजार आगार के मनमाने कारभार के चलते विद्यार्थियों का ेअसुविधा हो रही है. अपनी जान जोखीम में डालकर उन्हें सफर करना पड़ रहा है. कभी समय से पहले शाला व महाविद्यालय को छोडकर विद्यार्थियों को बसों के पिछे भागना पडता हैं. इन सारे मामलो में सुबह से शुरू इस सर्कस के चक्कर को शाम तक विद्यार्थीयो ंको काटना पडता हैं. छात्रों का ध्यान शिक्षा से ज्यादा प्रवास की चिंता में लगा रहता हैं.
निर्धारित समय पर नहीं दौडती बसें
यहां के डिपो से कई बसें अपने निर्धारित समय पर नहीं दौडती. कुछ अधिकारी अपनी मनमर्जी से बसों के टाईमींग घोषित करते है.. जिसके कारण कई बसें खाली जाती है तो कई बसों में यात्रियों को ठुंस-ठुंस कर भरा जाता है. तहसील के कुछ क्षेत्रो के विद्यार्थीयो को शालाए और महाविद्यालय से जल्दी निकलकर बसस्थानक पर आ जाना पडता है. शहर के अधिकतर ज्युनिअर कॉलेज के विद्यार्थियों की १२ से १२.३० बजे दरम्यान छुटटी होती है. लेकिन उनके गांव जानेवाली बसे ११.३० बजे के पहले- पहले छुट जाती हैं. जिसके कारण उन्हे मजबुरन अपना शैक्षणिक नुकसान करना पड रहा है. जागरुक पालकों को और नागरिकों द्वारा इसकी शिकायत कई बार आगार व्यवस्थापक से की गयी है लेकिन ओर कोई ध्यान नही दिया गया.
* महिलाएं और युवतियों भी असुरक्षित
भारी भीड के बसो में चढ़ने उतरने के दौरान कुछ मनचलों द्वारा भीड के नाम पर महिलाओं ओर महाविद्यालयीन छात्राओं के साथ छेडखानी के कई मामले भी डिपो में देखने को मिलते है. लेकिन भीड का हिस्सा होने के कारण महिलाओं को खामोश रहना पडता हैं. जिसके कारण महिलाएं और युवतियां स्वयं को असुरक्षित महसुस करती हैं.
* यातायात नियमो का खुलेआम उल्लंघन
जहां एक ओर प्रशासन यातायात नियमों के पालन के लिये विविध जनजागृती कार्यक्रमों का आयोजन करती है तो वही दुसरी ओर कई मामलो में प्रशासन के इन नियमों को ठेंगा दिखाया जाता हैं. निजी बसों और छोटे वाहनों पर पुलिस यातायात विभाग बडी आसानी से कार्यवाही करता हैं. लेकिन सरकारी होने का ठप्पा लेकर चलनेवाली एसटी बसो ंमें खुले आम यातायात नियमो का उल्लंघन किया जाता हैं.
* दिव्यांग व बुजुर्गों को परेशानी
राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगों को बस किराए में विशेष सहुलियत दी गयी है. तो वहीं ७५ वर्ष से ज्यादा बुजुर्गों को प्रवास मुफ्त कर दिया गया हैं. लेकिन आगार में बसों की कमी के चलते प्रवासीयों को भारी भ्ीाड में जैसे -तैसे बस में चढना पडता हैं एैसे में बुजुर्गों और दिव्यांगो की फजीयत यहां देखने को मिलती है, जबकि बस वाहक की जिम्मेदारी यह बनती है कि वे दिव्यांगो और बुजुर्गों के बस में चढ़ने और उतरने में उनकी मदत करे लेकिन कुछ वाहक एैसा न करते हुए उनकी फजीयत करते दिखाई देते हैं.