नादुरुस्त स्मशानभूमि के कारण अंतिम संस्कार में दिक्कतें
शिरखेड में मृत्यु के बाद भी यातना पीछा नहीं छोड़ती
शिरखेड/दि.28- यहां की स्मशान भूमि की विगत अनेक वर्षों से दयनीय अवस्था हो गई है. लेकिन ग्रामपंचायत प्रशासन का दुर्लक्ष होने के कारण आज मृत्यु होने के बाद भी मृतकों की अवहेलना तो रिश्तेदारों को मरणयातना सहन करनी पड़ रही है.मोर्शी तहसील के शिरखेड में मृत्यु के बाद भी यह यातना पीछा नहीं छोड़ रही, ऐसी स्थिति है.
बारिश के दिनों में शेड में पड़े छिद्रों से जलती चीता पर पानी टपकता है.बारिश के दिनों में शिरखेड के स्मशान भूमि की स्थिति अत्यंत भयानक होती है. बारिश शुरु रहने पर मृतदेह अंतिम संस्कार के लिए कहा ले जाये, ऐसा कठिन प्रश्न शिरखेड वासियों के सामने उपस्थित होता है. इस तरह मृत्यु के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए नागरिकों को इंतजार करना पड़ता है.
स्मशान भूमि एक ही होने के कारण अग्निसंस्कार करने एक ही स्थान है. लोहे के पतरे को जंग लगने के कारण छेद हो गए है. इसमें से पानी सीधे चिता पर टपकता है. इस महीने मे 15 दिनों से लगातार बारिश जारी थी. इससे पूर्व दो ज्येष्ठ नागरिकों का अंतिम संस्कार करते समय गांववासियों को यह कड़वा अनुभव लेना पड़ा. गांव में दिनभर बारिश शुरु थी. लेकिन पार्थिव को घर में कितने देर तक रखा जाये, यह भी प्रश्न निर्माण हो रहा था. जिसके चलते आखिरकार बारिश कम होते ही अंतिम यात्रा निकाली गई चिता को अग्नि भी दी गई, लेकिन फिर से कुछ समय बाद तेज बारिश हुई. आखिरकार डिजल का इस्तेमाल कर फिर से चिता को अग्नि दी गई. मृत्यु के बाद भी वेदना क्यों सहन करनी पड़ती है, ऐसा सवाल नागरिकों ने उपस्थित किया है.यहां पर सीमेंट काँक्रिट का दहन शेड बनाकर उस पर टीन की सुविधा करने की मांग गांववासियों द्वारा की जा रही है.