हॉकर्स झोन के नाम पर दिक्कतेें ही दिक्कतें
पीडब्ल्यूडी की नहीं मिल रही एनओसी | 15 वर्ष से मामला अधर में लटका पडा है | मौके की जगह से हटने को फेरीवाले तैयार नहीं | बाजार में आवाजाही को लेकर समस्या कायम
अमरावती दि.25 – शहर में फेरीवाला क्षेत्र यानी हॉकर्स झोन को लेकर विगत 15 वर्षों से एक के बाद एक समस्याएं सामने आ रही है. जिसके चलते यह विषय अब भी अधर में अटका हुआ है. मनपा द्वारा शहर में हॉकर्स झोन के लिए 35 स्थान तय किये गये. जिसमें से 26 स्थानों के लिए पुलिस द्वारा अपनी एनओसी दी गई है. साथ ही इन स्थानों को लेकर मनपा प्रशासन भी सकारात्मक है. लेकिन सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्वारा अब तक इसे अपनी एनओसी नहीं दी गई है. ऐसे में हॉकर झोन का मामला निश्चित तौर पर कब सुलझेगा, यह अभी तय नहीं है.
उल्लेखनीय है कि, पर्व एवं त्यौहारोें के समय रास्ते पर होनेवाली भीडभाड की वजह से आवाजाही में व्यवधान उत्पन्न होता है और कई बार छोटे-बडे हादसे घटित होते है. इसके अलावा कई बार प्रस्थापित दुकानदारों व व्यापारियों के साथ सडक किनारे जगह घेरकर व्यवसाय करनेवाले फूटकर व्यापारियों व फेरीवालों के बीच वाद-विवाद वाली स्थिति भी बनती है. जिसकी वजह से विगत डेढ दशकों के दौरान अनेकों बार हॉकर्स झोन का मुद्दा चर्चा में रहा. किंतु कालांतर में इस मुद्दे को भुला दिया जाता है. इस स्थिति के चलते सालोंसाल से प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों में मौके की जगह पर व्यवसाय करनेवाले हॉकर्स अब अपनी जगह को छोडकर जाने के लिए तैयार नहीं है. वहीं मनपा द्वारा भी इस विषय को लेकर कोई विशेष गंभीरता नहीं दिखाई जाती और फेरीवालों के खिलाफ होनेवाली कार्रवाईयां भी आगे चलकर ठंडे बस्ते में चली जाती है. जिसकी वजह से हॉकर्स भी पूरी तरह से बिनधास्त हो गये है.
बता दें कि, स्कूल, कॉलेज, सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल, सभागृह, मुख्य बाजार तथा सरकारी कार्यालयों से करीब 150 मीटर की दूरी पर हॉकर्स झोन रहने के दिशानिर्देश है. जिसकी पूर्तता करना सहज तरीके से संभव नहीं और इस तकनीकी कारण की वजह से हॉकर्स झोन का मामला अब तक अधर में अटका पडा है. जिसके हल होने की प्रतीक्षा शहरवासियों द्वारा की जा रही है.
* फेरीवालों को परिचय पत्र देने का प्रावधान
कुछ दिनों पूर्व अमरावती शहर में हॉकर्स झोन के लिए कुछ स्थानों को तय किया गया है. साथ ही यह निर्णय भी लिया गया है कि, शहर में सभी फेरीवालो को पहचान पत्र भी दिया जायेगा. किंतु अब तक इस फैसले पर कोई अमल नहीं हुआ है. मनपा द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार शहर में 3 हजार 315 हॉकर्स है. जिनकी संख्या कोविड संक्रमण काल के दौरान और भी अधिक बढ गई है. इनमें से 2 हजार 150 हॉकर्स ने ही मनपा के पास पंजीयन हेतु अपने दस्तावेज पेश किये है. वहीं शेष हॉकर्स के पास कोई दस्तावेज ही नहीं है. ऐसे में जब तक वे दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करेंगे, तब तक उन्हें पहचान पत्र भी नहीं मिलेगा.
सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्वारा उनके अख्तियार में रहनेवाले रास्तों पर हॉकर्स झोन के लिए अब तक ना-हरकत प्रमाणपत्र यानी एनओसी नहीं दी गई है. वहीं पुलिस व मनपा इसे लेकर काफी सकारात्मक है.
– नरेंद्र वानखडे उपायुक्त, मनपा
हॉकर्स झोन तय करने हेतु पूरी रफ्तार के साथ कार्रवाई की जा रही है और सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए ही हॉकर्स झोन तय किये जायेंगे. तब तक अतिक्रमण विभाग द्वारा अपनी कार्रवाई शुरू रखी जायेगी.
– उदयसिंह चौहान अधीक्षक, बाजार व परवाना
* फेरीवालों की आंकडेवारी
मनपा के अनुसार फेरीवालों की संख्या – 3,315
पंजीयन हेतु आये आवेदन – 2,150
हॉकर्स झोन के लिए निश्चित जगहें- 35
पुलिस से प्राप्त एनओसी – 26
* क्यों जरूरी है हॉकर्स झोन
शहर में इन दिनों वाहनों की संख्या काफी अधिक बढ गई है और आवाजाही के लिए सडकों पर जगह कम पडने लगी है. किंतु फुटकर व्यवसाय करनेवाले, फेरीवाले भारी आवाजाहीवाले रास्तों पर खडे रहकर अपना व्यवसाय करते है. जिसकी वजह से वाहनोें व नागरिकों को आवाजाही करने में काफी समस्याओं का सामना करना पडता है और हॉकर्स द्वारा आवाजाही में व्यवधान पैदा करने की वजह से कई बार छोटे-बडे सडक हादसों की भी संभावना बनी रहती है. ऐसे में शहर में हॉकर्स झोन बनाये जाने की सख्त जरूरत है. बता देें कि, कोविड संक्रमण एवं लॉकडाउन काल के दौरान कुछ निश्चित स्थानों पर ही बाजार लगाये जाने की अनुमति थी और लोगबाग भी वहां पर अपनी जरूरत का सामान खरीदने हेतु जाया करते थे. इसी तरह यदि हॉकर्स झोन के लिए सख्ती होती है, तो यह समस्या अपने आप हल हो जायेगी.